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पार्षदों द्वारा मेयर का चुनाव: पूर्व निर्वाचन आयुक्त से जानिए प्रक्रिया और इतिहास - समन्वय बढ़ाने के लिए यह फैसला

पूर्व निर्वाचन आयुक्त डॉक्टर सुशील त्रिवेदी ने बताया कि भारत के संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के द्वारा देश में ग्रामों में पंचायती राज और शहरों में नगरीय निकायों के व्यवस्था की गई थी. उसमें ये प्रावधान किया गया था कि निगमों के चुनाव किस प्रकार से हों, इस संबंध में राज्य सरकार अपना नियम बना सकती है.

नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सुशील त्रिवेदी का बयान

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Published : Oct 12, 2019, 5:24 PM IST

Updated : Oct 12, 2019, 6:06 PM IST

रायपुर:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मेयर के साथ ही नगर पालिका और नगर अध्यक्ष के चुनाव को अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के संकेत दिए हैं. मध्य प्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी इस बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं. अप्रत्यक्ष प्रणाली में सदन के नेता का चुनाव अब पार्षद करेंगे.

नगर निगम और नगर पालिका में समन्वय

इसे लेकर एक उप समिति का भी गठन कर दिया गया है. पूरे मामले में ETV भारत ने पूर्व निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुशील त्रिवेदी से बातचीत की और इस फैसले के पीछे के वजहों को समझने की कोशिश की है. त्रिवेदी के मुताबिक सरकार नगर निगम और नगर पालिकाओं में समन्वय बढ़ाने के लिए यह फैसला ले सकती है.

पढ़े:VIDEO: अपने ही बयान से पलटे सीएम, मेयर का चुनाव पार्षदों से कराने को बताया था अफवाह

पार्षद चुनाव प्रणाली में बदलाव
उनका कहना है कि कई बार नगर निगमों में किसी दल के पार्षदों की संख्या ज्यादा होती है, तो मेयर किसी और पार्टी का चुना जाता है. जिस तरह से संसद में सांसद और विधानसभा में विधायक अपने नेता का चुनाव करते हैं, उसी तर्ज पर अब नगरीय निकायों में पार्षद अपने नेता का चुनाव करेंगे.

Last Updated : Oct 12, 2019, 6:06 PM IST

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