रायपुर: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का छत्तीसगढ़ की कांग्रेसशासित सरकार विरोध कर रही है. इन्हीं कानूनों के खिलाफ सरकार विधानसभा में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक-पेश करेगी. विधानसभा में पहले दिन आज सुबह 11 बजे दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी जाएगी. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व मंत्री चनेशराम राठिया, अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य लुईस बेक, डॉ.चन्द्रहास साहू, डॉ.राजेश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, माधव सिंह ध्रुव, शशिप्रभा देवी को सदन में श्रद्धांजलि दी जाएगी.
इसके बाद 2 अगस्त 2020 के सत्र के प्रश्नों के अधूरे उत्तरों के संकलन को पटल पर रखा जाएगा. इसके बाद कैबिनेट में अनुमोदित किए गए कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर चर्चा होगी. सदन में चर्चा के बाद यह विधेयक पारित होगा.
'टकराहट के लिए नहीं किसानों की मदद के लिए कानून'
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि हमारा कृषि कानून किसानों से हित के लिए है, केंद्र से टकराहट के लिए नहीं है. मंडी एक्ट में संशोधन के लिए चर्चा हुई है, जिसे विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा.
मंडी संशोधन विधेयक में क्या है खास
मंडी संशोधन विधेयक में ये प्रोविजन शामिल हैं-
- इसमें मंडी के कार्य क्षेत्र का विस्तार शामिल है. छत्तीसगढ़ सरकार सीधे नया कानून बनाने के बजाय राज्य के ही मंडी अधिनियम में संशोधन करने जा रही है. इससे मंडी को नियंत्रित करने का अधिकार मिल जाएगा.
- आवश्यक वस्तु अधिनियम में जिस तरह लिमिट हटाई गई है, उसको नियंत्रित करने के लिए लेखा रखने का अधिकार. केंद्रीय कानून में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लिमिट की सीमा को खत्म करने की बात की गई है, लेकिन भूपेश सरकार अपने अधिनियम में संशोधन कर नई धाराएं जोड़ने वाली है, ताकि भंडारण और कारोबार के संचालन के लिए एक नियम हो. इसके तहत छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अधिकारियों को यह अधिकार मिल जाएगा कि किसी तरह की गलत जानकारी पर संबंधित संस्थान या व्यापारियों पर कार्रवाई कर सकें.
- किसानों के संरक्षण का अधिकार. मोदी सरकार के कृषि कानूनों का विरोध करने वालों का तर्क है कि इनके लागू होने से किसानों की स्वायतत्ता खत्म हो जाएगी, साथ ही उन्हें अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल पाएगा. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार मंडी विधेयक में बदलाव करने जा रही है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम खरीदी पर दंड का प्रावधान नहीं करने वाली है. यहां पंजाब से अलग स्थिति है. यहां राज्य सरकार एफसीआई के लिए खरीदी करती है, इस कारण एमएसपी वाले प्रावधान को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इस पर विधानसभा के शीत सत्र में कानून में संशोधन कर नया प्रावधान लाने की उम्मीद है.
'विपक्ष का काम है विरोध करना'
रविंद्र चौबे ने यह भी कहा कि पंजाब के जैसे कानून बनाते तो शायद ये बातें हो सकती थी. एग्रीकल्चर ट्रेड के आधार पर सभी कानून बनाए गए हैं. राज्य की सूची में कृषि शामिल है. केंद्र सरकार से टकराहट के लिए कानून नहीं है, बल्कि किसानों की मदद के लिए है.
विपक्ष की रणनीति
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इस विधेयक की जो कानूनी गड़बड़ियां हैं, उसके बारे में हम सभी अपना पक्ष रखेंगे. राज्य का अधिकार ही नहीं है कि इस पर कोई कानून बना सके. छत्तीसगढ़ में 27 और 28 अक्टूबर को कृषि कानून के नाम पर हो रही विशेष विधानसभा सत्र को लेकर सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक भी हुई. इस बैठक में सरकार को घेरने के लिए रणनीति बनाई गई. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बैठक के बाद ये सवाल उठाए
- किस विषय को लेकर कांग्रेस विशेष सत्र बुला रही है?
- आखिर कौन सी ऐसी इमरजेंसी आ गई की विशेष सत्र को बुलाना पड़ रहा है?