रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक जवानों की आत्महत्या कि खबर आ रही है. प्रदेश में सुरक्षा में तैनात जवान डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवान ज्यादा टेंशन में हैं. गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने इसके पीछे का कारण घर से दूर रहना बताया है.
जवानों को तनाव मुक्त करने के लिए सरकार कर रही प्रयास: गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि इस पर हमारी बात हुई है. जिसके बाद ये पता चला है कि, लंबे समय से परिवार से दूर रहने के कारण जवान ऐसे कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने जवानों को तनाव मुक्त करने के लिए अभियान चला रही है.
छुट्टी नहीं मिलने से डिप्रेशन में जवान
उन्होंने बताया कि सुरक्षा अधिकारियों को कैंपों में जाकर रात में रुकने के लिए कहा गया है. जहां वे जवानों से मिलकर उनका दुख-दर्द सुनेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे. इसके अलावा जवानों के लिए टीवी और योग सहित मनोचिकित्सक की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है. गृहमंत्री ने कहा कि जवानों को अच्छा वातावरण मिले उसके लिए इस प्रकार की व्यवस्था की जा रही है.
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कोरोना संकट की वजह से छुट्टी न मिलने से भी इन जवानों का मानसिक तनाव और बढ़ता जा रहा है. भले इसके पीछे कारण लगातार काम करना या फिर पारिवारिक हो, लेकिन इसका असर सीधे तौर पर जवानों के मस्तिष्क और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इस वजह से जवानों में आत्महत्या करने का ग्राफ हर दिन बढ़ता जा रहा है. तनाव और डिप्रेशन की वजह से कई बार एक जवान दूसरे जवान की जान भी ले लेते हैं. जवानों को इन परेशानियों से बाहर निकालने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं.
जवानों ने ली साथियों की जान
- दिसंबर 2019 में नारायणपुर में ITBP के जवान ने अपने ही साथियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं, जिसमें 6 जवान की मौत हो गई थी और 2 घायल हुए थे.
- फरवरी 2020 को बीजापुर में CAF के जवान ने गोली चलाते हुए अपने एक साथी को मौत के घाट उतार दिया था.
- मई 2020 को नारायणपुर में CAF के जवान ने भी अपने साथियों पर गोली चलाई थी, जिसमें 2 जवान की मौत हो गई थी.
आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े
पिछले साल प्रदेश में 36 जवानों ने आत्महत्या कर ली थी. छत्तीसगढ़ में ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं, जिसमें जवानों ने अपनी सर्विस राइफल या पिस्टल का इस्तेमाल दुश्मनों पर नहीं, बल्कि अपने साथियों की जान ले ली या फिर खुद को खत्म कर लिया. राज्य के पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. वहीं साल 2020 में करीब 6 से ज्यादा जवान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं.