राशन कार्ड के जरिए किस तरह होगा 'आरक्षण' का निर्धारण, देखें हमारी खास रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए भूपेश सरकार अब नई प्रक्रिया अपना रही है. सरकार राशन कार्ड को आधार मानकर प्रदेश में हर वर्ग के आंकड़े तैयार कर रही है.
राशन कार्ड
By
Published : Sep 22, 2020, 2:07 PM IST
रायपुर:छत्तीसगढ़ में राशन कार्ड के जरिए अब आरक्षण निर्धारित किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, यानी सरकार राशन कार्ड को आधार मानकर प्रदेश में हर वर्ग के आंकड़े तैयार कर रही है. जिसमें सामान्य, एसटी-एससी और ओबीसी सभी वर्ग शामिल हैं. इस आधार पर राज्य सरकार प्रदेश में आरक्षण लागू करने जा रही है.
हाईकोर्ट में आरक्षण का मुद्दा
एक बार फिर प्रदेश में आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है. छत्तीसगढ़ में जातिगत आरक्षण को तय करने के लिए भूपेश सरकार ने राशन कार्ड का सहारा लेने का फैसला किया है. वजह यह है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और सामान्य वर्ग की जनसंख्या के निर्धारण का मामला करीब सालभर से अटका पड़ा है. सरकार ने इसके लिए बिलासपुर के जिला एवं सेशन न्यायालय से सेवानिवृत्त जज छबिलाल पटेल की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया है. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार हाईकोर्ट में जातिगत आरक्षण के मुद्दे पर अपना पक्ष रखेगी.
राशन कार्ड के जरिए आरक्षण की तैयारी
राज्य में 82 फीसदी आरक्षण
बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्य में जातिगत आरक्षण में बदलाव की घोषणा की थी. उसके बाद राज्य शासन ने चार सितंबर 2019 को अध्यादेश जारी कर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को 27 प्रतिशत कर दिया. इसमें अनुसूचित जनजाति (एसटी) को मिलने वाले 32 फीसदी आरक्षण को यथावत रखते हुए अनुसूचित जाति (एससी) का आरक्षण 12 से बढ़ाकर 13 और ओबीसी का 14 से बढ़ाकर सीधे 27 फीसदी करने की घोषणा की थी. इससे राज्य में आरक्षण का दायरा 58 से बढ़कर सीधे 72 फीसदी पहुंच गया. इसके बाद सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को लोक सेवाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की. इससे आरक्षण का दायरा 82 फीसदी तक पहुंच गया.
राशन कार्ड
सरकार ने 13 % बढ़ाया था ओबीसी का आरक्षण
जाति
पहले आरक्षण
सरकार का निर्णय
एसटी
32
32
एससी
13
13
ओबीसी
14
27
सामान्य
-
10
कुल आरक्षण
59
82
राज्यों में कुल आरक्षण
हरियाणा
70
तमिलनाडु
68
महाराष्ट्र
68
झारखंड
60
राजस्थान
54
उत्तर प्रदेश
50
बिहार
50
मध्य प्रदेश
50
पश्चिम बंगाल
35
आंध्र प्रदेश
50
पूर्वोत्तर की स्थिति अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम में अनुसूचित जनजाति के लिए 80 फीसदी आरक्षण है.
राशन कार्ड के जरिए आरक्षण की तैयारी
बिलासपुर हाईकोर्ट में दी गई थी चुनौती
नियमानुसार 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता. इसी आधार पर आरक्षण में की गई बढ़ोतरी को बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. आरक्षण के खिलाफ एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला सहित तीन अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया है कि 1993 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक इसे 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.
'सरकार को आरक्षण बढ़ाने का अधिकार'
इस मामले में राज्य शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत कर कहा गया कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 45.5 प्रतिशत से अधिक होने के कारण आरक्षण बढ़ाया गया है. इसके अलावा सरकार को आरक्षण बढ़ाने का अधिकार है. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण और तमिलनाडु में भी राज्य शासन ने आरक्षण बढ़ाया है. इसके अलावा महाजन कमेटी की रिपोर्ट भी पेश की गई, जिसमें आवश्यकता अनुसार आरक्षण घटाने और बढ़ाने का अधिकार है. इस आधार पर याचिकाओं को खारिज करने की मांग की गई.
भूपेश बघेल
कोर्ट ने सरकार के तर्क को बताया अमान्य
आरक्षण के खिलाफ लगी याचिका पर सुनवाई के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने सरकार के अन्य पिछड़ा वर्गों की आबादी प्रदेश में 45 प्रतिशत से अधिक होने और तमिलनाडु एवं मराठा आरक्षण के तर्क को अमान्य बताते हुए इस पर रोक लगा दी. कोर्ट ने ये फैसला लिया था कि आरक्षण देने में नियमों और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया.
