World Tribal Day In Raipur: सर्व आदिवासी समाज ने विशाल रैली निकालकर दिखाई ताकत, सरकार के खिलाफ नारेबाजी - सर्वआदिवासी समाज
World Tribal Day In Raipur विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर सर्व आदिवासी समाज ने रायपुर में विशाल रैली निकाली. इस दौरान 54 समाज के प्रदेश अध्यक्ष रैली में शामिल हुए.
सर्व आदिवासी समाज
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Published : Aug 9, 2023, 9:08 PM IST
सर्व आदिवासी समाज ने निकाली विशाल रैली
रायपुर: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर प्रदेश में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इस बीच सर्व आदिवासी समाज ने प्रदेश सरकार के खिलाफ एक विशाल रैली निकाली. रैली में आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में सड़कों पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए. इस भव्य रैली में शामिल होने को पूरे प्रदेश से विभिन्न आदिवासी समाज के लोग पहुंचे थे. इनमें सैकड़ों की तादाद में महिला, पुरुष, बच्चे शामिल थे.
मांगों की तख्ती लेकर निकाली रैली: सभी प्रदर्शनकारियों के हाथों में उनके मुद्दे लिखे हुए तख्ती थी. जल, जंगल, जमीन की लड़ाई हो या फिर सरकार की योजनाओं का लाभ, इनका आरोप है कि इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. साथ ही आरक्षण से संबंधित मुद्दों की तख्तियां भी इन प्रदर्शनकारियों के हाथों में दिखी. साथ ही बड़ा बैनर पोस्टर भी इनके हाथ में दिखा. सरकार और जनप्रतिनिधि के खिलाफ नारे लिखे हुए थे. बता दें कि ये रैली बूढ़ा तालाब से शुरू होकर जय स्तंभ पहुंची. उसके बाद वापस बूढ़ा तालाब आकर इनका प्रदर्शन खत्म हुआ.
54 समाज के प्रदेश अध्यक्ष हुए शामिल: रैली में शामिल छत्तीसगढ़ी सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारीयों ने कहा कि आज आदिवासियों की अपेक्षा की जा रही है. पूर्ववर्ती सरकार ने भी उनकी मांगों को नहीं सुना था. वर्तमान सरकार भी उनके अधिकारों को लेकर काम नहीं कर रही है. यही वजह है कि हम सड़क पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं. आज विश्व आदिवासी दिवस है. हमने सर्व आदिवासी सम्मेलन का आयोजन किया है, इसमें 54 समाज के प्रदेश अध्यक्ष शामिल हुए हैं.
दोनों सरकार ने नहीं सुनी मांगे: सर्वआदिवासी समाज वर्तमान सरकार से अपने कुछ मुद्दों और मांगों को पूरा करने की बात कह रही है. कई मांगें पूरी न होने को लेकर समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ में आदिवासी समाज के मुखिया शामिल हैं. आदिवासियों ने जल जंगल जमीन मांगी थी. पांचवी अनुसूची की बात थी, वह अभी तक पूरी नहीं हुआ है. पूर्ववर्ती सरकार हो या वर्तमान सरकार. सभी ने आदिवासियों की मांगों को नहीं सुना. अनुसूचित जनजाति की मांगों को पहले की सरकार और वर्तमान सरकार ने अनसुना किया है. आदिवासियों के हित के विरोध में काम किया है. शासन प्रशासन में मूल निवासियों की कोई भागीदारी नहीं है. अब ऐसी स्थिति है कि हमने दोनों को आजमा कर देख लिया है, हमें लगने लगा है कि एक बार अपने बलबूते पर छत्तीसगढ़िया सर्व समाज आगे की रणनीति तय करेगा.