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फ्रंटलाइन वर्करों और स्वास्थ्यकर्मियों में चिड़चिड़ापन मानसिक तनाव के लक्षण: मनोचिकित्सक सुरभि दुबे

कोरोना काल में मानसिक तनाव की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान काम कर रहे अधिकारियों और पुलिसकर्मियों में भी मानसिक तनाव के लक्षण दिख रहे हैं. सूरजपुर में हुई घटना को भी मनोचिकित्सक मानसिक अवसाद के परिणाम के रूप में देख रहे हैं.

Psychiatrist Dr Surabhi Dubey
कोरोना काल में मानसिक तनाव

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Published : May 23, 2021, 11:13 PM IST

रायपुर:कोरोना काल का समय जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, लोगों में मानसिक तनाव की समस्या बढ़ती जा रही है. उन लोगों में भी मानसिक अवसाद के हालात पैदा हो रहा है जो कोरोना काल में कानून और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन अब लोगों की सहनशीलता भी जवाब देने लगी है. खासकर मेडिकल स्टाफ जिसमें डॉक्टर नर्स सहित अन्य लोग शामिल है. अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की भी स्थिति इस कोरोना काल में ऐसी हो गई है कि वे भी अब अपना आपा खोते जा रहे हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या कर रहे हैं ?

मनोचिकित्सक सुरभि दुबे

सूरजपुर कलेक्टर रणवीर शर्मा ने आम लोगों से बदसलूकी की. इतना ही नहीं कलेक्टर ने एक युवक का मोबाइल भी पटक कर तोड़ दिया. इस पूरी घटना को भी मनोचिकित्सक मानसिक अवसाद के रूप में देख रहे हैं.

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घटना के बाद सूरजपुर कलेक्टर खुद भी स्वीकार कर रहे हैं कि लगातार काम की वजह से वे काफी तनाव में रहते हैं. उनके परिवार में भी कोरोना संक्रमित मिले हैं. जिस वजह से उनमें कोरोना को लेकर भय व्याप्त है. वे चाहते हैं कि यह बीमारी ना फैले. इसीलिए उनके द्वारा थोड़ी सख्ती बरती गई. हालांकि इस तरह का व्यवहार उन्हें नहीं करना था. कलेक्टर ने सार्वजनिक रूप से वीडियो जारी कर युवक से माफी भी मांगी है.

कोरोना काल में काम करना बेहद मुश्किल

मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि कोरोना काल में काम करना सभी वर्गों के लिए काफी कठिन हो चुका है. इस बीच लोग शारीरिक थकान से ज्यादा मानसिक थकान महसूस कर रहे हैं. फिर चाहे वह मेडिकल स्टाफ हो या फिर अन्य कोई. सभी इस तरह के तनाव से गुजर रहे हैं.

जल्दी गुस्सा आना मानसिक तनाव के लक्षण

डॉ. सुरभि दुबे ने कहा कि हम फिजिकल साइड इफेक्ट्स की बात करें तो जल्दी थकावट का होना, हाथ पैर में बार-बार जल्दी दर्द होना, इम्यूनिटी लो हो जाना, जल्दी बीमार पड़ना, कमर में दर्द, गले में दर्द होना, भारीपन रहना, सिर और आंखें कमजोर होना, रात की नींद ना आना शामिल है. मानसिक रूप से बीमार होने पर जल्दी गुस्सा आना चिड़चिड़ाहट होना आम बात है.

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मनोरोग चिकित्सक सलाह ले सकते हैं

डॉ. सुरभि बताती है कि इस दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स को अपनी एक्टिविटी में थोड़ा बदलाव लाना जरूरी है. उन्हें मन की बात दूसरे से कहनी चाहिए. ये बातें अपने दोस्त, रिश्तेदार या करीबी से कह सकते हैं. अच्छी बुरी दोनों तरह की बातें शेयर कर सकते हैं. इसके अलावा नींद पूरी ले, योगा करें, मेडिटेशन करें. हेल्दी डाइट लें. इन सभी से भी समस्या ठीक नहीं हो रही तो अपने मनोरोग चिकित्सक की सलाह लेकर ट्रीटमेंट करें.

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