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Teachers Changed Education System Of Chhattisgarh : शिक्षा जगत में क्रांति लाने वाले छत्तीसगढ़ के प्रतिभावान शिक्षक. जिन्होंने बदली शिक्षा की दिशा - Teachers Day

Teachers Changed Education System: शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपको छत्तीसगढ़ के ऐसे शिक्षकों से मिलवाने जा रहे हैं. जिन्होंने अपने पढ़ाने के तरीके से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया है. इन शिक्षकों ने अपनी मेहनत से ये बताया है कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है. यदि आपके अंदर हौंसला है तो किसी भी चुनौती को मात देकर मंजिल हासिल की जा सकती है.

Teachers Changed Education System Of Chhattisgarh
शिक्षा जगत में क्रांति लाने वाले छत्तीसगढ़ के प्रतिभावान शिक्षक

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 5, 2023, 5:41 PM IST

रायपुर :छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. इनमें से तीन शिक्षक सरगुजा जिले के हैं.इन शिक्षकों ने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से आने वाले भविष्य को संवारने का काम किया है. कम संसाधन में किस तरह से पढ़ाई करवाई जा सकती है.वो इन शिक्षकों ने कर दिखाया है. आज हम आपको इन्हीं शिक्षकों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.

डॉ बृजेश पाण्डेय : स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल अंबिकापुर के प्राचार्य डॉ बृजेश पांडेय के पढ़ाने का तरीका अनोखा है. इसी वजह से उनके पढ़ाए बच्चे उनके इस हुनर के मुरीद हैं. डॉ बृजेश पाण्डेय फिजिक्स के शिक्षक हैं. लेकिन इसके साथ ही वो दूसरे विषयों को काफी अच्छे से बच्चों को समझाते हैं.

परसा हायर सेकंडरी स्कूल की बदली तस्वीर :डॉ बृजेश पाण्डेय जब परसा हायर सेकंडरी स्कूल में तैनात थे तो उन्होंने स्कूल से लगी 22 एकड़ शासकीय भूमि का सीमांकन करवाया और बच्चों के लिए मूलभूत सुविधाएं विकसित की.इन सुविधाओं के कारण ही परसा को मॉडल स्कूल का दर्जा मिला.इसके बाद डॉ बृजेश पांडेय के मार्गदर्शन में परसा हायर सेकेंडरी स्कूल और स्वामी आत्मानंद स्कूल के छात्रों ने बोर्ड की मेरिट सूची में जगह बनाई. बृजेश पाण्डेय को शिक्षा में योगदान के लिए राष्ट्रपति अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

अंचल कुमार सिन्हा :अंचल कुमार सिन्हा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल में व्याख्याता एलबी के पद पर हैं. अंचल कुमार सिन्हा ने विज्ञान में होने वाली रासायनिक क्रियाओं को खेल-खेल में बच्चों को समझाने का काम किया है. अंचल के प्रयासों के कारण ही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे विज्ञान की कठिन पढ़ाई को रुचि लेकर पढ़ने लगे.

बच्चों को यू ट्यूब के माध्यम से किया शिक्षित

यूट्यूब चैनल से करवाई पढ़ाई: कोरोना काल में अंचल कुमार सिन्हा ने बच्चों की विज्ञान की पढ़ाई जारी रखने के लिए खुद का यूट्यूब चैनल चालू किया. इसकी मदद से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. इसके साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित कर बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि जगाने के उद्देश्य से उन्हें आस पास की चीजों से जोड़कर खेल खेल में पढ़ाई कराते है.अंचल कुमार सिन्हा को उनके योगदान के लिए राज्यपाल के हाथों सम्मान मिला है.

अनामिका चक्रवर्ती :अनामिका चक्रवर्ती रामपुर हायर सेकेंडरी स्कूल में व्याख्याता के पद पर हैं.अनामिका ने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में विज्ञान विषय के प्रति जागरुकता पैदा की.अनामिका ने खेल-खेल में बच्चों को समझाया कि रासायनिक क्रियाओं के जरिए किस तरह से आसपास की चीजें बदल सकती हैं.

