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Significance of Lohri bonfire : लोहड़ी में अलाव जलाने का पौराणिक महत्व, जानिए

Lohri: लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब में हिंदू और सिख समुदाय के लोग मनाते हैं. लोहड़ी पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. लोहड़ी का त्योहार सर्दियों की फसलों के पकने के और एक नई फसल के मौसम की शुरुआत का जश्न होता है. लोहड़ी की रात लोग इकट्ठा होते हैं. सभी पारंपरिक लोक गीत और नृत्य कर जश्न मनाते हैं. Lohri 2023 celebration

Lohri 2023 celebration
लोहड़ी 2023 उत्सव

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Published : Jan 12, 2023, 7:15 PM IST

Updated : Jan 13, 2023, 12:30 PM IST

रायपुर:अलाव जलाना लोहड़ी उत्सव का एक मुख्य आकर्षण है. यह अग्नि देवता को समर्पित होता है. लोग अग्नि देवता को तिल, गुड़ और मिठाई जैसे खाद्य पदार्थ चढ़ाते हैं. फिर अग्नि देव का आशीर्वाद लेते हैं. पंजाबी लोककथाओं के अनुसार माना जाता है कि लोहड़ी पर जलाई जाने वाली अलाव की लपटें लोगों की प्रार्थनाओं को सूर्य देवता तक पहुंचाती हैं. जिसके बदले में सूर्य देव भूमि को आशीर्वाद देते हैं और उदासी के दिनों को समाप्त करते हैं. लोहड़ी के एक दिन बाद मकर संक्रांति मनाई जाती है. अलाव प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है कि उज्ज्वल दिन आ गए हैं.

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लोहड़ी का मतलब गुड़ और तिल:लोहड़ी शब्द 'तिलोहरी' यानी 'तिल' से आया है. जिसका अर्थ होता है तिल और 'रोढ़ी' का अर्थ होता है गुड़. इसलिए इस त्यौहार को लोहड़ी कहा जाता है. लोगों का मानना था कि सूखे मेवे के साथ तिल और गुड़ हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये नए साल में हमारी ऊर्जा को नवीनीकृत करते देते हैं. इसीलिए प्रकृति को आभार देने के लिए अग्नि देवता को गुड़, गजक, तिल की चिक्की और चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थ लोहड़ी के दिन चढ़ाए जाने की परंपरा है. एक बार जब आग शांत हो जाती है तो रात का खाना परोसा जाता है. जिसमें मक्का की रोटी, सरसों दा साग और लस्सी शामिल हैं.

खुशियों का पर्व है लोहड़ी: लोहड़ी खुशियों का पर्व है. यह त्योहार किसानों के नए साल के रूप में मनाया जाता है. पंजाब में लोहड़ी फसल काटने के दौरान मनाया जाता है. मान्यता है कि फसल काटने से घर में आमदनी बढ़ती है और खुशियां आती हैं.

लोहड़ी पर लोककथा भी प्रचलित: लोहड़ी के त्यौहार के पीछे एक प्रसिद्ध लोककथा है. जिसके नायक दुल्ला भट्टी हैं. वह मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान पंजाब में रहते थे. वह गरीबों के लिए मसीहा के समान थे. वे अमीरों को लूटते थे और गरीब जरूरतमंदों की सहायता करते थे. इतिहासकारों का दावा है कि उन्होंने एक बार एक बच्ची को अपहरणकर्ताओं से बचाया और उसे अपनी बेटी की तरह पाला. जिसके बाद लोग हर साल उनकी प्रशंसा और प्रेम में लोहड़ी के दिन पारंपरिक गीत 'सुंदर मुंदरी' गाने लगे.

Last Updated : Jan 13, 2023, 12:30 PM IST

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