फैसला गलत नहीं: भूपेश बघेल
बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि पहले ही छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण था. अब जाकर 69 प्रतिशत आरक्षण को हाईकोर्ट ने स्वीकार किया है. इसका अर्थ ये हुआ कि 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति को जो आरक्षण दिया गया था, उसे हाईकोर्ट ने स्वीकार किया है. 10 प्रतिशत आरक्षण सामान्य वर्ग के लिए भी कोर्ट ने स्वीकार किया है. 13 प्रतिशत जो ओबीसी के लिए बढ़ाया है, उसके लिए हम लोगों को लड़ाई लड़नी पड़ेगी. सीएम भूपेश ने कहा कि उनका फैसला गलत नहीं है और प्रदेश सरकार न्यायालय के सामने सभी साक्ष्य पेश करेगी.
मौजूदा राशन कार्डों का डेटा बेस तैयार करने के निर्देश
इसके बाद 20 सितंबर 2020 रविवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में उनके निवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई. जिसमें हाईकोर्ट में लंबित मामले के निराकरण के लिए वर्गवार डेटा एकत्र करने के संबंध में गहन विचार-विमर्श किया गया. बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में वर्तमान में प्रचलित राशन कार्ड के डेटाबेस को आधार मानते हुए पटेल कमीशन के मार्गदर्शन में मौजूदा समय का डेटा तैयार किया जाएगा, ताकि वर्गवार छूटे हुए लोगों का भी डेटा एकत्र हो सके. इस डेटा का ग्राम सभा और नगरीय निकायों के वार्डों, सभाओं में अनुमोदन भी कराया जाएगा.
राशन कार्ड के जरिए तैयार होंगे OBC के आंकड़े
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी वर्गों का सही-सही डेटा एकत्र करने के लिए जल्द दिशा-निर्देश जारी करने के आदेश दिए. इसकी जानकारी कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने दी. रविंद्र चौबे ने कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद आरक्षण नियमों में संशोधन के लिए हमने अध्यादेश लाया था, लेकिन इसके खिलाफ लोगों ने उच्च न्यायालय में रिट दायर कर दी. जिस पर फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13% आरक्षण दिए जाने को परमिट किया है, लेकिन पिछड़े वर्ग के लिए 27% आरक्षण पर स्टे लगा दिया. इस आरक्षण के लिए उच्च न्यायालय ने सरकार से आधार मांगा था, जिसके बाद अब सरकार राशन कार्ड के जरिए ओबीसी के आंकड़े तैयार कर रही है. इसे ग्राम सभाओं के माध्यम से अनुमोदित किया जाएगा. चौबे ने कहा कि इस काम को तय समय सीमा में पूरा करने के लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
इधर सरकार के इस निर्णय को भाजपा ने वोट बैंक की राजनीति बताया है. पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार सिर्फ पिछड़े वर्ग के वोट बैंक के लिए इस तरह की राजनीति कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जब कोर्ट ने आरक्षण का आधार पूछा था तो सरकार ने उन्हें क्यों जानकारी नहीं दी. हाईकोर्ट के सामने सरकार को आरक्षण का आधार प्रस्तुत करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार इस तरह के कानून बनाकर सिर्फ पिछड़े वर्ग को भुलावे में रखने का काम करना चाहती है. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार को 2 साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन इन 2 सालों में कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग के लिए कुछ भी विशेष काम नहीं किया है.
वर्तमान राशन कार्ड और सदस्य संख्या मिली जानकारी के अनुसार राज्य में वर्तमान में 66 लाख 73 हजार 133 राशनकार्ड प्रचलित है, जिनकी कुल सदस्य संख्या 2 करोड़ 47 लाख 70 हजार 566 हैं.
राज्य में वर्तमान समय में 31 लाख 52 हजार 325 राशनकार्ड अन्य पिछड़ा वर्ग के परिवारों के हैं, जिनकी सदस्य संख्या एक करोड़ 18 लाख 26 हजार 787 हैं, जो कि लाभान्वित संख्या का 47.75 प्रतिशत है.
सामान्य वर्ग के प्रचलित राशनकार्ड की संख्या 5 लाख 89 हजार एवं सदस्य संख्या 20 लाख 25 हजार 42 है, जो राशनकार्ड के माध्यम से राज्य में लाभान्वित सदस्य संख्या का 8.18 प्रतिशत है.
नए सिरे से छूटे हुए परिवारों का आवेदन लेने से इसमें वृद्धि होने की संभावना है. सामान्य वर्ग का प्रतिशत 8.18 से बढ़कर 11-12 प्रतिशत होने की उम्मीद है. इस आधार पर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को 10 प्रतिशत तक आरक्षण दिए जाने का आधार मजबूत होगा.
यह डाटाबेस 2003 से लेकर अब तक शासन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप समय-समय पर राशनकार्ड बनाने एवं उसके नवीनीकरण की प्रक्रिया के तहत एकत्र किए गए है. इसको आधार मानते हुए यदि छूटे हुए परिवारों का डेटा इसमें शामिल कर लिया जाए, तो राज्य का मौजूदा वर्गवार डेटा तैयार हो जाएगा.
बहरहाल भूपेश सरकार ने राशन कार्ड को आधार बनाकर प्रदेश में 82 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार का यह प्रयास कितना कारगर साबित होता हैं. वहीं इस मामले को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर भी लोगों की नजर होगी. क्योंकि उसके बाद ही प्रदेश में 82% आरक्षण दिए जाने का रास्ता साफ हो सकेगा.