रायपुर:खरमास खत्म होने के साथ ही फिर एक बार शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो गया (Raipur Pottery Market) है. अप्रैल से जुलाई महीने तक शादी ब्याह के लगभग 42 मुहूर्त हैं. ऐसे में लोग शादी-ब्याह की तैयारी में जुट गए हैं. बाजार में मिट्टी के बने नांदी, कलसा, दीया जैसे चीजों की मांग भी बढ़ गई है. इस गर्मी के सीजन में मिट्टी के बने घड़े की बिक्री भी बढ़ गई है. पिछले 2 सालों तक कोरोना की वजह से शादी ब्याह जैसे आयोजन बंद होने के कारण कुम्हार परिवारों का धंधा भी पूरी तरह से चौपट हो गया था, जो वापस पटरी पर लौट आया है.
मंगल का प्रतीक है मिट्टी: बता दें कि मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है. मंगल साहस पराक्रम में वृद्धि करता है. तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है. शनि को न्याय और भाग्य का देवता कहा जाता है. मिट्टी का दीपक जलाने से मंगल और शनि की कृपा प्राप्त होती है.
इस बार अच्छी ग्राहकी की उम्मीद: बीते 2 सालों तक कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कुम्हार परिवारों का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया था. कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमने के बाद मिट्टी के बने कलसा, नांदी, दीया और घड़े की डिमांड पहले की तुलना में बढ़ गई है. कुम्हारों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. इस विषय में दुकानदार लीलाबाई चक्रधारी कहती हैं कि, 2 सालों तक कोरोना की वजह से व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया था. लेकिन इस साल उन्हें अच्छी ग्राहकी और व्यवसाय की उम्मीद है. क्योंकि फिर एक बार शादी-ब्याह का सीजन 3 माह तक चलेगा. शादी-ब्याह के आयोजन में मिट्टी के बने कलसा. नंदी और दीये की मांग भी बढ़ गई है. मिट्टी के इन सामानों का धार्मिक महत्व भी है.