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kartik purnima 2022 कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और मान्यता - कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि

kartik purnima 2022 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं. यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र हो तो यह ‘महाकार्तिकी’ होती है. वहीं भरणी नक्षत्र होने पर इस पूर्णिमा का विशेष फल प्राप्त होता है. रोहिणी नक्षत्र की वजह से इसका महत्व और बढ़ जाता है.

kartik purnima 2022
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और मान्यता

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Published : Nov 7, 2022, 7:20 AM IST

Kartik purnima 2022 : दीपावली के बाद आने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं.8 नवंबर को इस साल कार्तिक पूर्णिमा मनाया जाएगा. कार्तिक पूर्णिमा 2022 पर संध्या के समय भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान का फल दस यज्ञों के समान होता है। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे महापुनीत पर्व कहा है.

कार्तिक पूर्णिमा पर क्या करें :कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दीपदान, होम, यज्ञ और ईश्वर की उपासना का विशेष महत्व है इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं-

● पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल जाग कर व्रत का संकल्प लें और किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें
● इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुईया और क्षमा इन छः कृतिकाओं का पूजन अवश्य करना चाहिए
● कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके बैल का दान करने से शिव पद प्राप्त होता है
● गाय, हाथी, घोड़ा, रथ और घी आदि का दान करने से संपत्ति बढ़ती है
● इस भेड़ का दान करने से ग्रहयोग के कष्टों का नाश होता है
● कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होकर प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं
● कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखने वाले व्रती को किसी जरुरतमंद को भोजन और हवन अवश्य कराना चाहिए
● इस दिन यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करना चाहिए

कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक इस दिन किये जाने वाले दान-पुण्य के कार्य विशेष फलदायी होते हैं. यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पद्मक योग का निर्माण होता है, जो कि बेहद दुर्लभ है. वहीं अगर इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति हो तो, यह महा पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता है.

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