रायपुर : यूं तो आपने ट्रेन चलाते कई पुरूष लोको पायलट देखें होगें, लेकिन महिला लोको पायलट शायद ही आपने देखा होगा. वूमन्स डे पर हम आपको महिलाओं से जुड़ी उनकी कामयाबी और सफलता की कहानी आप तक पहुंचा रहे हैं. लेकिन एक महिला की सफलता के पीछे पति और पिता दोनों का ही अहम योदगान होता है, इस बात को एक बार फिर साबित कर दिखाया ललिता चौधरी के पिता ने.
ललिता पेशे से लोको पायलट हैं. ललिता अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती हैं. उनके पिता के साथ और आशीर्वाद ने ललिता को आम से खास बना दिया है. ललिता हर रोज पटरियों पर रेलगाड़ी को सरपट दौड़ाती हुई हजारों यात्रियों को सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं. आइए इस रेल सफर के साथ-साथ ललिता के कामयाबी की कहानी खुद ललिता से सुनते हैं.
'रात को बस का सफर किया'
ETV भारत से की गई बातचीत में ललिता चौधरी बताती है कि, 'वह एक छोटे से गांव से आती हैं और उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. उनके घर से कॉलेज तक के सफर के लिए सिर्फ एक ही बस चला करती थी, जिससे वह आया जाया करती थी. ये बस नाइट में चलती थी जिसके कारण आने-जाने में डर लगता था इस वजह से उनके पिता उनके साथ कॉलेज उनको छोड़ने और लाने जाया करते थे'.