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SPECIAL: दुर्गोत्सव-दशहरा की सख्त गाइडलाइन, सियासी रंग भी चढ़ा

कोरोना संकट काल ने आम लोगों के जीवन पर गहरा असर डाला है. हर वर्ग और क्षेत्र पर कोरोना का काला साया पड़ा है और सभी के जीवन पर विपरीत असर पड़ा है. कई तीज-त्योहार के साथ ही उत्सवों के रंग भी फीके रहे. गणेशोत्सव में भी लोग निराश हुए. अब नवरात्र और दशहरा से उम्मीदें हैं. हालांकि कुछ राज्यों में दुर्गोत्सव पर सियासी रंग भी नजर आ रहा है.

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दुर्गोत्सव-दशहरा की सख्त गाइडलाइन

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Published : Oct 9, 2020, 2:07 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 8:38 PM IST

रायपुर:कोरोना को भारत में पैर पसारे 6 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. कई तीज-त्योहार घर में ही सूने-सूने निकल गए. अब देश के बड़े राज्यों में चुनावों और उप चुनावों की दस्तक ने त्योहारों पर राजनीतिक रंग चढ़ा दिया है.

दुर्गोत्सव-दशहरा की सख्त गाइडलाइन

आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में उप चुनाव होने हैं. पश्चिम बंगाल में भी विधानसभा चुनाव का खुमार देखा जा रहा है. इन राज्यों ने त्यौहार मनाने के लिए गाइडलाइन को ऐसा बनाया है जिससे वोट प्रभावित न हो. अपना वोट बैंक बचाने की जुगत में सरकारों ने कोरोना गाइडलाइन में खूब छूट दी है. एक तरफ चुनावी सभा में लोगों की संख्या जुटाने में कोई बंदिश नहीं है. वहीं त्योहार मनाने के लिए भी ढील भरपूर है.

सख्त गाइडलाइन तैयार

देश के सभी राज्यों में नवरात्र और दशहरा के लिए सख्त गाइडलाइन तैयार की गई है. कहीं दुर्गा पंडाल समिति के लोग और आयोजक नाराज हैं. कई लोगों ने इस गाइडलाइन को सही भी बताया है.

छत्तीसगढ़ में हर साल हर्षोल्लास के साथ नवरात्र और दशहरा का पर्व मनाया जाता है. कोरोना संकट के मद्देनजर दुर्गा प्रतिमा और रावण के पुतले की ऊंचाई, पंडाल क्षेत्र और रावण दहन स्थल पर लोगों की संख्या के साथ ही छोटे-बड़े कई नियम और आदेश गाइडलाइन में शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ की गाइडलाइन

