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छत्तीसगढ़ में कड़ा कानून फिर भी नहीं रुक रहे टोनही प्रताड़ना के केस

समाज में महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराध सामने आते हैं, जो रूह कंपा देते हैं. कई बार कुप्रथाओं की जंजीरों में जकड़े समाज में अंधविश्वास की वजह से महिलाएं प्रताड़ित होती हैं. देश के कई राज्यों में जादू-टोने के शक में महिलाओं को डायन बताकर मारा-पीटा जाता है. महिला दिवस पर छत्तीसगढ़ के जशपुर से ऐसा ही वाकया सामने आया था. ETV भारत ने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्रा से इस पर बात की है.

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Published : Mar 10, 2021, 1:42 PM IST

रायपुर:जशपुर के कोतबा क्षेत्र में टोनही प्रताड़ना के नाम पर महिला के साथ हुई मारपीट को लेकर एक बार फिर समाज में व्याप्त अंधविश्वास पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां जादू-टोने का आरोप लगाकर महिला के साथ घर में घुसकर जमकर मारपीट की गई. कई बार कुप्रथाओं की जंजीरों में जकड़े समाज में अंधविश्वास की वजह से महिलाएं प्रताड़ित होती हैं. देश के कई राज्यों में जादू-टोने के शक में महिलाओं को डायन बताकर मारा-पीटा जाता है. छत्तीसगढ़ में भी डायन बताकर महिलाओं को प्रताड़ित करने के मामले सामने आते रहते हैं. ETV भारत ने इस पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश मिश्रा से खास चर्चा की. उन्होंने इस तरह की घटनाओं को पूरे समाज के लिए कलंक बताया है.

दिनेश मिश्रा, अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष

दिनेश मिश्रा ने कहा कि केवल और केवल अंधविश्वास के चलते ही इस तरह की घटनाएं होती हैं. टोनही प्रताड़ना के नाम पर महिलाओं के साथ लगातार इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं. बड़ी विडंबना है कि एक ओर जब महिला दिवस मना कर महिलाओं का सम्मान किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में महिलाओं के साथ इस तरह की शर्मनाक घटनाएं हो रही है.

टोनही प्रताड़ना के नाम पर महिलाओं से लगातार होती है बर्बरता

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश मिश्रा कहते हैं कि जशपुर के कोतबा क्षेत्र के कोकियाझार गांव में हुई घटना के बाद एक बार फिर से यह बात सामने आ रही है कि छत्तीसगढ़ में आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है. पुरानी परंपराओं और अंधविश्वास के चलते ही महिलाओं के साथ लगातार इस तरह की बर्बर घटना सामने आती हैं. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन ही जशपुर के इलाके में एक महिला ग्रामीणों के अंधविश्वास के कारण शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना का शिकार हुई. ऐसी घटनाएं बेहद निंदनीय है. दिनेश मिश्रा ने कहा कि इस घटना में शामिल बैगा और सभी दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. वे कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं में ज्यादातर प्रताड़ित महिलाएं ही होती हैं. महिलाओं के साथ ही टोनही प्रताड़ना के नाम पर ऐसी घटनाएं सालों से आ रही है. उन्होंने कहा कि कई बार महिलाओं के खिलाफ अपराध में महिलाओं का ही हाथ होता है.

'पहले के मुकाबले लोगों में आई जागरूकता'

डॉ दिनेश मिश्रा बताते हैं कि वे 1995 से अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिए काम कर रहे हैं. अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर से ही वे अंधश्रद्धा और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. जब भी इस तरह की घटनाएं होती है. वह अपनी टीम के साथ पहुंचते रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले अब लोगों में जादू-टोना को लेकर जागरूकता बढ़ी है. जिससे काफी हद तक घटनाओं में कमी आई है.

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'छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना पर बना कानून'

छत्तीसगढ़ ही देश में पहला ऐसा राज्य है. जहां इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बना है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में खासकर मैदानी इलाकों में इस तरह की घटनाओं में काफी कमी आई है. हालांकि अभी भी छत्तीसगढ़ के खासकर बॉर्डर जिलों में इस तरह की घटनाएं काफी होती हैं. बॉर्डर राज्यों से तात्पर्य है छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य जिसमें ओडिशा, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के सटे हुए क्षेत्रों में बैगा और टोनही प्रताड़ना के नाम पर लोगों में जागरूकता की जरूरत है.

छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना अधिनियम

छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 के तहत किसी को भी टोनही कहने पर 3 साल का कठोर कारावास, जुर्माने का प्रावधान है. शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने या नुकसान पहुंचाने पर 5 साल के कठोर कारावास और जुर्माने का प्रावधान है.

'जादू-टोने का कोई अस्तित्व नहीं'

डॉ दिनेश मिश्रा ने कहा कि कोई नारी डायन या टोनही नहीं होती है. जादू-टोने का कोई अस्तित्व नहीं होता है. यह सिर्फ अंधविश्वास है. इस तरह किसी भी निर्दोष महिला को प्रताड़ित करना बेहद शर्मनाक और अपराध की श्रेणी में आता है. वे बताते हैं कि ऐसी तमाम घटनाओं को लेकर वे समय-समय पर जन जागरूकता अभियान भी चलाते हैं. हर साल हरेली त्यौहार में वे खुद अपनी टीम के साथ निकल कर ग्रामीण इलाकों में जाकर पूरी रात दौरा करते हैं. वे बताते हैं कि साल में होली और हरेली अमावस्या में सबसे ज्यादा जादू- टोने को लेकर ग्रामीण इलाकों में परंपरा है. यही वजह है कि होली और हरेली में वे अपनी टीम के साथ ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करने अभियान चलाते हैं.

दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग

डॉ दिनेश मिश्रा ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की घटनाओं में शामिल लोगों पर कड़ी से कार्रवाई की जानी चाहिए. वर्तमान में सामने आ रही घटना में भी दोषियों पर तुरंत गिरफ्तार कर उन्हें कड़ी सजा दिलाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि प्रताड़ित महिला को न्याय दिलाने की वे खुद भी कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि महिला को न्याय दिलाने के साथ ही समिति के सदस्य गांव पहुंचकर प्रताड़ित महिला से मिलेंगे और जन जागरण के लिए अभियान भी चलाएंगे.

'आम लोग और दूसरे समाजसेवी भी आगे आए'

21वीं सदी में एक ओर जहां पूरे देश में सामाजिक और हाईटेक क्रांति हो रही है तो वहीं दूसरी ओर टोनही प्रताड़ना के चलते महिलाओं के साथ बर्बरता की घटना सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा कि आम लोगों और समाजसेवियों को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आगे आने की जरूरत है. इस तरह से परंपरा और रूढ़िवादी सोच से किसी महिला के साथ सार्वजनिक रूप से किया जा रहा अत्याचार क्षमा की श्रेणी में नहीं आता है.

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ये है पूरी घटना

जशपुर के कोतबा क्षेत्र के कोकियाझार गांव के अनिरुद्ध यादव की बेटी बार-बार बीमार पड़ने लगी थी. जिस पर गांव के ही एक झाड़-फूंक करने वाले बैगा ने बताया कि उनकी बेटी पर किसी महिला ने जादू-टोना किया है. इसकी पहचान के लिए बैगा ने गांव में सार्वजनिक रूप से डायन की पहचान करने का प्रपंच किया. जिसके लिए बैगा ने कुल्हाड़ी फेंकी और कहा कि जिस घर के सामने कुल्हाड़ी गिरेगी, उसी घर की महिला ने बच्ची पर जादू-टोना किया है. कुल्हाड़ी जिस घर के सामने गिरी उसी घर की महिला को जादू टोना करने वाला दोषी मान लिया गया. गांव वाले महिला के घर पहुंचे और उनकी बेटी को जादू-टोने से बीमार करने का जिम्मेदार ठहरा कर उससे मारपीट शुरू कर दी. अकेली महिला पर लात-घूसों और ईंट-पत्थरों से हमला कर दिया गया. पुलिस के पहुंचने के बाद भी ग्रामीणों ने उस महिला के साथ हमला जारी रखा.

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