रायपुर: खराब परफॉरमेंस वाले स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने और परफॉरमेंस में सुधार के उद्देश्य से केंद्र सरकार पूरे देश में एक नई योजना लेकर आई है. जिसके तहत खराब परफारमेंस वाले स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. यह योजना पूरे देश में चलाई जाएगी. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में भी इस योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा. लेकिन योजना शुरू होने के पहले ही शिक्षकों ने इस पर सवाल उठाया है. शिक्षक संघ की मानें तो स्कूलों के खराब परफारमेंस के लिए सिर्फ शिक्षक की जिम्मेदार नहीं हैं.
क्या कहना है शिक्षक: छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय महासचिव शेषनाथ पांडे का कहना है कि "शासकीय शिक्षकों को स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के अलावा भी कई तरह के काम दिए जाते हैं. लगभग 60 ऐसे काम हैं, जो उन्हें स्कूल में पढ़ाने के अलावा करने होते हैं. इतना ही नहीं प्रदेश के कई स्कूल में शिक्षक ही नही हैं. कई स्कूलों में महज 1 से 2 टीचर हैं, इस वजह से भी स्कूली शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में महज शिक्षकों को प्रशिक्षित करने से स्कूल शिक्षा बेहतर होगी और बच्चों की पढ़ाई सुधर जाएगी, यह कहना गलत होगा."
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत दिया जाएगा प्रशिक्षण: केंद्र सरकार के द्वारा शिक्षा पर फोकस किया जा रहा है. यही वजह है कि खराब परफॉर्मेंस वाले स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई गई है. यानी कि जिन स्कूलों में पढ़ाई अच्छे से नहीं हो रही है, बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है या फिर ध्यान दिए जाने के बावजूद उन स्कूलों का रिजल्ट अच्छा नहीं आ रहा है. स्कूलों का परफॉर्मेंस खराब है. ऐसे स्कूलों को चिन्हाकिंत कर उनके शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा. जिससे उन स्कूलों का परफॉर्मेंस सुधारा जा सके.