  • मूर्ति की ऊंचाई और चौड़ाई 6 × 5 फीट से ज्यादा ना हो.
  • पंडाल का आकार 15 × 15 फीट से ज्यादा ना हो.
  • पंडाल के सामने कम से कम 3000 वर्ग फीट की खुली जगह हो.
  • पंडाल और सामने 3000 फुट की खुली जगह में कोई भी सड़क या गली का हिस्सा प्रभावित ना हो.
  • एक पंडाल से दूसरे पंडाल की दूरी 250 मीटर से कम ना हो.
  • मंडप पंडाल के सामने दर्शकों के बैठने के लिए अलग से पंडाल ना हो.
  • दर्शकों और आयोजकों के बैठने के लिए कुर्सी नहीं लगाई जाएगी.
  • किसी भी एक समय में मंडप और सामने मिलाकर 20 से ज्यादा व्यक्ति ना हों.
  • अगर कोई व्यक्ति जो मूर्ति स्थापना स्थल पर जाने के कारण संक्रमित हो जाता है, तो उसके इलाज का पूरा खर्च मूर्ति स्थापना करने वाला व्यक्ति या समिति करेगी.
  • मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति या समिति एक रजिस्टर रखेंगे, जिसमें दर्शन करने आने वाले लोगों के नाम, पता, मोबाइल नंबर दर्ज किया जाएगा ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति संक्रमित होने पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा सके.
  • मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति या समिति को 4 CCTV लगाना अनिवार्य है ताकि किसी भी व्यक्ति के संक्रमित होने पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा सके.
  • मूर्ति स्थापित करने वाली समिति सैनिटाइजर, थर्मल स्क्रीनिंग, ऑक्सीमीटर, हैंडवॉश और क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था करेगी.
  • थर्मल स्क्रीनिंग में बुखार पाए जाने वाले या कोरोना से संबंधित कोई भी समस्या या विशेष लक्षण पाए जाने वाले पर पंडाल में प्रवेश नहीं देने की जिम्मेदारी समिति की होगी.
  • कंटेनमेंट जोन में मूर्ति स्थापना की अनुमति नहीं होगी. पूजा अवधि के दौरान भी वह जगह कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित हो जाता है तो तत्काल पूजा समाप्त करनी होगी.
  • मूर्ति स्थापना के दौरान विसर्जन के समय या विसर्जन के बाद किसी भी प्रकार के भोज, भंडारे, जगराते या सांस्कृतिक कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं होगी.
  • मूर्ति स्थापना और विसर्जन के दौरान किसी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र डीजे या बैंड बजाने की अनुमति नहीं होगी.
  • मूर्ति विसर्जन के लिए एक से ज्यादा वाहन की अनुमति नहीं होगी.
  • मूर्ति विसर्जन के लिए 4 से ज्यादा व्यक्ति नहीं जा सकेंगे और मूर्ति रखे जाने वाली गाड़ी में ही बैठेंगे.
  • सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहले मूर्ति विसर्जन की किसी भी प्रक्रिया की अनुमति नहीं होगी.

तमाम शर्तों के साथ घरों में दुर्गा स्थापित करने की अनुमति होगी. अगर घर से बाहर मूर्ति स्थापित की जा रही है तो कम से कम 7 दिन पहले नगर निगम के संबंधित जोन कार्यालय में निर्धारित शपथ पत्र और आवेदन देना होगा. अनुमति प्राप्त होने के बाद ही मूर्ति स्थापित करने की अनुमति मिलेगी. इन सभी निर्देशों के उल्लंघन करने पर एपिडेमिक डिजीज एक्ट और विधि अनुकूल नियम के मुताबिक कई धाराओं के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी.

ज्योत प्रज्ज्वलन के लिए भी गाइडलाइन जारी

छत्तीसगढ़ में नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना के साथ ही मंदिरों में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित कराने की भी पुरानी परंपरा रही है. मंदिरों में भीड़-भाड़ इकट्ठा ना हो और कोविड-19 के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो, इसके लिए प्रशासन ने ज्योति कलश स्थापना करने के लिए सशर्त अनुमति दी है और गाइडलाइन भी जारी किया है.

  • मंदिर प्रांगण के अंदर नियत स्थान पर ही सभी ज्योत का प्रज्ज्वलन किया जाएगा.
  • ज्योत प्रज्ज्वलन स्थान पर अग्निशमन सुरक्षा के सभी उपाय किया जाना अनिवार्य होगा.
  • ज्योत दर्शन के लिए दर्शनार्थियों और अन्य व्यक्तियों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहेगा.
  • ज्योत प्रज्ज्वलन की जिम्मेदारी सिर्फ मंदिर प्रबंधन समिति की होगी. दूसरे व्यक्तियों को ज्योत प्रज्वलन की अनुमति नहीं होगी.
  • ज्योत प्रज्ज्वलन के संदर्भ में सुरक्षा, कोविड-19 के रोकथाम और नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से जारी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा.
  • नियमों के उल्लंघन करने पर मंदिर प्रबंधन समिति पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188 और अन्य सुसंगत विधि के मुताबिक कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

