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आपके घर-आंगन की चिड़िया...मैं हूं गौरैया

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Published : Mar 19, 2020, 11:04 PM IST

Updated : Mar 20, 2020, 8:07 PM IST

20 मार्च को हर साल गौरैया दिवस मनाया जाता है. गौरैया दिवस का उद्देश्य इस पक्षी का संरक्षण करना है. आज ये चिड़िया रानी अपना अस्तित्व खोती जा रही है, शायद हमारी गलतियों की वजह से....आइए सुनते हैं नन्हीं गौरैया की कहानी की वह किस दौर से गुजर रही है.

विश्व गौरैया दिवस
विश्व गौरैया दिवस

रायपुर: पहचाना मुझे मैं हूं नन्हीं गौरैया…पहले मैं आपके घर में बेधड़क आती जाती थी आंगन या बाड़ी पर लगे नीम के पेड़ पर फुदकती थी…मैं इंसानों से इतना ज्यादा घुल मिल गई थी कई बार मैं आपके खाने की थाली से भी दाना चुग लेती थी…. जब कोई बच्चा खाना खाने से मना करता था तो मां उसे मनुहार करते हुए कहती थी कि ये गौरैया का निवाला है… और छोटे बच्चे उस निवाला को मेरे नाम से खा लिया करते थे… गर्मी के दिनों में लगभग सभी घरों में मेरी प्यास बुझाने के लिए सकोरे रखे जाते थे… चावल साफ करती मां मेरे लिए भी दाना बिखेर देती थी…. कई लोगों के लिए चिड़िया मतलब मैं ही यानी गौरैया ही थी.

विश्व गौरैया दिवस

मैं लगभग पूरी दुनिया में जहां भी इंसानों ने अपनी आबादी बसाई है.. वहां मैं भी पहुंच गई … दुनियाभर में मेरी कई प्रजाति पाई जाती थी… लेकिन अब मैं बेहद खतरनाक दौर से गुजर रही हूं… मेरी कई प्रजाति विलुप्त होने की कागार पर पहुंच गई है….मेरी संख्या भी अब बेहद कम हो गई है… धीरे धीरे खत्म होने की कगार पर पहुंच रहीं हूं मैं… अब मेरे बच्चे अपनी आंख खोलने से पहले मौत की आगोश में सो जाते हैं… मेरे प्यारे दोस्तों बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मेरी बर्बादी के पीछे कहीं न कहीं आप भी जिम्मेदार हैं… आपने अपनी खेतों में कीटनाशक के नाम पर इतना जहर घोला कि मेरा भोजन जहरीला हो गया है… आपके मोबाइल टॉवर्स से निकलने वाली खतरनाक विकिरण मुझे मौत की मुंह में धकेल रही हैं….जिस तरह से पेड़ों को काटे जा रहे हैं… मेरे लिए अपना घोसला बनाना कठीन हो रहा है… आज ऊंची ऊंची इमारतें बनाई जा रही हैं… इनके मुंडेर तक पहुंचना ही मेरे लिए कठीन है आगर किसी तरह पहुंच भी जाउं तो अब मेरे घोसलों को सफाई के नाम पर आप उसे तोड़ देते हो.

दोस्तों एक बात कहूं मेरा इस तरह खत्म होना आपके लिए भी बड़ी चेतावनी है… मैं प्राकृतिक रूप से मनुष्यों की सहचर हूं… अगर मेरे अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. तो मानकर चलिए कि आप भी किसी खतरे की ओर बढ़ रहे हैं…. अगर इसी तरह से नेचर से खिलवाड़ चलता रहेगा… तो एक दिन आप अपने बच्चों कहानियों में ही बता पावोगे कि एक गौरैया होती थी जो घर में लगे आईने पर अपना चेहरा देखकर उस पर चोंच मारती थी.

आज विश्व भर में मेरा दिवस मनाया जा रहा है… आज के दिन अगर मुझे बचाने के लिए आप छोटा-मोटा प्रयास करें और लोगों को भी बताएं तो हो सकता है… वो दिन फिर लौट आए जब मैं अपनी चहचहाट से आपकी खामोश दुनिया में एक संगीत बन जाउं… फिलहाल मेरे पास खुशी के गीत नहीं है, बांटने के लिए सिर्फ मेरा दर्द ही है.

Last Updated : Mar 20, 2020, 8:07 PM IST

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