रायपुर:कुत्तों को इंसान का सबसे वफादार दोस्त कहा जाता है. लेकिन राजधानी रायपुर में लगातार कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. बारिश के मौसम में लगातार कुत्ते आक्रमक होते जा रहे हैं. इस दौरान डॉग बाइट की घटनाएं बढ़ती जा रही है.
बारिश में आवारा कुत्तों का आतंक खासकर बारिश के दिनों में आवारा कुत्तों की तादाद बढ़ने से शहरवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रायपुर नगर निगम के हर वार्ड में करीब 500 कुत्तें हैं. जबकि पूरे शहर में 35 हजार आवारा कुत्ते हैं. राजधानी के गली-मोहल्ले और चौक-चौराहे सहित सड़कों पर आने जाने वाले लोगों पर कुत्ते हमला कर देते हैं.
नगर निगम पर गंभीर आरोप
रायपुर में कुत्तों का आतंक स्थानीय लोगों ने बताया कि दो महीने में कभी कभार शिकायत मिलने के बाद निगम का अमला इन कुत्तों को नसबंदी कराता है. लेकिन बाद में फिर नगर निगम की तरफ से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. इसके अलावा शहर में मांस और मटन की दुकानों के होने से भी कुत्ते हिंसक होते जा रहे हैं. डॉग बाइट की घटनाएं बढ़ने से रायपुर वासी परेशान हैं
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शहर में आवारा कुत्तों का डर
शहर की गलियों और सड़कों पर बेखौफ आवारा कुत्तों का समूह राहगीरों और स्थानीय लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर रहा है. इसके बावजूद इनकी संख्या पर नियंत्रण लगाने की कोई कोशिश नहीं की जा रही है. आवारा कुत्ते मॉर्निंग और इवनिंग वॉक पर निकलने वाले बच्चे, बड़े-बूढ़े और महिलाओं पर हमला कर देते हैं. इसके अलावा दोपहिया वाहन पर घूमने वाले लोग भी कुत्तों का शिकार होते हैं. कई बार ऐसे वाहन चालक कुत्तों की वजह से हादसे का शिकार होते हैं.
नगर निगम के दावे
रायपुर नगर निगम के अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य ने ETV भारत को बताया कि शहर में आवारा कुत्तों की तादाद जरूर बढ़ी है, लेकिन अधिकांश कुत्तों की नसबंदी कराई गई है. उन्होंने बताया कि नसबंदी कराने के बाद कुत्तों की हिंसक प्रवृत्ति कम हो जाती है. इसके लिए निगम की ओर से दो डॉक्टर भी नियुक्त किए गए हैं. उन्होंने भविष्य में इस समस्या के जल्द समाधान की बात कही
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कुत्तों के काटने पर क्या करें
- ब्लीडिंग रोकने के लिए घाव या चोट के आसपास साफ तौलिया लगाएं.
- घाव के हिस्से को थोड़ा ऊपर उठाकर रखने की कोशिश करें.
- साबुन और पानी से ध्यानपूर्वक चोट वाले हिस्से को साफ करें.
- अगर आपके पास एंटीबायोटिक क्रीम है तो उसे चोट पर लगाएं
- घाव पर साफ बैंडेज लगाएं.
- बैंडेज को लगा रहने दें और पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर के पास लेकर जाएं.
- दिन में कई बार बैंडेज बदलें.
- संक्रमण के संकेत जैसे कि लालिमा, सूजन, दर्द और बुखार आदि को नजरअंदाज न करें.