रायपुर:राजधानी रायपुर में स्काईवॉक का निर्माण बीजेपी शासनकाल में पूर्व मंत्री राजेश मूणत के पहल पर हुई थी. उस दौरान इस स्काईवॉक का विरोध विपक्षी दल सहित अन्य वर्गों द्वारा भी किया गया था. उन लोगों का मानना था कि स्काईवॉक की जगह फ्लाईओवर ज्यादा फायदेमंद होगा. जिससे यातायात सुगम हो सकता था. बावजूद इसके सरकार ने इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी देते हुए निर्माण कार्य शुरू करा दिया. सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने स्काईवॉक के निर्माण पर रोक लगा दी. अब करोड़ रुपए का यह स्काईवॉक जर्जर होता जा रहा है. जगह-जगह इसके छज्जे हवा में लटक रहे हैं. इस जर्जर होते स्काईवॉक की वजह से कभी भी यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इस मसले सरकार समेत विपक्षी दल भी चुप हैं.
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निर्माणाधीन स्काईवॉक में खर्च हुए 77 करोड़
जानकारी के मुताबिक, साल 2016-17 में स्काईवॉक के संबंध में सर्वेक्षण कराया गया था. इसके कंसलटेंट एसएन भावे एसोसिएट मुंबई ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि शास्त्री चौक से प्रतिदिन 27,000 यात्री और मेकाहारा चौक पर 14,000 पैदल यात्रियों का आना-जाना होता है. इसके आधार पर स्काईवॉक निर्माण की निविदा साल 2016-17 में आमंत्रित की गई थी. निविदा में मेसर्स जीएस एक्सप्रेस लखनऊ को 42.55 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया. यह निर्माण 8 महीने में पूरा किया जाना था. इसकी कुल लंबाई रोटरी सहित 1,470 मीटर थी और इसमें 10 स्थानों पर सीढ़ी, 8 जगह एस्केलेटर और दो जगह लिफ्ट लगाना था. बाद में इसकी पुनरीक्षित लागत राशि बढ़ाकर 77 करोड़ रुपये हो गई.
स्काईवॉक पर लगभग 35 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च
वर्तमान में इसका लगभग 60 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है. यानी कि लगभग 35 करोड़ से ज्यादा का काम हो चुका. यही वजह है कि अब ना तो ऐसे तोड़ा जा सक रहा है, और ना ही उसका कोई उपयोग हो पा रहा है, जिस वजह से यह स्काईवॉक अब जंग लगने लगा है.
'स्काई' यानी की हवा में चल रही है कांग्रेस सरकार
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP State Spokesperson Sanjay Srivastava) का कहना है कि हमारी सरकार ने इस स्काईवॉक की परिकल्पना की थी और इसे हम बना रहे थे लेकिन यह कांग्रेस सरकार पूरी 'स्काई' यानी की हवा में चल रही है. पहले इनके द्वारा इस स्काईवॉक का विरोध किया गया लेकिन अब सवा 3 साल का वक्त बीतने के बाद भी स्काईवॉक को लेकर यह सरकार ना तो दो कदम आगे बढ़ रही है और ना ही पीछे हट रही है.