रायपुर : प्रदेश में बरगद, पीपल, नीम, कदम और अन्य वृक्षों की पूजा करने की काफी प्राचीन परंपरा है. लोगों के लिए वृक्षों की अत्यधिक उपयोगिता होने के कारण ही यहां की परंपराओं में इन्हें महत्वपूर्ण स्थान दिया गया (Selection of places in urban bodies for Krishnakunj in Chhattisgarh) है, लेकिन कुछ वर्षों में नगरीय क्षेत्रों का तेजी से हो रहे विकास के कारण वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है. जिसके चलते पेड़ों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के नगरी निकाय क्षेत्रों में कृष्ण कुंज बनाने की तैयारी की जा रही है. राज्य सरकार ने इसकी जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी (beginning of Krishna Kunj on the day of Janmashtami in Chhattisgarh) है. जिसके तहत विभाग ने 170 नगरीय निकायों में से 124 में 270 एकड़ जमीन आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली है. इन जगहों में जन्माष्टमी से पौधरोपण कार्य किया जाएगा. सीएम भूपेश बघेल स्वयं कृष्ण कुंज वाटिका में पौधरोपण कर वाटिका का शुभारंभ करेंगे.
छत्तीसगढ़ में कृष्णकुंज के लिए 124 निकायों में जगह का चयन पहली बार अनोखा निर्णय : राज्य में बढ़ते शहरीकरण की वजह से सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के जीवनोपयोगी पेड़ों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है. जानकारों की माने तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जीवनोपयोगी पौधे लगाने की अनोखी पहल की (Krishnakunj scheme to save trees in Chhattisgarh) है. इसके लिए राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने नगरी निकाय क्षेत्र में कम से कम एक एकड़ रकबा में कृष्णकुंज वाटिका विकसित करने और उसे सजाने संवारने का काम वन विभाग को दिया है. विभागीय अधिकारियों की माने तो कृष्ण कुंज विकसित करने आदेश जारी होने के बाद अलग-अलग जिलों के जिला प्रशासन ने 124 नगरी निकाय में कृष्ण कुंज बनाने की जगह आवंटित कर दी है.
कहां बनेंगे सबसे ज्यादा कृष्णकुंज : कृष्णोकुंज बनाने सबसे ज्यादा जगह दुर्ग वन वृत्त के अंतर्गत आने वाले जिलों में की गई है. दुर्ग जिले के अंतर्गत आने वाले 11 में से 9 नगरी निकायों में कृष्ण कुंज बनाने के लिए 155 115 एकड़ जमीन आवंटित की गई है. इसके अलावा बेमेतरा जिले की आठों नगरी निकाय में 8 एकड़ क्षेत्रफल में 3 स्कूल बनेंगे. इसी तरह से राजनांदगांव, बालोद और कबीरधाम जिले के 22 नगरी निकाय में कृष्ण कुंज विकसित किए जाएंगे.
ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले पौधे :वन अफसरों के मुताबिक कृष्ण कुंज में ऐसे पौधे रोपित किए जाएंगे, जिनका सांस्कृतिक के साथ धार्मिक महत्व होना मानव जीवन के लिए उपयोगी है. इसमें प्रमुख रूप से बरगद, पीपल, नीम, कदम, बबूल, पलाश के अलावा फलदार पौधों में आम, इमली, गंगा इमली, जामुन, बेर, गंगाधर, तेंदू, चार, अनार के पौधे शामिल है. पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि "राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग और वन विभाग को 124 नगरी निकाय में कृष्ण कुंज बनाने 270 एकड़ जमीन आवंटित की गई है. कृष्णकुंज में छायादार के अलावा फलदार पौधे रोपे जाएंगे. विकसित करने का काम श्री कृष्ण जन्माष्टमी से किया जाएगा. विभाग की ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है."
रायपुर में किन जगहों में कृष्णकुंज : रायपुर डीएफओ विश्वेश कुमार ने बताया "मानसून को लेकर खासकर वन विभाग की ओर से वृक्षारोपण की तैयारी की जाती है. इसके तहत हमारे पास नर्सरी में लगभग 5 लाख पौधे तैयार हैं. साथ ही नीलगिरी के अलग से 15 लाख पौधे तैयार किए हैं, ताकि हम हरियाली प्रसार योजना के तहत वितरित कर सकें. साथ ही 40 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब एक लाख पौधे लगाए जाएंगे. इसके अलावा 50 हजार पौधे घर पहुंच सेवा योजना के तहत वितरित की जाएगी. साथ ही एक से डेढ़ लाख पौधे निशुल्क बांटने की तैयारी है. इसके अलावा सीएम बघेल की महत्वकांक्षी योजना कृष्णकुंज वाटिका तैयार करने की है, जो सभी नगरीय निकायों में तैयार करने हैं. इसके लिए प्रथम स्टेज में राजस्व विभाग से मिलकर क्षेत्र का चयन प्रोग्रेस में है. लगभग 12 नगरी निकायों में से रायपुर अंतर्गत 8 नगरी निकायों का स्थल चयन कार्य पूरा हो चुका है. दो नगरीय निकायों में स्थान खाली नहीं है और दो पर कार्य प्रगति पर है. 2 से 3 दिनों में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा. जैसे ही स्थल चयन का कार्य पूरा हो जाएगा."