अनामिका ने खेल-खेल में बताया विज्ञान का रहस्य

बच्चों को प्रैक्टिकल से समझाया : अनामिका ने प्रैक्टिकल के जरिए बताया किपानी जैसा दिखने वाला तत्व अचानक गुलाबी या गाढ़ा नीला हो सकता है. इसी एल्युमिनियम के फ्रेम में सिल्वर नाइट्रेट छिड़कने से राख पैदा होती है. बच्चे पहले अम्ल और क्षार को नहीं समझ पाते थे.लेकिन लैब में जब बच्चों ने खुद अपने हाथों से चीजों का प्रैक्टिकल किया तो पढ़ाई में काफी आसानी हुई.अनामिका को इस योगदान के लिए राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है.

नोहर चंद्रा : कोरबा के प्राथमिक स्कूल भटगांव में शिक्षक के पद पर कार्यरत नोहर चंद्रा ने गांव में शिक्षा की दशा और दिशा दोनों ही बदलने का काम किया है. नोहर चंद्रा ने स्कूली बच्चों को लर्न विद फन के तर्ज पर मॉडर्न टेक्निक से पढ़ाया.जिसका नतीजा ये हुआ कि जिन स्कूलों में बच्चे आने से कतराते थे.वहां शिक्षा के लिए लाइन लगनी शुरु हो गई और तो और नोहर चंद्रा ने पांचवीं तक पढ़कर पढ़ाई छोड़ चुकी बच्चियों को भी जागरुक किया. जिसके लिए उन्होंने बच्चियों का एडमिशन एकलव्य आवासीय विद्यालय में करवाया.जिससे अब क्षेत्र की बच्चियां अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं.

नोहर चंद्रा, शिक्षक भटगांव प्राथमिक स्कूल

लर्न विद फन का कॉन्सेप्ट किया विकसित : शिक्षकनोहर चंद्रा ने बच्चों को पढ़ाने के लिए लर्न विद फन का कॉन्सेप्ट विकसित किया. उन्होंने सबसे पहले स्कूल का कायाकल्प किया. टाट की जगह बेंच और ब्लैक बोर्ड की जगह प्रोजेक्टर का इस्तेमाल कर बच्चों को नई तरीके से शिक्षा देने का काम किया. बच्चों को एलईडी पर पढ़ाई कराई जा रही है. जिससे बच्चों में पढ़ाई का क्रेज बढ़ा.

कर्मिला टोप्पो :अब बात ऐसी शिक्षिका की जिनके लिए कर्तव्य पहले है.बलरामपुर के धौरपुर की शिक्षिका कर्मिला टोप्पो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए जान जोखिम में डालने से भी पीछे नहीं हटती. बारिश के दिनों में जब नदी का जल स्तर कमर के ऊपर तक चला जाता है,तो उफनती नदी को पार करके कर्मिला अपना कर्म निभाने स्कूल पहुंचती हैं.कहने को तो धौरपुर के प्राथमिक स्कूल में केवल 10 बच्चे हीं पढ़ाई करते हैं,लेकिन कभी भी कर्मिला ने मौसम और चुनौतियों का बहाना नहीं बनाया.बारिश के दिनों में भी कर्मिला नदी पार करके स्कूल आती हैं और बच्चों को शिक्षित कर रही हैं.इसी वजह से उनके काम की तारीफ पूरे जिले में हो रही है.

कर्मिला टोप्पो, शिक्षिका धौरपुर प्राथमिक स्कूल

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किसी भी बच्चे के जीवन में मां बाप से ज्यादा शिक्षक का दर्जा होता है.क्योंकि मां के बाद शिक्षक ही वो पहला शख्स है,जिसके मार्गदर्शन में बच्चा अपने आने वाले कल के लिए तैयार होता है. ETV भारत टीचर्स डे के मौके पर ऐसे शिक्षकों का नमन करता है. जिन्होंने अपने प्रयासों से समाज को आने वाले कल के लिए तैयार किया है.

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