दशहरा पर्व के लिए गाइडलाइन

  • रावण दहन के लिए पुतले की ऊंचाई 10 फीट से ज्यादा ना हो.
  • पुतला दहन किसी बस्ती या रहवासी इलाके में नहीं किया जाना है, खुली जगह में ही पुतला दहन करना है.
  • पुतला दहन कार्यक्रम में समिति के मुख्य पदाधिकारी सहित किसी भी हाल में 50 व्यक्तियों से ज्यादा व्यक्ति शामिल ना हो.
  • आयोजन के दौरान सिर्फ पूजा करने वाले व्यक्ति शामिल होंगे. अनावश्यक भीड़ एकत्रित ना होने देने की जिम्मेदारी आयोजकों की होगी.
  • कार्यक्रम का यथासंभव ऑनलाइन माध्यमों की मदद से प्रसारण किया जाना सुनिश्चित करें.
  • पुतला दहन के दौरान आयोजन की वीडियोग्राफी कराई जाए.
  • आयोजक एक रजिस्टर रखेंगे, जिनमें रावण दहन कार्यक्रम में आने वाले सभी व्यक्तियों का नाम, पता, मोबाइल नंबर दर्ज किया जाएगा.
  • रावण दहन स्थल से 100 मीटर के दायरे में आवश्यकतानुसार बैरिकेडिंग कराया जाना है.
  • एक आयोजन स्थल से दूसरे आयोजन स्थल की दूरी 500 मीटर से कम नहीं होगी.
  • इन नियमों के अलावा नवरात्र के लिए बनाई गई गाइडलाइन दशहरा पर भी लागू रहेगी.

छत्तीसगढ़ में नहीं जलेगा सरकारी रावण !

WRS मैदान दशहरा आयोजन प्रभारी कुलदीप जुनेजा ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों की सुरक्षा बेहद जरूरी है. WRS में पिछले 50 सालों से रावण दहन का आयोजन हो रहा है. पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा रावण दहन यहीं होता था. इस आयोजन में मुख्यमंत्री, राज्यपाल और मंत्री शामिल होते थे, लेकिन इस बार रावण दहन छोटे स्वरूप में किया जाएगा. सिर्फ पूजा-पाठ का कार्यक्रम होगा. किसी भी तरह से मंचीय कार्यक्रम, आतिशबाजी और रामलीला जैसे आयोजन नहीं होंगे.

महाराष्ट्र सरकार की गाइडलाइन

  • गणेशोत्सव की तरह देवी प्रतिमाएं भी घरों के लिए 2 फीट और पंडालों के लिए 4 फीट की होंगी.
  • मिट्टी की प्रतिमाओं की जगह मेटल और मार्बल की मूर्तियां पूजा के लिए खरीदी जा सकती हैं. स्थापित प्रतिमाओं का विसर्जन घर पर ही किया जाना है या फिर शासन-प्रशासन के बनाए गए नियमित जगह पर ही विसर्जन किया जाना है.
  • दुर्गा पंडालों में एक समय पर 5 से ज्यादा लोगों के रहने की अनुमति नहीं होगी.
  • कोई भी समिति सार्वजनिक तौर से प्रसाद नहीं बांटेगी.
  • मंडलों को निर्देश दिया गया है कि पंडाल में थर्मल स्क्रीनिंग का इंतजाम करें और पंडालों की साफ-सफाई नियमित करें.
  • सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने के साथ ही सैनिटाइजर का इस्तेमाल अनिवार्य होगा.
  • पूजा-अर्चना और देवी दर्शन के लिए दुर्गा मंडलों को पंडाल का ऑनलाइन टेलिकास्ट भी किया जा सकता है.
  • नवरात्र के दौरान किसी भी जगह गरबे का आयोजन नहीं किया जाएगा.

मूर्तिकारों का दर्द: 'प्रतिमाओं की ऊंचाई से कोरोना का नहीं है लेना-देना'

सरकार के आदेश से मूर्तिकार नाखुश और मायूस हैं. विदर्भ के अमरावती से दुर्गा प्रतिमाएं मध्यप्रदेश भेजी जाती थीं. दूसरे राज्यों में भेजने के लिए मूर्तिकार 7 फीट की मूर्तियां बना रहे हैं. ये उनके लिए राहत भरा है. लेकिन महाराष्ट्र में सरकार ने सिर्फ 4 फीट की मूर्ति बनाने के निर्देश दिए हैं.

मूर्तिकारों का कहना है कि जब मध्यप्रदेश सरकार 7 फीट की मूर्ति बनाने के लिए इजाजत दे सकती है तो महाराष्ट्र सरकार क्यों नहीं दे सकती है.

