रतलाम: 'मालवा की मदर टेरेसा' इसी नाम से मशहूर हैं रतलाम की डॉक्टर लीला जोशी. वे पिछले 22 साल से आदिवासी अंचलों की महिलाओं में खून की कमी यानी कि एनीमिया को लेकर अभियान चला रही हैं. लीला जोशी एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को न सिर्फ मुफ्त इलाज मुहैया करा रही हैं बल्कि 82 साल की उम्र में भी अभियान के जरिए जागरूकता भी फैला रही हैं. समाज के प्रति उनके कार्य के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया है.
ETV भारत से खास बात में लीला जोशी ने जहां महिलाओं के स्वास्थ्य, योजनाओं और अपनी आगे की प्लानिंग पर चर्चा की, वहीं हेल्दी रहने के लिए बहुत जरुरी बात कही है.
चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान
1997 में डॉक्टर लीला जोशी की मुलाकात मदर टेरेसा से हुई थी, जिनसे प्रभावित होकर उन्होंने आदिवासी अंचलों में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं का शिविर लगाकर निशुल्क उपचार शुरू किया था. डॉक्टर लीला जोशी के चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान और सेवा के अथक प्रयासों के ही कारण साल 2015 में उन्हें महिला और बाल विकास विभाग द्वारा देश की 100 प्रभावी महिलाओं में शामिल किया गया था. जिसके बाद उनका चयन 2020 के पद्मश्री अवार्ड के लिए किया गया है.