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सावन 2022: सावन का दूसरा सोमवार आज, ऐसे करें भगवान शिव को प्रसन्न ?

सावन के पवित्र महीने की शुरुआत 14 जुलाई से हो (Sawan 2022) चुकी है. आज सावन का दूसरा सोमवार (second Monday of Sawan) है. इस दिन सोम प्रदोष व्रत के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है. ऐसे जानिए कैसे आप भोलेनाथ को खुश कर सकते हैं

second Monday of Sawan
सावन का दूसरा सोमवार

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Published : Jul 25, 2022, 12:39 AM IST

रायपुर/हैदराबाद: श्रावण यानी सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का महीना कहलाता है. इस माह में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. पूरे महीने मंदिरों और शिवालयों में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना होती है. सावन का दूसरा सोमवार 25 जुलाई यानी आज है. पंडितों के मुताबिक सावन के हर सोमवार विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करेंगे तो किसी भी समस्या से मुक्ति पा सकते हैं.श्रावण का दूसरा सोमवार अत्यंत शुभ है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दिन सोम प्रदोष व्रत के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है. इसके अलावा धुव्र योग बन रहा है. इन योग में महादेव और मां पार्वती की पूजा का फल दोगुना होता है.

कैसे करें सावन सोमवार का व्रत (Sawan 2022) : सावन के दूसरे सोमवार को सबसे पहले प्रातःकाल या प्रदोष काल में स्नान (Worship Lord Shiva on the second Monday of Sawan) करने के बाद शिव मंदिर जाएं. घर से जल पात्र में जल लेकर जाएं और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करें इसके बाद शिव मंदिर में शिव मंत्र का 108 बार जाप करें. दिनभर व्रत रखें उसके बाद फलाहार करें (Lord Bholenath Worship vidhi) और भगवान भोलेनाथ की आरती करें.

भगवान भोलेनाथ की पूजा ऐसे करें

  1. भगवान शंकर के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें.
  2. दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें.
  3. भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीप प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें.
  4. आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें.
  5. भगवान शिव को दूध और जल अर्पित करना बहुत अच्छा माना जाता है.
  6. सावन के सोमवार को हो सके तो रुद्राभिषेक कराएं.
  7. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से जीवन में सभी तरह की सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
  8. ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें.शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें

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