रायपुर : कोरोना संक्रमण को देखते हुए बंदियों से मुलाकात पर पूरी तरह से जेल प्रशासन ने पाबंदी लगा रखी है. इस वजह से जेल के बंदी परिजन से मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में इन बंदियों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए जेल प्रशासन की ओर से व्यवस्था की गई है. जेल में बंद कैदी बाहर अपने परिजन रिश्तेदार या फिर एडवोकेट से संपर्क कर अपनी बात रख रहें हैं. इस पूरी व्यवस्था को 'प्रिजन कॉलिंग सिस्टम' कहते हैं.
लॉक डाउन के पहले प्रतिदिन 150 से 200 बंदियों की मुलाकात उनके परिजनों से जेल प्रशासन की ओर से कराई जाती थी. लेकिन लॉकडाउन के बाद से यह मुलाकात बंद कर दी गई है. हालांकि बाद में जेल प्रशासन की ओर से प्रिजन कॉलिंग सिस्टम शुरू किया गया है. जिसके माध्यम से बंदी अपने परिजन सहित एडवोकेट से बात कर सकते हैं. जेल डीआईजी केके गुप्त ने बताया कि बंदियों की उनके परिजनों से प्रिजन कॉलिंग सिस्टम के माध्यम से बातचीत कराई जा रही है.
प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की व्यवस्था प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की व्यवस्था
- इस सिस्टम के तहत लगभग 200 कैदी हर दिन बात कर रहें हैं.
- यह बातचीत जेल प्रशासन की निगरानी में होती है.
- 5 केंद्रीय जेल में 3-3 सिस्टम लगाए गए हैं.
- 12 जिला जेलो में एक सिस्टम लगा हुआ है.
- 16 छोटी जेलो में सिस्टम लगाने की प्रक्रिया चल रही है.
- हफ्ते में एक बार 5-5 मिनट तक परिजनों से बात करने की सुविधा दी गई
- इसके लिए रायपुर में तीन और अन्य जेलो में एक-एक मशीन लगाई गई है.
कॉल रिकॉर्ड में दर्ज
गुप्ता ने बताया जिन जेलो में प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की व्यवस्था नहीं की गई है. वहां जेल अधीक्षक को बात कराने के लिए स्पेशल परमिशन दिया गया है. उन्हें मोबाइल सहित सरकारी सिम भी दिया गया है. जिसके माध्यम से वह बंदी अपने परिजनों से बात करते हैं. यह सारे कॉल रिकॉर्ड में दर्ज रहते हैं.
प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की व्यवस्था आवेदवन के बाद बातचीत की व्यवस्था केके गुप्ता ने कहा कि बंदियों की ओर से अपने परिजनों से बातचीत के लिए आवेदन दिया जाता है. उसके बाद उनका एक कार्ड बनाया जाता है. जिसमें उनके परिचितों का मोबाइल नंबर होता है. इस कार्ड के माध्यम से ही बंदी अपने परिजनों से बात करते हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह बंदी के परिजन भी बातचीत के लिए आवेदन देते हैं. जिसके बाद जेल प्रशासन बंदी से बातचीत के लिए व्यवस्था करता है.
प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की व्यवस्था क्या है प्रिजन कॉलिंग सिस्टमलॉकडाउन में जहां बंदी अपने परिजन से बातचीत नहीं कर पा रहे थे, उसके कारण जेल प्रशासन ने प्रिजन कॉलिंग सिस्टम का रास्ता निकाला. इसके लिए जेलों में एक सिस्टम लगाया गया साथ ही बंदियों का बायोमेट्रिक कार्ड भी बनाया जा रहा है. इस कार्ड में बंदियों के परिजन और वकील का नंबर फीड होता है. कार्ड को मशीन से टच करने पर स्क्रीन पर वह नंबर दिखता है और उस पर रिंग जाती है. फिर 5 मिनट तक बंदी बात कर सकते हैं. हालांकि इस व्यवस्था का लाभ उन बंदियों को नहीं मिल पाएगा जिनके परिजन ऐसी जगह पर रहते हैं. जहां फोन या फिर मोबाइल का नेटवर्क नहीं है. ऐसे में जेल प्रशासन को इन बंदियों और उनके परिजनों के बारे में भी सोचना होगा और बातचीत के लिए कोई बीच का रास्ता निकालना होगा.
प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की व्यवस्था पैरोल की अवधि 15 दिसंबर तक के लिए बढ़ाई गई
कोरोना संकट को देखते हुए राज्य शासन की अपील और हाईकोर्ट के निर्णय के बाद कई कैदियों को रिहा किया गया था. हाईकोर्ट ने जेलों में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों की पैरोल की अवधि 15 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी है. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए मार्च से लेकर अब तक हर महीने जेल में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों के पैरोल की अवधि शासन के आग्रह पर बढ़ाई जा रही थी. अब एक बार फिर हाईकोर्ट ने इस अवधि को बढ़ा दिया है.
प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की व्यवस्था कुल 2201 कैदियों को रिहा किया गया
- अंतरिम जमानत पर 1,096 कैदियों को रिहा किया गया.
- नियमित जमानत पर 731 कैदियों को रिहा किया गया.
- सबसे अधिक केंद्रीय जेल रायपुर से 450 कैदियों को रिहा किया गया.
- केंद्रीय जेल दुर्ग से 321 कैदियों को रिहा किया गया.
- केंद्रीय जेल बिलासपुर से 295 कैदियों को रिहा किया गया.
- केंद्रीय जेल अम्बिकापुर से 78 कैदियों को रिहा किया गया.
- केंद्रीय जेल जगदलपुर से 86 कैदियों को रिहा किया गया.
- इसके अलावा जिला जेल और उप जेलों से भी कुछ कैदियों को रिहा किया गया.