रायपुर: कारगिल युद्ध के वीरों की शौर्य गाथा ETV भारत आपको सुना रहा है. करीब 60 दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में छत्तीसगढ़ के भी जांबाजों ने भी अपना शौर्य दिखाया था. कारगिल विजय दिवस के 21 साल पूरे होने पर हम आपको मिला रहे हैं सैनिक विजय कुमार डागा से, जो कारगिल युद्ध में तुरतुक सेक्टर में पाकिस्तान की सेना से लड़े थे. विजय भारतीय सेना के 9 माहर रेजिमेंट में सिपाही के पद पर पदस्थ थे. उन्होंने बताया कि कारगिल सेक्टर में ही उनकी तैनाती थी. युद्ध के वक्त को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जंग हमेशा जंग की तरह होती है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. विजय कहते हैं कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें कारगिल युद्ध में शामिल होने का मौका मिला और भारत की विजय हुई.
युद्ध वक्त थी कई चुनौतियां
विजय बताते हैं कि युद्ध के वक्त कई दिक्कतें आई थी. पहली चुनौती मौसम की थी और फिर पहाड़ों की. सामने पाकिस्तान का बंकर और उसके सामने भारत का बंकर था. इस बीच दोनों तरफ से लगातार गोलीबारी हो रही थी. विजय कहते हैं कि वह पल बेहद कठिन था. लड़ाई के वक्त सेना ने जो ड्रिल सिखाया उसका सभी ने अनुशासन के साथ पूरा पालन किया. विजय ने बताया कि लड़ाई हो या न हो सभी सिपाहियों को ट्रेनिंग दी जाती है. रोजाना फायर प्रैक्टिस करने का ऑर्डर दिया जाता था.
विजय के साथी हुए थे शहीद
विजय याद करते हैं कि उन्हें सूचना मिली थी कि पाकिस्तानी सेना LOC को पार कर आगे आ रही है और अपना कब्जा जमा रही है. उन्होंने बताया कि वे जिस पोस्ट में थे, वह तुरतुक सेक्टर के अंतर्गत आता है. वहां उनके साथ 10 लोग थे. वहां स्थित बंकर से पाकिस्तानी बंकर में फायर करने का टारगेट होता था. एक दिन पाकिस्तानी सैनिकों ने पोस्ट पर बड़ी बमबारी कर दी, जिससे पूरा पोस्ट ध्वस्त हो गया और उनके 5 साथी शहीद हो गए. विजय कहते हैं कि साथियों का यूं चला जाना बेहद दुखदायक था. विजय ने बताया कि साथियों की मौत का बदला उन लोगों ने भी लिया और फतह हासिल की.