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अनंत चतुर्दशी: एक सेर मालपुआ और पूड़ी का भोग लगाकर इस तरह करें भगवान विष्णु की पूजा

19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी. इसी दिन लंबोदर महाराज एकदंत भगवान की 11 दिनों तक पूजा-पाठ आराधना और आरती करने के बाद विसर्जन का उत्सव मनाया जाता है.

Anant Chaturdashi on 19
अनंत चतुर्दशी 19 को

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Published : Sep 15, 2021, 8:17 AM IST

Updated : Sep 19, 2021, 6:47 AM IST

रायपुर : गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ...ऐसा उद्घोष जब सुनाई पड़ने लगे तब यह मानें कि अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) आ चुकी है. अनंत चतुर्दशी के शुभ पर्व पर ही श्रीगणेश भगवान (Lord Ganesha) की प्रतिमा का विसर्जन (Immersion of the statue) किया जाता है. आज के दिन ही लंबोदर महाराज एकदंत भगवान की 11 दिनों तक पूजा-पाठ आराधना और आरती करने के बाद विसर्जन का उत्सव मनाया जाता है. यह पर्व शतभिषा नक्षत्र, कुंभ राशि, शश योग, भद्र योग और मालव्य योग के सुंदर संयोग में मनाया जाएगा.

अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर को मनायी जाएगी. अनंत चतुर्दशी व्रत के दिन भगवान श्री अनंत की पूजा का विधान है. इस दिन भगवान श्री अनंत के अनंत सूत्र को सुना जाता है. साथ ही भगवान अनंत की कथा भी सुनी जाती है. भगवान अनंत अर्थात श्री लक्ष्मी नारायण भगवान ही माने गए हैं. विष्णु भगवान को ही अनंत भगवान माना गया है. आज के दिन सुंदर मौली धागे से 14 गांठे बांधकर श्री अनंत भगवान अर्थात विष्णु भगवान को चढ़ाई जाती है. इसे भगवान को धारण कराकर स्वयं पहना जाता है. अनंत सूत्र का बहुत महत्व है, अग्नि पुराण यह कहता है कि एक सेर मालपुआ और पूड़ी का भोग भगवान श्री अनंत को लगाया जाता है.

अनंत चतुर्दशी 19 को
अनंत चतुर्दशी व्रत के दिन रवि योग का भी निर्माण हो रहा है. यह बहुत सुंदर सुयोग बना रहा है. आज के दिन सूर्य कन्या राशि में विराजमान रहेंगे. आज के शुभ दिन प्रातः बेला में स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ निर्मल कपड़े पहन कर इस पर्व को मनाया जाता है. भगवान श्री हरि विष्णु को भोग नए वैद्य ऋतु फल और तुलसी दल चढ़ाया जाता है. आज उपवास करने से अनेक तरह के फलों की प्राप्ति होती है.यह मंगलकामनाओं कल्याणकारी पदार्थों की प्राप्ति का शुभ पर्व है. इस शुभ पर्व को आस्तिक, सात्विकता और धनात्मक के साथ मनाया जाना चाहिए. अनंत रक्षा सूत्र बहुत ही शुभ माना जाता है. इसे सभी को धारण करना चाहिए. गणेश विसर्जन के समय कोरोना नियमों का पालन करते हुए किया जाना चाहिए. इस विसर्जन में बहुत अधिक ढोल नगाड़ों नृत्य आदि से बचना चाहिए.
Last Updated : Sep 19, 2021, 6:47 AM IST

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