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Shani Pradosh Vrat 2023: पुत्र रत्न के लिए शनि प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें भगवान भोलेनाथ को खुश - शनि प्रदोष व्रत 2023

फाल्गुन महीने का दूसरा शनि प्रदोष व्रत 4 मार्च को पड़ रहा है. इस दिन भगवान भोलेनाथ की उपासना करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. जानिए कैसे करे व्रत के दिन पूजा और क्या है शनि प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त.

Shani Pradosh Vrat 2023
शनि प्रदोष व्रत

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Published : Feb 25, 2023, 5:50 AM IST

रायपुर:फाल्गुन के महीने में दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में पड़ रहा है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाएगा. यह प्रदोष इस हिंदी महीने का दूसरा शनि प्रदोष व्रत होगा. फाल्गुन के महीने का पहला शनि प्रदोष व्रत फरवरी महीने में महाशिवरात्रि के दिन पड़ा था. शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की उपासना की जाती है. यह पूजा प्रदोष के दिन देर शाम के प्रदोष मुहूर्त के समय की जाती है.

शनि प्रदोष व्रत से मिलता है मनचाहा फल:शनि प्रदोष व्रत और भगवान भोलेनाथ का ध्यान करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथाओं में भी प्रदोष व्रत की बहुत ज्यादा मान्यता है. आदिकाल से ही इस दिन व्रत रखने से मनचाहे फल की प्राप्ती होती है. भगवान भोलेनाथ की उपासना से मनचाहा फल मिलता है.

प्रदोष व्रत में पूजा के शुभ मुहूर्त:अगले महीने 04 मार्च को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. व्रत के लिए शुभ मुहूर्त 4 मार्च को शाम 06 बजकर 23 मिनट से शुरु होकर रात 08 बजकर 50 मिनट तक चलेगा. इसी समय दौरान भगवान भोलेनाथ की उपासना करना बेहद लाभदाई साबित होगा.

शनि प्रदोष व्रत के ये हैं शुभ योग:फाल्गुन के महीने का यह दूसरा शनि प्रदोष व्रत है. जिसके बाद दो प्रदोष के दो शुभ योग शोभन और रवि योग में पड़ेंगे. 4 मार्च को सबह से लेकर शाम 07 बजकर 37 मिनट तक शोभन योग होगा. जब्कि शाम 06 बजकर 41 मिनट से दूसरे दिन 05 मार्च को सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक रवि योग रहेगा. ये दोनों ही योग बेहद शुभ माने जा रहे हैं. इस समय में पूजा और ध्यान करने से मनचाहे फल की प्राप्ती होती है.

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ऐसे भी हैं शुभ योग:इसके साथ ही 04 मार्च को प्रदोष व्रत वाले दिन ही रुद्राभिषेक का भी शुभ मुहुर्त पड़ रहा है. इसी दिन शिववास का शुभ योग भी बन रहा है. प्रदोष व्रत वाले दिन ही भगवान शिव का वास कैलाश में सुबह से लेकर दिन में 11 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. जिसके बाद वे नंदी में वास करेंगे. भगवान भोलेनाथ का कैलाश और नंदी पर वास होने की शुभ घटना के मौके पर ही रुद्राभिषेक किया जाता है.

Disclaimer इस लेख में दी गई सूचना सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है. ETV भारत इसकी पुष्टि नहीं करता.

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