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Published : Jan 30, 2022, 9:46 PM IST

Updated : Jan 30, 2022, 11:01 PM IST

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कांग्रेस सदस्यता अभियान का लक्ष्य पूरा करने में पार्टी के छूट रहे पसीने, क्या कहते हैं जानकार

Congress Membership Campaign in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सदस्यता अभियान की गति धीमी पड़ रही है. पार्टी ने 10 लाख से अधिक लोगों को सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन अभी यह पूरा होता नहीं दिख रहा है.

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कांग्रेस सदस्यता अभियान का लक्ष्य

रायपुर:छत्तीसगढ़ कांग्रेस व्यापक स्तर पर सदस्यता अभियान चला रही (Target of Congress Membership Campaign in Chhattisgarh) है. इस सदस्यता अभियान को लेकर जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. आए दिन बैठकें होती रहती है. बावजूद इसके सदस्यता अभियान की गति धीमी पड़ती नजर आ रही है. जिस गति से कांग्रेस सदस्य जोड़ने थे वो गति थमने सी लग गई है. यही कारण है कि कांग्रेस ने पहले सदस्यता बुक के माध्यम से सदस्य बनाने की मुहिम चलाई और अब डिजिटल तौर पर सदस्य बना रही है.

कांग्रेस में टारगेट का टेंशन

जिस डिजिटल तरीके का खुद कांग्रेस कभी विरोध किया करती थी. उसी डिजिटल तकनीक की सहायता से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने व्यापक तौर पर प्रदेश के पांचों संभाग में सदस्यता अभियान चलाने की बात कही थी. कांग्रेस पार्टी ने 10 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है.

कांग्रेस को सदस्य बनाने में क्यों छूट रहे हैं पसीने?

लेकिन कांग्रेस अभी भी टारगेट से पार्टी काफी दूर है. सदस्यता अभियान की गति धीमी होने की वजह क्या है? ऐसे कई सवाल हैं जिसका जवाब तलाशने की कोशिश ईटीवी भारत ने की. इसके लिए पक्ष विपक्ष सहित राजनीतिक जानकारों से चर्चा की गई.. आइए जानते हैं कि उनका इस विषय में क्या कहना है...

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कांग्रेस सदस्यता अभियान काफी धीमा-बीजेपी

भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि डूबती हुई नैया में कोई चढ़ना नहीं चाहता. भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस भी बड़े पैमाने पर सदस्यता अभियान चला रही है. उसके लिए बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए जा रहे हैं, प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, विज्ञापन जारी किए गए. बावजूद इसके कांग्रेस के सदस्यता अभियान में लोग रुचि नहीं ले रहे हैं. युवाओं का भी रुझान कांग्रेस की सदस्यता के लिए नहीं है. कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं में सदस्यता अभियान को लेकर उदासीनता देखी जा रही है.

कांग्रेस नेता इसके लिए कोई बड़ी पहल नहीं कर रहे है. कांग्रेस बार-बार इस तरह का प्रयोग कर रही है, जिससे अधिक लोगों को सदस्यता से जोड़ा जा सके. बावजूद इसके कांग्रेस से लोग नहीं जुड़ रहे हैं. लोगों का आक्रोश कांग्रेस के प्रति बढ़ता जा रहा है और यही कारण है कि आज कांग्रेस का सदस्यता अभियान एक प्रकार से मरणासन्न स्थिति में है.

भाजपा के अभियान को नकलची बंदर की तर्ज पर अपना रही कांग्रेस

उपासने ने कहा कि डिजिटल को सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भाजपा ने स्थापित किया है. इसे नकलची बंदर के रूप में कांग्रेस अपना रही है. कांग्रेस भले ही धरातल पर पहले डिजिटल का विरोध करती रही हो लेकिन अंततः उसे इसकी शरण में आना ही पड़ा. जैसे कि राम की शरण में कांग्रेस जा रही है. इसी तरह भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान की तरह में कांग्रेस को भी सदस्यता अभियान चलाना पड़ा.