पूर्व मंत्री अनिल बोंडे ने मूर्तिकारों के हक में उठाई आवाज

पूर्व मंत्री अनिल बोंडे ने मूर्तिकारों की इस परेशानी को उठाया है. कई राज्यों में 7 फीट तक की प्रतिमाएं स्थापित करने के आदेश हैं, लेकिन महाराष्ट्र में ऐसा नहीं है. उन्होंने शासन-प्रशासन से सवाल पूछा है कि तमाम गाइडलाइन के मुताबिक 7 फीट की प्रतिमा से कोरोना का संक्रमण फैल सकता है तो क्या 4 फीट की मूर्ति से नहीं फैलेगा? पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार कि ये शर्तें मूर्तिकारों के लिए मददगार नहीं है.

मध्यप्रदेश में त्योहारों ने लिया सियासी रंग

मध्यप्रदेश में नवरात्र और दशहरा दोनों त्योहारों को सियासी रंग दिया जा रहा है. प्रदेश में अब पर्व को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले धर्म की सियासत शुरू हो गई है. शिवराज सरकार के दुर्गा उत्सव मनाने की छूट देने पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रतिक्रिया जाहिर की है और गणेशोत्सव में छूट ना देने पर तंज भी कसा है.

कांग्रेस से लेकर हिंदू संगठनों ने सरकार को घेरा

एमपी में नवरात्र मनाने के लिए राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी की थी, जिसे हिंदू संगठन के दबाव में सरकार ने बदल दिया है. 18 सितंबर को मध्यप्रदेश में नवरात्र को लेकर नियम बनाए गए, जिसे लेकर खूब हंगामा हुआ. कांग्रेस से लेकर हिंदू संगठनों ने सरकार को घेरा. इस हंगामे की वजह थी दुर्गा प्रतिमा की अधिकतम ऊंचाई 6 फीट होना और पंडालों की लंबाई और चौड़ाई 10x10 फीट की होना. हिंदू संगठन ने 27 सितंबर को भोपाल में जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके बाद मध्यप्रदेश सरकार ने 3 अक्टूबर को अपना फैसला बदल दिया.

3 अक्टूबर को बदली गई गाइडलाइन

  • 6 फीट ऊंचाई का प्रतिबंध नहीं रहेगा.
  • पंडाल की लंबाई और चौड़ाई 10X10 से 30X40 कर दी गई.
  • चल समारोह या झांकी निकालने की अनुमति नहीं होगी.
  • आयोजन समिति के अधिकतम 10 व्यक्ति दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन कर सकेंगे.
  • गरबा करने की अनुमति नहीं होगी.
  • दशहरा उत्सव पर रामलीला और रावण दहन किया जा सकेगा.
  • सभी आयोजनों में मास्क लगाना अनिवार्य होगा.
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और सावधानियां पूरी तरह अनिवार्य रहेंगी.
  • झांकियां ऐसी नहीं बनाई जाएं, जिनमें किसी भी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हो.

गुजरात की गाइडलाइन

  • कोई गरबा आयोजित नहीं किया जा सकता है.
  • गरबा/मूर्ति को सार्वजनिक रूप से खुले स्थान पर स्थापित और उसकी पूजा की जा सकती है, लेकिन फोटो या मूर्तियों को छुआ या प्रसाद वितरित नहीं किया जा सकता है.
  • पूरे समारोह के दौरान हर समय चेहरा ठीक से ढंका होना चाहिए.
  • सार्वजनिक रूप से गरबा, आरती और पूजा पंडाल की स्थापना कर सकेंगे.
  • एक स्थान पर 200 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकेंगे.
  • बुजुर्गों और बच्चों को आयोजनों से दूर रखने की सलाह.
  • सार्वजनिक रूप से आयोजन और उत्सव प्रशासनिक मंजूरी के बिना नहीं किए जा सकेंगे.
  • मेला, रैली प्रदर्शनी, रावण दहन, रामलीला, शोभायात्रा जैसे सामूहिक कार्यक्रम पर प्रतिबंध रहेगा.
  • दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी.
Last Updated : Oct 9, 2020, 8:38 PM IST

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