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फर्जी थी सारकेगुड़ा मुठभेड़, मारे गए 17 लोग नहीं थे नक्सली, न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट - सारकेगुड़ा बाजापुर की बड़ी खबर

सारकेगुड़ा गांव में हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने सात नाबालिगों सहित 17 लोगों की हत्या के लिए सुरक्षाबलों को दोषी ठहराया है.

न्यायिक जांच ने सारकेगुड़ा के मुठभेड़ को ठहराया फर्जी
न्यायिक जांच ने सारकेगुड़ा के मुठभेड़ को ठहराया फर्जी

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Published : Dec 1, 2019, 7:06 PM IST

Updated : Dec 2, 2019, 10:02 AM IST

रायपुर: बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा में हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ को एक सदस्यीय न्यायिक आयोग ने फर्जी बताया है. न्यायिक आयोग ने सारकेगुड़ा गांव में सात नाबालिगों सहित 17 लोगों की हत्या के लिए सुरक्षाबलों को दोषी ठहराया है. आयोग ने जांच रिपोर्ट में ये भी कहा है कि ग्रामीणों द्वारा कोई गोलीबारी नहीं की गई थी और यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था कि वे नक्सली थे.

सुरक्षाबलों ने ही की थी सारकेगुड़ा में 17 ग्रामीणों की हत्या, न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में खुलासा

मारे गए लोग नहीं थे ग्रामीण
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोग ने इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. आयोग ने कहा , "रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि सुरक्षाबलों ने बैठक कर रहे सदस्यों पर एकतरफा गोलियां चलाईं, जिससे उनमें से कई लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. बैठक के सदस्यों द्वारा कोई गोलीबारी नहीं की गई. उन्होंने कहा, 'साथी सैनिकों की गोलीबारी के कारण 6 सुरक्षाकर्मियों को चोटें आईं, यह गोलीबारी संभवत: कुछ सुरक्षाकर्मियों की दहशत के कारण हुई, जब उनका इतनी देर रात ग्रामीणों की अप्रत्याशित बैठक से सामना हुआ था.'

'पुलिस जांच में की गई हेर फेर'
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ये घटना सिर्फ गोलीबारी तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि सुरक्षाबलों ने ग्रामीणों के साथ मारपीट भी की और अगली सुबह गांव में जाकर एक व्यक्ति के घर में घुस कर उसकी हत्या कर दी गई. आयोग की रिपोर्ट में पुलिस जांच पर सवाल उठाए गए हैं, आयोग का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने में पुलिस ने गंभीर लापरवाही दिखाई और हेरफेर भी किया, साथ ही पुलिस ये प्रमाणित करने में भी नाकाम रही कि बैठक कर रहे और मारे गए लोग नक्सली थे या किसी नक्सली ने उस बैठक में हिस्सा लिया था.

न्यायिक जांच आयोग की रिपो

7 बिंदुओं पर की गई जांच
बता दें कि राज्य सरकार की ओर से 7 बिंदुओं पर जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था, जिसके सभी बिंदुओं पर जांच की गई. इन बिंदुओं के अलावा भी आयोग ने पाया कि ग्रामीण खुले मैदान में बैठक कर रहे थे, जबकि सुरक्षाबलों ने घने जंगलों में बैठक की जानकारी दी थी. साथ ही आयोग ने जांच नें पाया कि सुरक्षाबलों की ओर से की गई फायरिंग आत्मरक्षा में नहीं थी बल्कि जरूरत से ज्यादा फायरिंग की गई, मारे गए ग्रामीणों में से 6 को सिर पर गोली लगी थी.

न्यायिक जांच की रिपोर्ट

क्या हुआ था उस रात?
28 और 29 जून, 2012 की रात को, सारकेगुडा, कोट्टागुडा और राजपुरा के जंगलों में बैठक कर रहे ग्रामीणों पर सीआरपीएफ और पुलिसकर्मियों ने ही फायरिंग की थी, जिसमें 7 नाबालिग सहित 17 ग्रामीणों की मौत हुई थी. साथ ही 10 ग्रामीण घायल हो गए थे. घटना में छह सुरक्षाकर्मियों को भी चोटें आईं थी. घटना के तुरंत बाद इन तीन गांवों के ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ये मौतें और चोटें सुरक्षाबलों की ओर से अकारण, अत्यधिक और एकतरफा गोलीबारी के कारण हुईं. ग्रामीणों ने इस घटना की एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की थी.

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Last Updated : Dec 2, 2019, 10:02 AM IST

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