रायपुर: कोरोना संक्रमण का असर हर क्षेत्र में देखने को मिला है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर शिक्षा के क्षेत्र में पड़ा है. छत्तीसगढ़ में जहां स्कूल बंद हैं. वहीं यूनिवर्सिटी-कॉलेज कब खुलेंगे इस पर अभी फैसला नहीं हो पाया है. सत्र देर से शुरू होने के चलते परीक्षाएं भी देरी से होंगी. इसका असर अगले सत्र पर भी पड़ेगा.
कोरोना महामारी के चलते भले ही आर्थिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं. लेकिन अभी भी स्कूल-कॉलेज सूने पढ़े हुए हैं. छत्तीसगढ़ में यूनिवर्सिटी-कॉलेज में पढ़ाई अब तक शुरू नहीं हो पाई है. हालांकि पिछले 15 दिनों से कॉलेजों में ऑनलाइन क्लासेस शुरू की गई है. लेकिन छात्रों का कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. छात्र काफी परेशान हैं.
कॉलेज खुलने के इंतजार में स्टूडेंट्स अगला सत्र भी पिछड़ जाएगा
छत्तीसगढ़ कॉलेज के प्रिंसिपल अमित बनर्जी ने बताया कि सरकार अपनी ओर से लगातार प्रयास कर रही है कि छात्रों को अच्छी शिक्षा मिले, लेकिन कोरोना का समय है, ऐसे में कोई भी यह नहीं बता सकता कि आखिर कब क्या बदलाव करना पड़े. उन्होंने कहा कि छात्रों को इससे काफी नुकसान हो रहा है. बनर्जी ने कहा कि आने अगले सत्र में भी इसका असर देखने को मिलेगा. क्योंकि इस साल परीक्षाएं लेट होगी तो आने वाला साल का सत्र भी देर से शुरू होगा और उसकी भी परीक्षाएं लेट ली जाएंगी.
छत्तीसगढ़ में कब खुलेंगे यूनिवर्सिटी और कॉलेज ऑनलाइन क्लासेस में कई दिक्कतें
कॉलेज के छात्रों ने बताया कि एक तरफ लंबे समय से यूनिवर्सिटी, कॉलेज पूरी तरह से बंद हैं, वहीं अब तक इसे खोलने को लेकर कोई रणनीति नहीं बनाई गई हैं. छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है. लेकिन उसमें दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा रहा है. कई बार नेटवर्क और दूरदराज क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने के चलते उन्हें परेशानी होती है. ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से इतनी अच्छी पढ़ाई नहीं हो पा रही है
परिस्थिति अनुकूल होने का इंतजार
केंद्र सरकार अनलॉक-5 की नई गाइडलाइन में 15 अक्टूबर से देशभर में स्कूल-कॉलेजों को खोलने की सशर्त अनुमति दे चुकी है. हालांकि राज्य सरकार ने इस बारे में अभी फैसला नहीं लिया है. छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामले 2 लाख के ऊपर पहुंच चुके हैं. परिस्थितियों के अनुकूल होने पर ही स्कूल-कॉेलज खोले जाएंगे.
दिल्ली यूनिवर्सिटी में फर्स्ट फेज की क्लास शुरू
गुजरात सरकार ने 23 नवंबर से स्कूल, कॉलेज और अन्य व्यवसायिक पाठ्यक्रम के संस्थान खोलने का निर्णय किया है. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने भी 23 नवंबर से उच्च शिक्षण संस्थानों में कक्षाओं का संचालन शुरू करने की तैयारी है. इधर दिल्ली यूनिवर्सिटी में 17 नवंबर से यूनिवर्सिटी में फर्स्ट फेज की क्लासिस शुरू हो गई हैं.
महामारी के बीच यहां कक्षाएं किस तरह संचालित की जाएंगी, इसे लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग UGC ने दिशानिर्देश जारी किए हैं. इन दिशा-निर्देशों को स्टूडेंट्स के साथ-साथ विश्वविद्यालयों के सभी कर्मचारियों, शिक्षकों को भी मानने होंगे. यूजीसी के दिशानिर्देश में 6-डे शेड्यूल से लेकर क्लास साइज कम करना और कैंपस में आइसोलेशन सेंटर बनाना तक शामिल है
यूजीसी ने दिए हैं ये निर्देश
- कैंपस में एंट्री से पहले सभी स्टूडेंट्स, फैकल्टीज, अन्य स्टाफ की स्क्रीनिंग जरूरी है. लक्षण पाए जाने पर मेडिकल जांच के बाद ही उन्हें कैंपस में प्रवेश की अनुमति मिलेगी.
- जिनमें लक्षण पाए जाएंगे उनके लिए कैंपस में आइसोलेशन की सुविधा और जो कोविड पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आए हों, उनके लिए क्वारंटीन की सुविधा होनी चाहिए. अगर कैंपस में जगह न हो, तो किसी सरकारी अस्पताल या स्थानीय प्रशासन को स्वीकृत परिसर की व्यवस्था करनी होगी.
- क्वारंटीन और आइसोलेशन में रहने वालों के लिए सुरक्षा, सफाई, स्वास्थ्य, खाना, पानी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी.
- कॉलेज-विश्वविद्यालय 6-डे शेड्यूल का पालन करें. जिससे फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए अलग-अलग फेज में क्लासेस संचालित की जा सकें.
- क्लास की साइस कम कर उसे अलग-अलग टुकड़ों में बांटा जा सकता है. संस्थान के क्लासरूम के आकार के अनुसार एक बार में क्लास करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या सुनिश्चित की जाए. 50 फीसदी तक स्टूडेंट्स कम किए जा सकते हैं. उन्हें रोटेशन के आधार पर क्लासेस करने के लिए बुलाया जा सकता है.
- संस्थान की जरूरत के अनुसार प्रतिदिन टीचिंग के घंटे बढ़ाई भी जा सकते हैं.
- यूजीसी ने यूनिवर्सिटीज- कॉलेजेज से कहा है कि वे चरणबद्ध तरीके से क्लासेस का संचालन शुरू करें. सिर्फ वही संस्थान खोले जा सकते हैं जो कंटेनमेंट जोन से बाहर होंगे.
- कंटेनमेंट जोन्स में रहने वाले स्टूडेंट्स, स्टाफ्स को भी कॉलेज कैंपस में एंट्री की अनुमति नहीं होगी. न ही बाहर के स्टूडेंट्स या स्टाफ को कंटेनमेंट जोन में जाने की अनुमति होगी.
- जरूरत के अनुसार छात्रावास खोले जा सकते हैं. लेकिन सख्त देखरेख, सुरक्षा, स्वास्थ्य के मानकों का ख्याल रखते हुए. हालांकि किसी भी छात्रावास में फिलहाल कमरे की शेयरिंग की अनुमति नहीं होगी. यानी एक कमरे में एक ही स्टूडेंट रह सकेगा. जिनमें लक्षण पाए जाएंगे, उन्हें किसी भी परिस्थिति में हॉस्टल में रहने की अनुमति नहीं होगी।
- इन दिशा-निर्देशों के साथ यूजीसी ने यह भी कहा है कक्षाओं का संचालन कब से करना है, इसका निर्णय सभी केंद्रीय विवि, केंद्रीय सहायता प्राप्त विवि के कुलपति ले सकते हैं, वहीं, स्टेट यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज के मामले में यह फैसला संबंधित राज्य सरकार लेगी.