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Story of successful women in politics भारत की सफल महिला राजनेता

आज हम आपको ऐसी महिला राजनेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं.जिन्होंने अपनी सोच से पार्टी को नई दिशा दी. इनमें से कुछ महिला राजनेताओं की लोकप्रियता आज भी कायम हैं .

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Published : Aug 10, 2022, 4:49 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 11:35 AM IST

Story of successful women in politics
भारत की सफल महिला राजनेता

सोनिया गांधी : गांधी परिवार की इस बहू (Sonia Gandhi) ने जब 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभाली तब कांग्रेस बिखरी हुई थी. 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया ने कांग्रेस को एक करने का प्रयास किया. हालांकि इन चुनावों में कांग्रेस को सत्ता नहीं मिली और सोनिया गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर चुनी गईं, लेकिन आने वाले चुनावों के लिए सोनिया ने कांग्रेस को जोड़ा और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए जनसमर्थन हासिल किया. 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने बड़ी सफलता हासिल की . केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी. सोनिया गांधी 1997 से आज तक कांग्रेस अध्यक्ष हैं. यह कांग्रेस पार्टी के 125 सालों के इतिहास में पहला मौका है, जबकि कोई इतने लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर बना रहा.

सोनिया गांधी
ममता बनर्जी :ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)का राजनीतिक सफर 1970 में शुरू हुआ, जब वे कांग्रेस पार्टी की कार्यकर्ता बनीं. 1976 से 1980 तक वे महिला कांग्रेस की महासचिव रहीं. 1984 में ममता ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर लोकसभा सीट से हराया. उन्हें देश की सबसे युवा सांसद बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ. उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया.मगर 1989 में कांग्रेस विरोधी लहर के कारण जादवपुर लोकसभा सीट पर ममता को मालिनी भट्टाचार्य के खिलाफ हार का स्वाद चखना पड़ा. इसके बाद 1991 का चुनाव उन्होंने कलकत्ता दक्षिण संसदीय सीट से लड़ा और जीता भी. उन्होंने दक्षिणी कलकत्ता (कोलकाता) लोकसभा सीट से माकपा के बिप्लव दासगुप्ता को हराया. 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में वह इसी सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं. 1991 में कोलकाता से लोकसभा के लिए चुनी गईं. नरसिम्हा राव सरकार में मानव संसाधन विकास, युवा मामलों और महिला एवं बाल विकास विभाग में राज्यमंत्री बनीं. नरसिम्हां राव सरकार में खेल मंत्री बनाई गईं. इससे पहले वे केन्द्र में दो बार रेलमंत्री बन चुकी हैं. रेलमंत्री बनने वाली वे पहली महिला थीं. वे केन्द्र में कोयला, मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री, युवा मामलों और खेल तथा महिला व बाल विकास की राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं.
ममता बनर्जी



मायावती : मायावती ( Mayawati ) एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ हैं और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. मायावती बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो हैं. उन्हें भारत की सबसे युवा महिला मुख्यमंत्री के साथ-साथ सबसे प्रथम दलित मुख्यमंत्री भी होने का श्रेय प्राप्त है. मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उन्होंने सत्ता के साथ-साथ आनेवाली कठिनाइओं का सामना भी किया है. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक स्कूल शिक्षिका के रूप में की थी. लेकिन कांशी राम की विचारधारा और कर्मठता से प्रभावित होकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. उनका राजनैतिक इतिहास काफी सफल रहा और 2003 में उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव हारने के बावजूद उन्होने 2007 में फिर से सत्ता में वापसी की. अपने समर्थको में बहन जी के नाम से मशहूर मायावती 13 मई 2007 को चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और पूरे पांच साल शासन चलाया. लेकिन साल 2012 का चुनाव समाजवादी पार्टी से हार गयीं.

मायावती

सुषमा स्वराज :इमरजेंसी के बाद सुषमा स्वराज ( Sushma Swaraj) ने दो बार हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता . चौधरी देवी लाल की सरकार में से 1977 से 79 के बीच राज्य की श्रम मंत्री रहकर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मन्त्री बनने का रिकॉर्ड बनाया . 1977 में सुषमा स्वराज सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनीं, उस समय उनकी आयु 25 वर्ष थी। 1996 में, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेरह दिन की सरकार के दौरान, इन्होंने सूचना और प्रसारण की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में लोकसभा वार्ता के लाइव प्रसारण का एक क्रांतिकारी कदम उठाया था. वर्तमान में सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की अखिल भारतीय सचिव के साथ साथ पार्टी की आधिकारिक प्रवक्ता भी थीं.सुषमा स्वराज को वर्ष 2008 और 2010 में दो बार सर्वश्रेष्ठ संसदीय पुरस्कार मिला था. वह उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र महिला सांसद हैं.

सुषमा स्वराज

जयललिता :एमजी रामचंद्रन के साथ जयललिता (Jayalalithaa) 1982 में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की सदस्य बनी थीं. यहां से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. साल 1984 से 1989 तक जयललिता तमिलनाडु से राज्यसभा की सदस्य भी रहीं. एमजीआर के निधन के बाद एआईएडीएमके पार्टी की जिम्मेदारी जयललिता पर आ गईं. बाद में वह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं. यह उनकी राजनीतिक जीत थी कि वह 6 बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं. उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या की समस्या से निपटने के लिए ‘क्रैडल टू बेबी स्कीम’ शुरू की. ‘अम्मा ब्रांड’ की शुरुआत की, जिसमें लगभग 18 लोक कल्याणकारी योजनाएं चलाई गईं. अम्मा के नाम से चलाई जा रहीं ये योजनाएं या तो पूरी तरह मुफ्त थीं, या फिर उनपर भारी सब्सिडी दी जाती थी. एक रुपये में शहरी गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए अम्मा कैंटीन चलाई (Dil se desi) गईं.

जयललिता

मिनीमाता :मिनीमाता (minimata ) का जन्म 1913 में असम के नगांव जिले में हुआ था. बचपन में उनके परिजन उन्हें मीनाक्षी नाम से पुकारते थे. मिनीमाता को छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद थीं.वे वर्ष 1952, 1957, 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सांसद चुनी गई थीं.मिनीमाता बतौर सांसद जब वे दिल्ली में रहती थीं तो उनका वास स्थान एक धर्मशाला जैसा था.उन्हें छत्तीसगढ़ी के साथ हिंदी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था.समाज में पिछड़ापन और छुआछूत जैसी तमाम कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया.संसद में अस्पृश्यता बिल को पास कराने में मिनीमाता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बाल विवाह, दहेज प्रथा, गरीबी और अशिक्षा दूर करने के लिए भी मिनीमाता लगातार आवाज उठाती रहीं.सामान्य और मध्मवर्गीय परिवार से होने के कारण छत्तीसगढ़ की जनता का मिनीमाता से सीधा जुड़ाव था. इसी वजह से प्रदेश की जनता उन्हें राजमाता जैसा सम्मान देती थी.छत्तीसगढ़ के लोग मिनीमाता से इतना प्यार करते हैं कि आज भी प्रदेश सरकार उनके सम्मान में हर वर्ष महिलाओं के विकास के क्षेत्र में काम करने वालों को मिनीमाता सम्मान देती है.छत्तीसगढ़ का विधानसभा भवन भी उनके नाम पर ही बना है. 11 अगस्त 1972 को एक विमान हादसे में उनकी मृत्यु हो गई.

मिनीमाता
Last Updated : Aug 13, 2022, 11:35 AM IST

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