रायपुर:सरकार की अनुमति के बगैर यदि किसी व्यक्ति ने जमीन से पानी निकाला तो उसे भारी भरकम जुर्माना भरने के साथ ही जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है. राज्य सरकार ने इसके लिए कड़ा कानून बना दिया है. राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राज्य सरकार के भू-जल विधेयक पर हस्ताक्षर करने के साथ ही जल्द इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी. यह विधेयक विधानसभा में 25 जुलाई को पारित किया था. नया नियम लागू होने से भू-जल की स्थिति सुधरने के आसार हैं. इससे जहां पर्यावरण संतुलन में मदद मिलेगी. साथ ही जल स्तर बढ़ने से किसानों को भी मदद मिलेगी. हालांकि इसमें खेती और सेना द्वारा पानी से इस्तेमाल को छूट प्रदान की गई है.
सरकार की अनुमति बगैर जमीन से पानी निकलने पर हो सकती है जेल
छत्तीसगढ़ में अब पानी के मनमाने उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अब कोई भी व्यक्ति सरकार की अनुमति के बगैर जमीन से पानी निकाला तो उसे भारी भरकम जुर्माना भरने के साथ ही जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है. राज्य सरकार ने इसके लिए कड़ा कानून बना दिया है.
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केन्द्रीय भू-जल से लेते थे अनुमति:व्यावसायिक उपयोग के लिए केंद्रीय भू जल बोर्ड से अनुमति लेनी होती थी. किसी उद्योग पर जुर्माना लगता था तो वह केंद्र सरकार के खाते में जाता था. केंद्र सरकार ने राज्यों को अपने स्तर पर प्राधिकरण बनाने को कहा था. एनजीटी का भी मानना है कि सरकार की अनुमति से ही भू-जल के उपयोग की अनुमति लेने चाहिए.
साल में चार बार नापा जाता है पानी :केंद्रीय भू-जल प्रबंधन विभाग साल में चार बार जनवरी, मई, अगस्त व नवंबर में इसकी रिपोर्ट बनाता है. अफसरों का मानना है कि ब्लाक वार रिपोर्ट में संकेत हैं कि प्रदेश में अच्छी बारिश से जमीन के पानी का स्तर बढ़ा है. फिर भी इसका मैनेजमेंट जरूरी है. उनकी यह भी चेतावनी है कि प्रदेश में 24 घंटे पानी सप्लाई जैसी योजनाओं से बचना चाहिए. जहां पानी की जरूरत हो वहां पहले पानी पहुंचाना चाहिए.
दूसरे राज्यों से कड़े प्रावधान:अफसरों के मुताबिक 2002 तक भू-जल संवर्धन के लिए नियम नहीं था. छत्तीसगढ़ ने जो नियम बनाए हैं वो महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की तुलना में काफी कड़े हैं. पानी की कमी वाले गांवों में निकायों में रजिस्ट्रीकरण के बिना भू-जल निकालने पर कारावास और जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है.