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EXCLUSIVE:  धरोहर को बचाने की मुहिम, पद्मश्री अरुण शर्मा से खास बातचीत - Protection of archaeological heritage

छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक धरोहरों और उनके संरक्षण के विषय पर देश के प्रमुख पुरातत्वविद् पद्मश्री अरुण शर्मा ने ETV भारत से खास बातचीत.वे ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने सिरपुर में मिली प्राचीन मूर्तियों और मुखौटों के आधार पर कहा था कि हजारों साल पहले यहां एलियन आते थे.

special conversation with padmashree arun sharma
पद्मश्री अरुण शर्मा से खास बातचीत

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Published : Apr 19, 2020, 7:32 PM IST

Updated : Apr 21, 2020, 10:40 AM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ पुरातात्विक धरोहरों का गढ़ मना जाता है. यहां रामायण, महाभारत और बौद्धकालीन कई अवशेष मिले हैं, जो हमारे समृद्ध विरासत को बताते हैं. इन धरोहरों को सहेज कर रखना बहुत ही जरूरी है. इस विषय पर देश के प्रमुख पुरातत्वविद् पद्मश्री अरुण शर्मा ने ETV भारत से खास बातचीत की.

छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक धरोहर पर खास बातचीत

पद्मश्री अरुण शर्मा ने ETV भारत से खास बातचीत में बताया कि छत्तीसगढ़ में पोडागढ़ से लेकर केशकाल की घाटी तक पुरातत्विक क्षेत्र फैला हुआ है. यूनेस्को के मुताबिक छत्तीसगढ़ के सिरपुर भारत का विशाल पुरातात्विक क्षेत्र है. यहां खुदाई में तीन धर्मों का अवशेष मिला है, जिसमें 30 मंदिर, 12 बुद्ध विहार और जैन विहार मिले है. उन्होंने बताया कि सिरपुर में बड़े- बड़े बुद्ध विहार और विश्वविद्यालय था, जो नालंदा से चार गुना बड़ा था और यहां पढ़ने के लिए विदेशों से विद्यार्थी आते थे और धर्म प्रचार करते थे.

पढ़ेंः-SPECIAL: विश्व धरोहर दिवस पर जाने रायपुर की धरोहरें, जो बढ़ा रही प्रदेश की गरिमा

उन्होंने बताया कि यही वो स्थल है, जहां महात्मा बुद्ध अमरावती से लौटते वक्त आए थे. और महान रसायनज्ञ नागार्जुन भी आए थे. इसके अलावा राजिम में बालार्जुन ने एक भस्मशाला का निर्माण किया था. जहां आयुर्वेदिक दवाईयों के लिए सोना, चांदी और शंख की भस्म बनाई जाती थी.

राम-वन-गमन दूसरा सबसे बड़ा धरोहर

पुरातत्वविद् शर्मा ने बताया कि राम-वन-गमन प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी धरोहर है. जहां से भगवान राम अमरकंटक से बीजापुर के इंद्रावती नदी तक पहुंचे थे. इसके अलावा श्रीपचराही, तरीघाट बहुत ही अद्भुत जगह है, जो खारुन नदी के पास बसी है. यहां कभी बड़े-बड़े शहर बसे हुए थे, जिसके अवशेष आज भी मिलते हैं. जिनमें राजिम और शिवरीनारायण सबसे बड़ा है. यहां पर श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा की थी.

छत्तीसगढ़ में ऐसी कई जगह हैं, जिन्हें प्रदेश का नया इतिहास लिखने के लिए सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है. इसके लिए यह भी जरूरी है कि छत्तीसगढ़ का पुरातत्व विभाग किसी पुरातत्वविद् के संरक्षण में रहे.

Last Updated : Apr 21, 2020, 10:40 AM IST

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