रायपुर: आदिवासी समुदाय के लोग लगातार अपनी मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ महीने पहले ही बस्तर के तमाम आदिवासी राज्यपाल अनुसुइया उईके से मिलने राजधानी पैदल पहुंचे हुए थे. सोमवार को भी आदिवासी समुदाय के लोग अपनी 23 सूत्री मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन किये. आखिर आदिवासी वनवासी समुदाय के लोगों को किस तरह की हो रही परेशानी, क्या है उनकी मांगे? इस बात को लेकर ईटीवी भारत ने भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...
नक्सली से अधिक जनजाति समुदाय के साथ जुल्म करती है पुलिस
वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कहा कि जनजाति समुदाय अत्यंत सीधा-साधा भोला-भाला समुदाय होता है. जनजाति समुदाय वनों में रहते हैं. इस वजह से उन्हें अनेक समस्याएं होती हैं. जनजातियों की सुरक्षा के नाम पर वन क्षेत्रों में पुलिस का कैंप लगाया जाता है. जितना नक्सली जनजाति समुदाय के साथ जुल्म करते हैं, उससे ज्यादा पुलिस वाले करते है. सिलगेर में जब आदिवासी समुदाय के लोग पुलिस के कैंप का विरोध कर रहे थे, तो वहां गोली चला दी गई. और 3 लोग मारे गए .आज तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है. मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया. ना ही पीड़ित के परिवार से किसी को नौकरी दी गई. इसी तरह से आदिवासी क्षेत्र ताड़मेटला, सतिगुड़ा में पुलिसवाले आम लोगों को यह कहकर कि तुम नक्सली से मिले हुए हो.. जुल्म करते हैं.जनजाति क्षेत्रों में पुलिसवाले आम लोगों से कहते है कि नक्सली बहुत परेशान करते हैं. तुम लोग उनके साथ मिले हुए हो ऐसा आरोप लगाकर बहुत सारे आम लोगों को जेल में डाल दिया जाता है.
समुदाय की लड़कियों की रक्षा करने वाला कोई नहीं
सरगुजा में जनजाति समुदाय की लड़कियों को दूसरे समुदाय के लोग उठाकर ले जाते हैं. उनकी बात कोई नहीं सुनता. बहुत तरह की समस्याओं से जनजाति को गुजारना पड़ता है. कोरवा, कामर, पंडो जनजाति तो इतने गरीब हैं कि उनके खाने-पीने तक की परेशानी है. उनको जमीन का पट्टा नहीं दिया जा रहा. कोरवा, कामर, पंडो जनजातियों को लगातार परेशान किया जाता है. जनजाति समुदाय की शिक्षा का भी कोई अच्छा प्रबंध नहीं है. उनके रहने का कोई अच्छा प्रबंध नहीं है. जनजाति समुदाय के लोगों के लिए घोषणा तो बहुत सारी होती है लेकिन होता कुछ नहीं है.
बातचीत करने से होगा नक्सली समस्या का समाधान
जनजाति समुदाय नक्सली समस्याओं को लेकर काफी परेशान हैं. इस समस्या को लेकर प्रशासन एक पहल तो करें. हम चाहते हैं कि जो लोग कथित तौर पर नक्सली हैं. उनके लोग भी बैठें प्रशासन के लोग भी बैठें और बातचीत हो. दुनिया की सारी समस्याओं का हल बातचीत है. विश्वयुद्ध का भी समाधान टेबल पर बैठकर बातचीत करने से होगा. रणभूमि में नहीं. इसी तरह नक्सली समस्या का भी समाधान बैठकर बातचीत करने से होगा.
जनजाति समुदाय पर हो रहे अत्याचार कों देश को जानने का हक