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SANTAN SAPTAMI 2021 : संतान प्राप्ति, संतान की खुशहाली और समृद्धि के लिए करें संतान सप्तमी

माता-पिता में से कोई एक या दोनों अपने संतान के भाग्योदय, खुशहाली-समृद्धि या संतान प्राप्ति के लिए संतान सप्तमी का व्रत करते हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद से संतान को सुखों की प्राप्ति होती है.

SANTAN SAPTAMI
संतान सप्तमी

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Published : Sep 11, 2021, 9:32 AM IST

Updated : Sep 13, 2021, 6:36 AM IST

रायपुर :भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी (SANTAN SAPTAMI) का व्रत किया जाता है. इस बार यह तिथि 12 सितंबर की शाम 5:20 से शुरू होकर 13 सितंबर की दोपहर 3:10 बजे समाप्त होगी. 13 सितंबर सुबह इसका उदया तिथि होने के कारण यह व्रत 13 सितंबर को किया जाएगा. संतान सप्तमी के दिन माता-पिता या दोनों में से कोई एक संतान सप्तमी का व्रत रखते हैं. संतान प्राप्ति, संतान की खुशहाली और समृद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है. इस दिन यह व्रत करने से भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद से संतान को सुखों की प्राप्ति होती है. यह पूजा दोपहर के समय तक कर ही लेनी चाहिए.

इन विधियों से करें संतान सप्तमी व्रत

  • प्रातः काल सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर तैयार हो जाएं.
  • सुबह शिव जी व विष्णु भगवान की पूजा करें.
  • फिर संतान सप्तमी व्रत तथा पूजन का संकल्प लें.
  • निराहार रहते हुए शुद्धता से पूजन का सामान खीर, सात-सात पूआ, या मीठी पूड़ी तैयार करें.
  • फिर पूजन स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें.
  • फिर लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछा लें.
  • इसके बाद शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
  • फिर कलश की स्थापना करें.
  • कलश में जल, सुपारी, अक्षत और 1 रुपये का सिक्का डालकर उसपर आम का पल्लव लगाएं और उसके ऊपर दियाली में चावल रखकर एक दीपक उसके ऊपर जला दें.
  • फिर भगवान को चढ़ाने वाले महाप्रसाद 7-7 पूए (आटे और शक्कर से बना हुआ) केले के पत्ते में बांधकर वहां पर रख दें.
  • इस व्रत में पुए का भोग लगाने का विशेष महत्व है.
  • इसके बाद फल-फूल और धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें.
  • फिर चांदी के कड़े को शिव परिवार के सामने रखकर दूध व जल से शुद्ध करके टीका लगाएं. फिर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें.
  • इसके बाद चांदी के कड़े को अपने दाहिने हाथ में पह लें.
  • इसके बाद संतान सप्तमी व्रत कथा सुनें.
  • पूजन करने के बाद व्रत कथा सुनने के बाद सात-सात जो पुए भगवान को चढ़ाए गए थे, उनमें से सात पुए ब्राह्मण को दान में दे दें. फिर 7 पुए खुद खाएं. इसी से अपना व्रत तोड़ें.
Last Updated : Sep 13, 2021, 6:36 AM IST

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