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World cancer Day 2023 : विश्व कैंसर दिवस का महत्व और इतिहास

विश्व कैंसर दिवस की स्थापना अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ यानी UICC ने की. यह एक अग्रणीय वैश्विक संस्था है. इसका लक्ष्य विश्व कैंसर घोषणा, 2008 के लक्ष्यों को पूरा करना है. अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ की स्थापना साल 1933 में हुई थी. इस दिवस पर कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं कैंसर से बचाव के कई अभियान चलाते हैं.

World cancer Day 2023
विश्व कैंसर दिवस का महत्व

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Published : Jan 19, 2023, 2:17 PM IST

रायपुर/ हैदराबाद :मानव शरीर अनगिनत कोशिकाओं यानी सैल्स से बना हुआ है. इन कोशिकाओं में लगातार विभाजन होता रहता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है . इस पर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है. कभी कभी जब शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण बिगड़ जाता है तो कोशिकाएं बेहिसाब तरीके से बढ़ने लगती हैं, उसे कैंसर कहा जाता है.

विश्व कैंसर दिवस का इतिहास :प्रथम विश्व कैंसर दिवस 1993 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी) के निर्देशन में मनाया गया था. यह कुछ प्रसिद्ध कैंसर संस्थाओं, अनुसंधान संस्थानों, उपचार केंद्रों और रोगी समूहों के समर्थन की मदद से हुआ. उस समय की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 12.7 मिलियन लोग कैंसर से पीड़ित थे. लगभग 7 मिलियन लोग हर साल कैंसर के कारण अपनी जान गंवा रहे थे. इस घातक बीमारी को नियंत्रित करने के लिए विश्व कैंसर दिवस मनाया गया. विश्व कैंसर दिवस कार्यक्रम को हर साल एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है कैंसर दिवस :हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. यूआईसीसी का उद्देश्य 2008 में लिखे गए विश्व कैंसर घोषणा का समर्थन करना है. इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर रोगियों की संख्या को कम करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर को कम करना है. कैंसर से ग्रस्त लोगों को एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीने का पूरा अधिकार है. उन्हें आत्मसम्मान महसूस करना चाहिए. अपने घर और समाज में एक सामान्य वातावरण प्राप्त करना चाहिए. इस तरह के मिथक को खत्म करने के लिए ये दिन मनाया जाता है. इसके होने के कारण, लक्षण और उपचार जैसे कैंसर की सभी वास्तविकता के बारे में सामान्य जागरुकता बनाने के लिए इसे मनाया जाता है.

कैंसर के संभावित लक्षण : लंबे वक्त तक खांसी रहना, भोजन करते समय निगलने में कठिनाई होना, शरीर में किसी भी प्रकार की अनियंत्रित दर्द रहित गांठ, शरीर के किसी भी हिस्से से पानी या खून का बहना, तिलों का विकास बढ़ना और रंग बदलना , भूख में कमी आना, बिना किसी कारण के वजन कम होना या बढ़ना, हर समय थकान या आलस महसूस होना,पेशाब करने में कठिनाई या दर्द महसूस होना. भारत में होने वाले कैंसर मरीजों की संख्या की जीवनशैली में बदलाव, तम्बाकू और मदिरा निषेध से कैंसर के मामले 50 प्रतिशत तक कम किए जा सकते हैं. यदि हम उचित व्यायाम का नियम बनाएं, वजन नियंत्रित रखें, शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता दें और कैंसर कारक तत्वों से बचे तो इससे बचा जा सकता है.

21वीं सदी में कैंसर पर नियंत्रण :21 वीं सदी में कैंसर के प्रति जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण हो गई है. कैंसर की समझ, निदान, और उपचार में भी तेजी आई है. 1990 में 8 लाख 10 हजार नए मामले सामने आए. 2000 में 10 लाख, 2008 में 12.4 लाख, और 2012 में 14.1 लाख मामले सामने आ चुके हैं. कैंसर से दुनिया भर में होने वाली वार्षिक मौतों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. 1990 में 5.2 लाख, 2012 में 8.2 लाख, 2018 में अनुमानित 9.6 लाख लोग कैंसर के कारण जान गवां चुके हैं.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यदि कैंसर की घटनाओं की रिपोर्ट ISI दर से वृद्धि जारी रही, तो 2040 तक कैंसर से दुनिया भर में मौतों की संख्या 16.3 मिलियन से अधिक होगी.कैंसर से होने वाली 40 प्रतिशत मौतों को रोका जा सकता है. कैंसर की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाना. दुनिया भर के कई कैंसर और स्वास्थ्य संगठनों का एक प्रमुख लक्ष्य बन गया है.

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