रायपुर:छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास स्थित चंदखुरी इन दिनों माता कौशल्या की जन्मस्थली को लेकर चर्चा में बना हुआ है. जहां एक ओर कांग्रेस चंदखुरी में माता कौशल्या का जन्मस्थल होने का दावा करते हुए उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता अजय चंद्राकर चंदखुरी में माता कौशल्या के जन्म होने की बात को ही सिरे से नकार रहे हैं. यही कारण है कि चंदखुरी इन दिनों माता कौशल्या की जन्मभूमि को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है.
इस बीच चंदखुरी में रामायण का एक और प्रसंग चर्चा में आ गया है, जो उस काल के सुषेण वैद्य से संबंधित है. चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर परिसर में ही सुषेण वैद्य की एक मूर्ति स्थापित है. लोगों का मानना है कि इसी स्थल पर सुषेण वैद्य ने समाधि ली थी. जिन्हें स्थानीय लोग सुखैन वैद्य के नाम से भी बुलाते हैं.
यहां सुषेण वैद्य ने ली थी समाधि
मंदिर समिति के सदस्य राजेन्द्र वर्मा से ETV भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि सुषेण वैद्य का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. उनका कहना है कि उन्होंने सुषेण वैद्य से जुड़े विभिन्न प्रसंगों और तथ्यों का अध्ययन किया है. जिसमें यह प्रमाणित होता है कि सुषेण वैद्य की जन्मस्थली चंदखुरी है. जिन्हें रावण लंका ले गया था. हालांकि रावण वध के बाद सुषेण वैद्य वापस चंदखुरी लौट आए और यहीं पर उन्होंने समाधि ली.
सुषेण वैद्य ने किया था लक्ष्मण जी का इलाज
राजेंद्र वर्मा ने बताया कि वाल्मीकि कृत रामायण में भगवान राम के जीवन की गाथा है. इसमें राम और रावण का जब युद्ध चल रहा था, तब मेघनाद के प्रहार से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे. ऐसे में सुग्रीव के कहने पर सुषेण वैद्य को बुलाया जाता है. सुषेण वैद्य लक्ष्मण के उपचार के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए कहते हैं. जिसके बाद हनुमानजी को संजीवनी बूटी लाने भेजा गया. हनुमान संजीवनी बूटी को नहीं पहचानते थे, ऐसे में वे पूरे पहाड़ को ही उठाकर ले आए. जिसके बाद सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर दिया.