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freedom fighters of chhattisgarh  स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बैरिस्टर छेदीलाल की कहानी

आजादी की लड़ाई में छत्तीसगढ़ के भी कई सपूतों ने हिस्सा लिया. आज हम आपको ऐसे ही एक वीर सपूत के बारे में बताने जा रहे हैं.

Story of Freedom Fighter Barrister Chhedilal
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बैरिस्टर छेदीलाल की कहानी

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Published : Aug 9, 2022, 12:39 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 11:46 AM IST

रायपुर:आजादी के 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इस खास मौके पर हम आपको ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर के आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हीं में से एक हैं स्वतंत्रा संग्राम बैरिस्टर सेनानी ठाकुर छेदीलाल (Story of Freedom Fighter Barrister Chhedilal ) . जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. देश के आजाद होने के बाद भी उन्होंने क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान () दिया.

कहां हुआ था जन्म : बैरिस्टर छेदीलाल का जन्म 1887 में अकलतरा (बिलासपुर) में हुआ. अकलतरा से प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद माध्यमिक शिक्षा के लिए बिलासपुर म्यूनिस्पल हाई स्कूल में प्रवेश लिया. शिक्षा के साथ-साथ वो कार्यक्रमों में गहन रूचि रखते थे. बाल्यकाल से ही उनका झुकाव राजनीति के प्रति था. उन दिनों राष्ट्रीय आंदोलन संपूर्ण देश में व्याप्त था. जिससे छत्तीसगढ़ सहित बिलासपुर भी प्रभावित था.

कहां से ली बैरिस्टर की उपाधि : 1901 में माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद वे उच्च शिक्षा ग्रहण करने रायपुर आए. यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उच्चतर शिक्षा हेतु वे प्रयाग गए. विशेष योग्यता के कारण उन्हें छात्रवृत्ति मिलती रही. इंग्लैण्ड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University of England) से उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और इतिहास विषय लेकर बी ए. ऑनर्स की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने इतिहास में एम.ए. किया. सन् 1913 में वे बैरिस्टर की उपाधि लेकर भारत लौटे.


विदेश जाकर पढ़ने वाले छत्तीसगढ़ के पहले विद्यार्थी :ठाकुर छेदीलाल बिलासपुर के प्रथम बैरिस्टर और छत्तीसगढ़ के प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने विदेश जाकर पढ़ाई की और विलायत जाकर अपने देशवसियों के लिए विदेश यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया.


महात्मा गांधी से हुए प्रभावित : बैरिस्टर छेदीलाल गांधीवाद से प्रभावित होकर 1920 के असहयोग आंदोलन को सफल बनाने के लिए सक्रिय रूप से जुट गए. उन्होंने वकालत छोड़कर सत्याग्रह और आंदोलनों में भाग लेना शुरू किया.ठाकुर छेदीलाल राष्ट्रीय जागरण के साथ-साथ सामाजिक सेवा करने लगे. सन् 1921 में बिलासपुर में दूसरा राजनैतिक सम्मेलन आयोजित किया गया.जिसमें बैरिस्टर छेदीलाल ने जनजागृति को प्रोत्साहित करने के लिए भाषण दिया. सन 1921 में मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति का गठन किया गया. जिसमें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के प्रतिनिधियों का निर्वाचन हुआ. ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर भी इसमें निर्वाचित किए गए. असहयोग कार्यक्रम के अंतर्गत 'राष्ट्रीय शिक्षा मंडल' का गठन किया गया. जिसमें ठाकुर छेदीलाल को भी लिया गया. इस मंडल का गठन राष्ट्रीय विद्यालयों के नियंत्रण के लिए किया गया था.

आंदोलन के दौरान हुए गिरफ्तार :25 फरवरी 1932 को सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत बिलासपुर बैरिस्टर छेदीलाल ने धरना प्रदर्शन किया. पिकेटिंग के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.इसके साथ ही नागपुर, विदर्भ कांग्रेस के संयुक्त सम्मेलन में ठाकुर छेदीलाल सभापति बनाए गए. सम्मेलन में दिए गए भाषण की प्रतिक्रिया स्वरूप उन्हें बंदी बनाकर उनके वकालत के लाइसेंस को निरस्त कर दिया गया. 1940-41 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के आरोप में ठाकुर छेदीलाल सहित अन्य नेताओं को गिरफ्तार किया गया. लेकिन क्रिप्स मिशन आगमन की परिस्थितियों में सत्याग्रहियों की मुक्ति के साथ ठाकुर छेदीलाल भी मुक्त हो गए.

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भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े :1942 में 9 अगस्त को बिलासपुर में भारत छोड़ो आंदोलन के परिणामस्वरूप छेदीलाल को 3 वर्ष कैद की सजा दी गई. 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार संविधान निर्मात्री सभा का चुनाव हुआ.ठाकुर जी अनवरत संविधान निर्माण कार्य में सहयोग करते रहे. स्वतंत्रता के बाद भी वे राष्ट्रीय सेवा कार्य में लगे रहे.सितंबर 1956 में दिल का दौरा पड़ने से बैरिस्टर छेदीलाल का निधन हो गया .

Last Updated : Aug 13, 2022, 11:46 AM IST

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