रायपुरःकोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन को 50 दिन से भी ज्यादा हो गया है. केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए लॉकडाउन 4 की भी घोषणा कर दी है, जो 18 मई से लागू हो जाएगा. लॉकडाउन की वजह से एक ओर जहां कोरोना जैसी वैश्विक माहामारी से बचने का कारगर उपाय बताया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर इस के कुछ और भी परिणाम सामने आ रहे हैं.
लॉकडाउन के कारण लोगों को लगातार घर पर रहना पड़ रहा है, जिसकी वजह से लोगों में मानसिक तनाव, डिप्रेशन जैसी बीमारी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के सबसे बड़े और व्यस्ततम अस्पताल माने जाने वाले मेकाहारा में डिप्रेशन के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस विषय पर मेकाहारा के मनोचिकित्सक विभाग के डॉक्टर सुरभि दुबे से ETV भारत की खास बातचीत हुई.
लॉकडाउन के दौरान बढ़ी मानसिक बीमारी
साइकेट्रिस्ट सुरभि दुबे ने बताया कि अमूमन डिप्रेशन के मामले 10 से 12 फीसदी होते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन बढ़ने से मामले तकरीबन 20 फीसदी तक हो गए हैं. रोजाना ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जो लोग लॉकडाउन के कारण बेहद परेशान हैं. उन्होंने बताया कि 'जो लोग आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों की समस्या आगे की परिस्थिति को लेकर है, क्या होगा? कैसी होंगी? लॉकडाउन कब तक खुलेगा? क्या यह बीमारी उनको तो नहीं हो जाएगी ? यह उनके परिवार के किसी को नहीं हो जाएगी इसकी भी चिंता उन्हें लगातार है. इसके अलावा ऐसे भी केस सामने आ रहे हैं जिसमें लोग अपने कैरियर को लेकर बहुत परेशान हैं. कुछ केस में ऐसा भी देखा गया है कि लोगों के परिजन घर के बाहर कहीं अटके हुए हैं या वह खुद किसी दूसरे राज्य में फंसे हुए है, जिसकी वजह वे डिप्रेशन में है.