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आदिवासी समाज से बातचीत ही है सिलगेर विवाद का स्थाई समाधान: नंदकुमार साय - Nandkumar Sai said about the Silger movement

सिलगेर में (Silgar Movement) 28 दिनों से चल रहा आंदोलन खत्म हो गया है. सिलगेर में स्थापित किए जा रहे पुलिस कैंप के विरोध में ग्रामीण अब केवल सैद्धांतिक रूप से धरने पर बैठेंगे. सिलगेर आंदोलन को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय (nandkumar sai) ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. साय ने प्रदेश सरकार को इस मुद्दे पर आड़े हाथों लिया है.

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सिलगेर आंदोलन नंदकुमार साय

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Published : Jun 9, 2021, 10:16 PM IST

Updated : Jun 9, 2021, 10:32 PM IST

रायपुर: सिलगेर (Silgar Movement) में 28 दिनों से चल रहा आंदोलन खत्म हो गया है, लेकिन अभी सियासत इस मुद्दे पर जारी है. बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय (nandkumar sai) ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. साय ने प्रदेश सरकार को इस मुद्दे पर आड़े हाथों लिया है. साय का कहना है कि आदिवासियों के साथ आज भी अन्याय हो रहा है. सरकार उनको न समझती है और न ही सुनना चाह रही है. साय का मानना है कि आदिवासियों के छोटे-छोटे हितों के लिए सरकार को उनतक पहुंचना चाहिए.

सिलगेर मामले को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की

'कैंप की स्थापना से पहले ग्रामीणों से चर्चा नहीं हुई'

नंदकुमार साय का कहना है कि ग्रामीणों का विरोध कैंप को लेकर है. जिसके विरोध में स्थानीय लोग धरने पर बैठे. कैंप की स्थापना को लेकर उनसे बातचीत नहीं की गई. वह इलाका पांचवी अनुसूची का क्षेत्र है. पेशा कानून के अंतर्गत वह क्षेत्र आता है. वहां कोई भी काम करने से पहले ग्राम सभा की अनुमति लेना बहुत आवश्यक है. वहां न तो ग्रामसभा को बुलाया गया और न ही जो लोग विरोध कर रहे थे उनको सुना गया. साय ने ग्रामीणों पर गोली चलाने की घटना को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है.

सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर 28 दिनों से जारी सिलगेर आंदोलन खत्म

'सरकार लोगों की बात सुनना नहीं चाहती'

नदंकुमार साय का मानना है कि कोई प्रतिनिधिमंडल अगर वहां जाना चाहता है तो उनको जाने देना चाहिए. उनको रोकना तानाशाही रवैया है, डिक्टेटरशिप है. वहीं सरकार की ओर से कैंप लगाने के बयान पर साय ने कहा कि यह बयान आना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रदर्शनकारियों को नक्सली बताए जाने पर साय ने कहा कि सरकार के इस अड़ियल रवैये के कारण नक्सली भी पैदा हुए हैं. ग्रामीणों की समस्या का समाधान होता नहीं है. वहां उनके साथ सरकार के नुमाइंदे न तो ठीक व्यवहार करते हैं. न उनके हितों के संरक्षण के लिए जो कानून बने हैं. संविधान में उल्लेख है उसका परिपालन ही नहीं हो रहा है. नक्सली तो बहुत पीछे आते हैं असल में तो ग्रामीणों के साथ आज भी है अन्याय हो रहा है. साय ने कहा कि सरकार के लोग न उन्हें समझते हैं और न ही उन्हें सुनना चाह रहे हैं. साय का मानना है कि सरकार को जनजातियों के छोटे-छोटे हितों के लिए उनके बीच जाकर बात करनी चाहिए.

नंदकुमार साय की मानें तो आंदोलन का समाधान बातचीत से ही होगा. जिस तरह विश्व युद्ध का भी समापन रणभूमि में नहीं हुआ था. इसका समाधान टेबल पर बैठकर चर्चा करने के साथ ही हो पाया था. साय ने कहा कि यदि इस मुद्दे परर आदिवासियों से बातचीत करने का सरकार की ओर से प्रस्ताव आता है तो वे जरूर जाएंगे.

Last Updated : Jun 9, 2021, 10:32 PM IST

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