छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

ताड़मेटला: 10 साल पहले हुआ छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नक्सली हमला, तड़प उठा था देश

एक साथ 76 जवानों के शहादत की खबर से पूरा देश दहल जाता है. रायपुर से लेकर दिल्ली तक के हुक्मरान सकते में आ जाते हैं. 'लाल आतंकियों' ने अपना सबसे बड़ा हमला कर दिया था. इस हमले में शहीद हुए जवानों में नॉर्थ-ईस्ट से लेकर दक्षिण के राज्यों के बेटों ने अपनी जान न्योछावर कर दी थी.

Ten years of Tadmetala Naxal attack
ताड़मेटला नक्सली हमले के दस साल

By

Published : Apr 6, 2020, 12:19 AM IST

रायपुर:6 अप्रैल 2010, आजादी के बाद भारतीय इतिहास का वो काला दिन है जिसका दर्द दशक बीत जाने के बाद भी कम नहीं हुआ है. दस साल पहले 6 अप्रैल की गर्म और अलसाय सी सुबह ने वो मातम बिखेरा जो आज भी जेहन पर किसी जख्म की तरह ताजा है.

ताड़मेटला के शहीदों को श्रद्धांजलि

सुबह 8 बजे के बाद दक्षिण बस्तर से खबर आती है कि चिंतलनार सीआरपीएफ कैंप के पास ताड़मेटला नाम की जगह पर सीआरपीएफ के जवान और नक्सलियों के बीच बड़ी मुठभेड़ हुई है. शुरुआती जानकारी में ही कुछ जवानों के शहीद होने की खबर मिलती है. लेकिन पुलिस या सीआरपीएफ के द्वारा शहीद जवानों की संख्या कनफर्म नहीं किया जाता है. कुछ देर बाद खबर मिलती है कि करीब 12 जवान शहीद हो गए हैं, कई जवानों को गोली लगी है, बड़ा नुकसान हो सकता है, 9 बजते-बजते ये संख्या बढ़कर 76 हो जाती है.

76 जवानों की अर्थियां देख दहल गया था देश

एक साथ 76 जवानों के शहादत की खबर से पूरा देश दहल जाता है. रायपुर से लेकर दिल्ली तक के हुक्मरान सकते में आ जाते हैं. 'लाल आतंकियों' ने अपना सबसे बड़ा हमला कर दिया था. इस हमले में शहीद हुए जवानों में नॉर्थ-ईस्ट से लेकर दक्षिण के राज्यों तक के जवान शामिल थे. 5 अप्रैल को चिंतलनार सीआरपीएफ कैंप से करीब 150 जवान जंगल में सर्चिंग के लिए निकले हुए थे. ये जवान घने जंगल में कई किलोमीटर चलने के बाद जब वापस लौट रहे थे तभी 6 अप्रैल की सुबह करीब 6 बजे ये भीषण मुठभेड़ हुई.

एक हजार नक्सलियों ने जवानों को घेरा था

हमले में बचे जवानों के मुताबिक करीब 1 हजार नक्सलियों ने जवानों को घेर लिया था. नक्सलियों ने बड़ी चालाकी करते हुए ताड़मेटला और चिंतलनार के बीच सड़क पर लैंडमाइन बीछा रखा था और बीच में पड़ने वाली छोटी पुलिया को भी धमाके से उड़ा दिया था.

8 बड़े नक्सलियों को मार गिराया

इस मुठभेड़ में जवानों ने शुरुआत में नक्सलियों को अच्छा जवाब दिया और 8 बड़े नक्सलियों को मार गिराया, लेकिन पास की पहाड़ी से शुरू हुई ताबड़तोड़ गोलीबारी में जवान बुरी तरह घिर गए. इस हमले के बाद नक्सलियों ने जवानों के हथियार, जूते और वायरलैस सेट भी ले गए थे..बताया जाता है कि एक दिन में इतने जवान तो युद्ध काल में एक साथ शहीद नहीं हुए हैं…नक्सलियों के मिलिट्री कंपनी ने इस भीषण मुठभेड़ को अंजाम दिया था. इसकी अगुवाई कुख्यात नक्सली कमांडर मड़ावी हिड़मा करता है.

साल बदल गए, पर तस्वीर वही है

इस भीषण हमले के बाद लंबे समय तक इलाके में अजीब सी खामोशी पसरी रही आम जनजीवन को फिर से बहाल होने में काफी वक्त लग गया था. केन्द्र और राज्य सरकारों ने कई तरह से इस हमले पर चिंतन किया. कई बैठकें हुईं, नक्सलियों को और मजबूती से जवाब देने की रणनीति बनी…लेकिन इस तेज हुए संघर्ष में दस साल बाद भी कमोबेश तस्वीर नहीं बदली है…ये इलाका आज भी घोर नक्सल प्रभावित है. जवान और नक्सलियों के बीच आज भी संघर्ष जारी है. कभी जवान भारी पड़ते हैं तो कभी नक्सली अपने नापाक मंसूबों पर कामयाब हो जाते हैं लेकिन इस सबकी कीमत आज भी चुका रहे हैं तो यहां के भोले भाले आदिवासी...और रोता है अगर कोई तो अकेले बस्तर. इस जगह का दर्द एक है, बस दास्तां अनेक हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details