3 लेयर के वेरिफिकेशन के बाद बनेंगे कांग्रेस के सदस्य

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि हमारा सदस्यता अभियान का लक्ष्य 10 लाख सदस्य को पार्टी से जोड़ना है. जिसे फरवरी तक हम पूरा कर लेंगे. हमारा आधा लक्ष्य प्राप्त हो चुका है. बूथों के हिसाब से सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है ओर डिजिटल माध्यम से अलग सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी का जो मिस्ड कॉल सदस्यता अभियान था, वह अलग है और हमारा सदस्यता अभियान अलग. दोनों में काफी अंतर है. भारतीय जनता पार्टी में कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल से मिस कॉल मारेगा वह उसका सदस्य बन जाएगा. हमारे सदस्यता अभियान के तहत व्यक्ति का नाम, पता, जन्म, लिंग ओर फोटो सहित सभी की जानकारी अपलोड करेगा. अपलोड करने के बाद उसके पास एक ओटीपी आएगा. उसको डालने के बाद वह हमारा सदस्य बनेगा. इस तरह 3 लेयर की वेरिफिकेशन के बाद कोई कांग्रेस का सदस्य बनेगा.

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50 लाख में से आधे सदस्यों ने खुद भाजपा को नहीं दिया वोट

सुशील आनंद ने कहा कि हमारा सदस्यता अभियान भाजपा की तरह नहीं है. विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा के 50 लाख सदस्य थे, लेकिन उन्हें चुनाव में बा मुश्किल 34 लाख वोट मिले. यानी कि उनके 16 लाख सदस्यों ने ही भाजपा को वोट नहीं दिया. यदि 4-5 लाख आम जनता ने भी भाजपा को वोट दिया होगा तो 50 लाख में से आधे सदस्यों ने खुद भाजपा को वोट नहीं दिया. ऐसा फर्जीवाड़ा कांग्रेस में नहीं चलता.

धीमी गति बताती है कि जमीनी स्तर पर नहीं पहुंच रहे पार्टी के कार्यकर्ता

राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि, यदि कोई भी पार्टी सत्ता में आती है तो उसके बाद भी कोई संगठन कमजोर होता है. बहुत सारे लोग सत्ता के इर्द-गिर्द हो जाते हैं. उनकी उम्मीदें बढ़ जाती है. ऐसे में भी संगठन कमजोर हो रहा है. कांग्रेस के प्रति लोगों का आकर्षण कम हो रहा है. इसका मतलब है कि पार्टी के कार्यकर्ता जमीन स्तर तक नहीं पहुंच रहे हैं. इसलिए कांग्रेस पार्टी को इस पर मंथन की जरूरत है

तकनीक से दूर नहीं हो सकती कोई भी पार्टी

डिजिटाइजेशन को लेकर रामअवतार तिवारी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर है. आज के समय कोई भी पार्टी डिजिटल प्लेटफॉर्म का विरोध नहीं कर सकती, क्योंकि अब हर हाथ में मोबाइल कंप्यूटर लैपटॉप है. उसी से सारी संचार क्रांति आई है. यह लोगों के जुड़ाव का एक बड़ा माध्यम हो गया है. आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म की एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी. ऐसी स्थिति में कोई पार्टी डिजिटलाइजेशन से दूर नहीं रह सकती. पहले जरूर कांग्रेस ने इसका विरोध किया होगा लेकिन अब इसे स्वीकार करना यह बताता है कि आज सोशल प्लेटफॉर्म कितना मजबूत है.

ऐसे में अब देखने वाली बात है कि कांग्रेस फरवरी तक 10 लाख नए सदस्य बना पाती है या नहीं. यदि छत्तीसगढ़ कांग्रेस 10 लाख नए सदस्य जोड़ने में नाकाम रही तो पार्टी हाईकमान का इसे लेकर क्या रुख होगा? ये बड़ा सवाल है.

Last Updated : Jan 30, 2022, 11:01 PM IST

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