रायपुर:घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए, मैं खुद से रूठ गया हूं उसे मनाते हुए.ETV भारत के खास कार्यक्रम में इन पंक्तियों के रचनाकार मशहूर युवा शायर अजहर इकबाल हमारे मेहमान हैं. इंटरनेट की इस दुनिया में अजहर इकबाल उन शायरों में शुमार हैं, जिन्हें युवा सबसे ज्यादा पसंद करते हैं, उन्हें फॉलो करते हैं. अजहर इकबाल ने ETV भारत से बातचीत के दौरान अपनी जिंदगी के कई अनछुए पल साझा किए हैं.
सवाल: आपका बचपन कहां गुजरा और आपने लिखना कब शुरू किया?
जवाब: मेरा बचपन वेस्ट यूपी के बुढ़ेना नाम के कस्बे में बीता है. ये इलाका साहित्य के लिए उपजाऊ जमीन कह सकते हैं. कई नामचीन शायर और कवि यहां से निकले हैं. इसके साथ घर में ही पढ़ने-लिखने का माहौल रहा. मैं जब पढ़ना भी नहीं जानता था, बड़ी बहन उपन्यास पढ़ती थीं, वो उन्हें सुनाया करती थीं. इस तरह माहौल मिला और मेरा रुझान इस ओर बढ़ता चला गया.
सवाल: आज युवा किताबों के बजाए सोशल मीडिया के माध्यम से साहित्य से जुड़ रहे हैं, इसे आप किस तरह देखते हैं?
जवाब:देखिए, जब कुछ नई चीज इजाद होती है तो उसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू सामने आते हैं. जहां सोशल मीडिया के जरिए आप नए लोगों से जुड़ सकते हैं. वहीं कई बार इनके चलते किताब आदि से कटने लगते हैं. इस पर मुझे गुलजार साहब की ये पंक्तियां याद आती हैं.
'किताबें झांकती हैं बंद आलमारी के शीशों से
बड़ी हसरत से तकती हैं
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती '