सिद्धार्थनगर :उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह के गृह जनपद सिद्धार्थनगर में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिले में चल रहे कोविड वैक्सीनेशन के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों ने कुछ लोगों को पहली डोज़ कोविशील्ड की और दूसरी डोज़ कोवैक्सीन की लगा दी. इसके चलते वैक्सीन लगवा चुके लोग भयभीत हैं.
पूरा मामला जिले की बढ़नी प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र का है जहां औदही कलां गांव व एक अन्य गावं में लगभग 20 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज कोविशिल्ड की लगाई गई, लेकिन 14 मई को दूसरी डोज लगाते समय स्वास्थ्यकर्मियों ने भारी लापरवाही बरतते हुए कोवैक्सीन की लगा दी.
स्वास्थ्य मंत्री के जिले में वैक्सीनेशन में लापरवाही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप
इस बात की जानकारी होते ही विभाग में हड़कंप मच गया. सब एक दूसरे पर इस गलती का आरोप लगाने लगे. वहीं, इस बात की जानकारी जब वैक्सीन लगवा चुके लोगों को हुई तो वह भी भयभीत हो गए. इन सभी ने 2 अप्रैल को कोविशील्ड की पहली डोज ली थी. इसके बाद शुक्रवार 14 मई को दूसरे डोज में कोविशील्ड की जगह कोवैक्सीन लगा दी गई. हालांकि कॉकटेल वैक्सीन लगने के बाद भी किसी को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नही हुई है लेकिन सभी लोग डरे हुए हैं.
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इनकी हो रही माॅनिटरिंग
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार औंदही कला गांव की मालती देवी, छेदीलाल, सनेही, रामकुमार, गोपाल, मुन्नी, शहाबुद्दीन, मोहम्मद इकराम धोबी, रामसूरत, राधेश्याम शुक्ल, अनारकली, चंद्रावती, सोमना, बेलावती, इंद्र बहादुर, रामकिशोर, उर्मिला मालती देवी, रामप्रसाद और नंदलाल चौधरी को अलग-अलग वैक्सीन लगा दी गयी है. इनके स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग की जा रही है.
सीएमओ ने गठित की जांच टीम
वहीं, विभागीय लापरवाही के इस मामले को लेकर जब सीएमओ संदीप चौधरी से बात की गयी तो उन्होंने स्वीकार किया कि लगभग 20 लोगों को स्वास्थ्यकर्मियों ने लापरवाही बरतते हुए कॉकटेल वैक्सीन लगा दी है. विभागीय टीम इन सभी लोगों पर नजर बनाये हुए है. अभी तक किसी व्यक्ति में कोई समस्या नहीं देखने को मिली है. इस गंभीर लापरवाही के लिए जांच टीम भी बना दी गई है. इसकी रिपोर्ट आते ही जो दोषी कर्मचारी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
जानें क्या है गाइडलाइन ?
भारत में अभी तक कोविड-19 के दो टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन के ही लगाए जा रहे हैं. यदि किसी को पहला टीका कोवैक्सीन का लगा है, तो दूसरा टीका कोविशील्ड का लगना चाहिए. इसकी जानकारी टीकाकरण करने वाले लगभग सभी हेल्थ प्रोफेशनल्स को रहती है. इसके बाद भी लापरवाही बरती गई.
(ANI इनपुट के साथ)