रायपुर: उच्चतम न्यायालय (SC) ने कथित रूप से फर्जी टूलकिट मामले (Fake Toolkit Case) संबंधी ट्वीट को लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह (Former Chief Minister Raman Singh) और बीजेपी नेता संबित पात्रा के खिलाफ जांच (Probe Against BJP leader Sambit Patra) पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
'सच्चे का बोलबाला झूठों का मुंह काला- बीजेपी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को फैसला करने दीजिए- SC
बुधवार को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सांघवी से कहा, 'इस मामले पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (Chhattisgarh High Court) को फैसला करने दीजिए. हम जानते हैं कि पूरे देश में टूलकिट मामले में कई लोगों ने विभिन्न अदालतों में रोक लगाने की याचिकाएं दायर की हैं. हमें इस मामले को अलग से प्राथमिकता क्यों देनी चाहिए.'
सच्चे का बोलबाला भूतों का मुंह काला- भाजपा प्रवक्ता
इस मामले में भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास (BJP spokesperson Gaurishankar Srivas) ने कहा कि "सच्चे का बोलबाला भूतों का मुंह काला" कहीं ना कहीं माननीय न्यायालय ने पूरी तरह से इनके चेहरे से नकाब हटा दिया है. जिस तरीके से राजनीति से प्रेरित होकर मनमानी करते हुए पुलिस को टूलकिट बनाते हुए हमारे नेताओं पर जो परिया फायर किया था. उस मामले में कहीं ना कहीं आज सारे मामले का पटाक्षेप हो चुका है.
सारी चीजें प्रमाणित हो चुकी है कि हमारे नेताओं को बदनाम करना और पुलिस को सामने करके राजनीतिकरण करना प्रयास इन्होंने किया है. इस मामले से पर्दा उठ चुका है और हमने पहले ही कहा था कि जीत सच की होगी और आज जीत सच की हुई है. इसलिए इस मामले को लेकर बीजेपी बहुत खुश है.
प्राथमिकी के संदर्भ में अंतरिम राहत मिली
उच्च न्यायालय ने 11 जून को एक ही प्राथमिकी में दो अलग-अलग आदेश पारित किए थे और सिंह एवं पात्रा के खिलाफ दायर प्राथमिकी के संदर्भ में उन्हें अंतरिम राहत दी थी. अदालत ने कहा था कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप दर्शाते हैं कि 'ट्वीट ने कांग्रेस नेताओं को क्रोधित किया. यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि ट्वीट ने सार्वजनिक शांति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाला और यह दो राजनीतिक दलों के बीच केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का मामला है.' मामले में सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को आपराधिक मामले में भाजपा नेताओं की याचिकाओं पर फैसला करने दीजिए.
छत्तीसगढ़ सरकार ने जांच पर रोक को हटाने के लिए खटखटाया था दरवाजा
इससे पहले, वकील सुमीर सोढी के जरिए छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) ने कथित फर्जी टूलकिट मामले (Fake Toolkit Case) में भाजपा नेता सिंह तथा पार्टी प्रवक्ता पात्रा के ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी में जांच पर रोक के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, 'प्रथम दृष्टया यह लगता है कि मौजूदा प्राथमिकी किसी राजनीतिक मकसद से दर्ज की गई है.'
राज्य सरकार ने रमन सिंह मामले (Raman Singh Case) में आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा कि 11 जून को दाखिले के स्तर पर, उच्च न्यायालय ने न केवल तुच्छ याचिका को स्वीकार किया बल्कि प्राथमिकी के सिलसिले में जांच पर रोक लगाकर आरोपी/प्रतिवादी संख्या 1 (रमन सिंह) को गलती से अंतरिम राहत प्रदान कर दी.
NSUI की शिकायत पर हुई थी प्राथमिकी
कांगेस की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष आकाश शर्मा की शिकायत पर 19 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि सिंह, पात्रा और अन्य लोगों ने कांग्रेस पार्टी के फर्जी लेटरहेड का इस्तेमाल कर मनगढ़ंत सामग्री सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट की और इसे पार्टी द्वारा विकसित टूलकिट के रूप में पेश किया.