रायपुर:पूरे देश सहित प्रदेश में वैक्सीनेशन का तीसरा चरण जारी है. लेकिन इस दौरान लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. जैसे- अगर वह कोरोना संक्रमित हुए और उन्हें वैक्सीन लगा दी गई तो शरीर पर क्या साइड इफेक्ट होगा ? कई बार यह भी देखा गया है कि कोरोना संक्रमित होने के बावजूद लोगों के शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखता है और वे वैक्सीन लगवा लेते हैं. इससे उनके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? इस बात को लेकर भी लोग चर्चा कर रहे हैं. इसके अलावा वैक्सीन लगवाने के दौरान लोगों को किस तरह की सावधानी रखनी चाहिए. ये ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है. इन सवालों के जवाब के लिए ETV भारत ने रायपुर मेडिकल कॉलेज के ह्रदय रोग विशेषज्ञ और एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट के विभागाध्यक्ष डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव से खास बातचीत की.
सवाल : कोरोना वैक्सीन लगाने के दौरान कोरोना गाइड लाइन के अनुसार किन किन बातों का ध्यान रखा जाता है ?
डॉ. स्मित: वैक्सीनेशन के दौरान यह देखा जाता है कि जिस व्यक्ति को कोरोना हो चुका है. उस व्यक्ति को 1 महीने बाद वैक्सीन लगाई जाए, भले ही उस व्यक्ति को पहला डोज लग चुका हो, और उसके बाद उसे कोरोना हुआ है. कोरोना होने के 1 महीने बाद ही वैक्सीन का दूसरा डोज लगेगा. यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को वैक्सीन लग जाएगी तो ऐसा नहीं है कि उसको बहुत ज्यादा रिएक्शन होंगे. लेकिन रिएक्शन होने की संभावना रहती है और इसी संभावनाओं को खत्म करने के लिए यह सुझाव दिया गया है.
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सवाल : पहली से दूसरी वैक्सीन के बीच कितने दिन का अंतर होना चाहिए. क्योंकि यह अंतर लगातार बढ़ता गया है?
डॉ. स्मित: वैक्सीनेशन को लेकर लगातार शोध किया जा रहा है. इस शोध के बाद पता चला है कि वैक्सीन का पहला डोज लगने के बाद एंटीबॉडी तैयार हो जाता है. यदि दूसरे डोज के बीच अंतर ज्यादा रखा जाए तो इससे लोग लंबे समय तक सुरक्षित रहे सकते हैं. इसलिए अलग-अलग व्यक्तियों में टीके लगाने के लिए दो वैक्सीने के बीच का अंतर अलग-अलग है. लेकिन इससे कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है. सिर्फ वैक्सीन लगाना जरूरी है और इससे ही हम कोरोना से सुरक्षित रह सकते हैं. अब तक करोड़ों लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. लेकिन कहीं ऐसा नहीं देखा गया है कि वैक्सीन लगने की वजह से किसी की मौत हुई हो, हां यह जरूर हो सकता है कि 11-12 लाख लोगों में एक व्यक्ति की वैक्सीनेशन के कारण मौत हुई हो. जबकि वैक्सीन नहीं लगाया गया तो 100 में से लगभग 3 लोगों की मौत हो जाती है. इसलिए 2 गज की दूरी मास्क सहित वैक्सीन जरूरी है.
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सवाल : यदि कोरोना संक्रमित को वैक्सीन लगती है तो उसके कुछ हद तक साइड इफेक्ट हो सकते हैं, इस संभावनाओं के बाद भी अब तक वैक्सीनेशन सेंटर में पहुंचने वाले लोगों की कोरोना जांच या उनकी कोरोना रिपोर्ट देखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
डॉ. स्मित:अब तक ऐसा नहीं देखा गया है कि यदि कोरोना संक्रमित को वैक्सीन लगाई गई हो और उसका प्रभाव सामान्य लोगों को लगाई गई वैक्सीन से अलग रहा हो. वैक्सीनेशन के बाद जैसा सामान्य लोगों में शरीर दर्द, बुखार या फिर अन्य कोई प्रभाव पड़ता है. उसी तरह संक्रमित व्यक्ति को भी वैक्सीन लगाए जाने के बाद प्रभाव देखने को मिल सकता हैं. किसी भी टीकाकरण के दौरान सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं. यही कारण है कि अभी तक घर पहुंच टीका लगाने की व्यवस्था नहीं की गई है. छोटे बच्चों को भी वैक्सीन लगाई जाती है तो वैक्सीनेशन सेंटर में पूरी तैयारी होती है. किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव हो तो तुरंत उसका उपचार किया जा सके. वैक्सीनेशन के पहले हर मरीज की हिस्ट्री चेक की जाती है और उसके बाद ही उन्हें वैक्सीन लगाई जाती है.