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Published : Mar 2, 2023, 11:39 AM IST

Updated : Mar 2, 2023, 12:11 PM IST

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Sant Pawan Diwan: पवन नहीं ये आंधी है छत्तीसगढ़ का गांधी है, कुछ इस तरह के नारे के साथ संत पवन दीवान को किया जाता था याद

संत पवन दीवान की आज पुण्यतिथि है. पवन दीवान की पहचान आध्यत्मिक संत, विद्धान, भागवत प्रवचनकर्ता, हिंदी और छत्तीसगढ़ के लोक प्रिय कवि के रूप में जानी जाती है. उन्होंने राजिम से महानदी, अंतरिक्ष, बिम्ब नाम से पत्रियाओं का संपादन किया. पवन दीवान संस्कृत विद्यापीठ राजिम के प्राचार्य भी रहे. खूबचंद बघेल की छत्तीसगढ़ भातृसंघ के अध्यक्ष भी रहे. उनकी 'मेरा हर स्वर इसका पूजन' और 'अंबर का आशीष' काफी पसंद करने वाली पुस्तक है.

Sant Pawan Diwan
छत्तीसगढ़ विधानसभा में याद किए गए पवन दीवान

रायपुर:संत पवन दीवान का राजिम के पास के किरवई गांव में 1 जनवरी 1945 को जन्मे थे. दीवान ने अपनी शुरुआती पढ़ाई उनके गांव से ही हुई. दीवान के पिता का नाम सुखराम धर दीवान था और वे पेशे से एक शिक्षक थे. जबकि उनकी मां का नाम किर्ती देवी दीवान था. दीवान का ननिहाल आरंग के पास के छटेरा गांव में रहता था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गांव किरवई और राजिम से ही पूरी की. जिसके बाद आगे की उच्च शिक्षा सागर विश्वविद्यालय और रविशकंर शुक्ल विवि रायपुर विश्वविद्यालय से पूरी की. जहां से दीवान ने हिंदी और संस्कृत विषय में एमए की पढ़ाई की. दीवान के लिए साल 1977 में एक नारा गूंजा था. पवन नहीं ये आंधी है. छत्तीसगढ़ का गांधी है. पवन दीवान की मृत्यु 2 मार्च 2014 को दिल्ली में हुई थी.

भूपेश बघेल ने संत पवन दीवान को दी श्रद्धांजलि:छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सीएम भूपेश बघेल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. संत पवन दीवान को नमन करते हुए कहा है कि "संत पवन दीवान ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने हमेशा छत्तीसगढ़ की प्रगति के लिए काम किया है. दीवान की भाषण शैली का जादू लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया करता था. दीवान के भाषणों में माटी की सौंधी महक की छाप देखने को मिलती थी. जिस वजह से आम जनमानस अपने आप को उनसे जुड़ा हुआ महसूस करते थे. छत्तीसगढ़ को दीवान की कमी हमेशा खलेगी."

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बोलने की कला में माहिर थे दीवान:विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने भी पवन दीवान को नमन करते हुए कहा कि "पवन दीवान ने छत्तीसगढ़ी के लोगों में स्वाभिमान जगाने का काम किया. पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए चल रहे आंदोलन का प्रमुख हिस्सा रहे. छत्तीसगढ़ी भाषा को भागवत कथा में शामिल कर छत्तीसगढ़ी को जन जन में पहुंचाया और मातृभाषा के प्रति सम्मान जगाने का काम किया. उन्होंने अपनी वाचन शैली से हर मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी. उन्हें एक निपूर्ण कवि, भागवत कथावाचक, खिलाड़ी और राजनेता के तौर हमेशा याद किया जाएगा. जिन्होंने एक पंक्ति में जीवन के मूल्यों को समझा दिया. 'तहुं होबे राख. महुं होहू राख.' उन्होंने ऐसी ही अनेकों कविताएं लिखी, जिसमें प्रदेश की मिट्टी की महक महसूस होती है."

Last Updated : Mar 2, 2023, 12:11 PM IST

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