रायपुर: निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले में चिटफंड कंपनियों पर सरकार ने सख्त रूख अख्तियार कर लिया है. प्रशासन लगातार ऐसे चिटफंड कंपनियों पर नकेल कसती जा रही है. कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनने से पहले निवेशकों को चिटफंड कंपनियों से पैसा वापस दिलाने का वादा किया था. इसके तहत ही यह कदम उठाए जा रहे हैं
चिटफंड कंपनियों पर प्रशासन सख्त साल 2012 से 2019 तक के हैं मामले
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में साल 2012 से अक्टूबर 2019 तक 484 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से 307 मामलों में 468 आरोपी संचालकों, 185 आरोपी पदाधिकारियों और 279 अन्य आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय में पेश किया गया है. साथ ही 154 प्रकरणों में चिटफंड कंपनियों और उनके संचालकों की संपत्ति की पहचान कर ली गई है.
नीलामी की कार्रवाई
राजनांदगांव जिले में जब्त की गई जमीन की नीलामी में मिले 7 करोड़ 92 लाख 21 हजार रूपए शासकीय कोष में जमा किए गए हैं. साथ ही निवेशकों की राशि लौटाने की प्रक्रिया चालू कर दी गई है. बिलासपुर सिविल लाइन थाने में दर्ज एक मामले में मकान की नीलामी कर पीड़िता को 2 लाख 80 हजार रूपए दिलाए गए. कोर्ट ने चिटफंड कंपनियों के 6 प्रकरणों में संपत्ति की जब्ती के आदेश दिए हैं. साथ ही 42 प्रकरणों में जब्ती के कार्रवाई के आदेश पर विचार हो रहा है.
कांग्रेस का चुनावी वादा
बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान चिटफंड कंपनियों के निवेशकों के रुपए न लौटाए जाने का मामला गरमाया था. जिस पर कांग्रेस ने निवेशकों को पैसे वापस दिलाने की घोषणा अपने संकल्प पत्र में किया था. सत्ता पर काबिज होते ही कांग्रेस ने इस ओर कदम बढ़ाते हुए चिटफंड कंपनियों के खिलाफ नकेल कसना शुरू कर दिया है. इसी के तहत प्रशासन ताबड़तोड़ कार्रवाई में जुट गई है.