रायपुर/ हैदराबाद : गणेश चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग में हर महीने दो चतुर्थी आती हैं. शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में यानी महीने में दो बार संकष्टी चतुर्थी आती है. जो चतुर्थी कृष्ण पक्ष के अंतर्गत आती है उसे ही संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है.वहीं जो चतुर्थी शुक्ल पक्ष या उजियार चंद्रमा के समय में पड़ती है उसे विनायक चतुर्थी का नाम दिया गया है. संकष्टी चतुर्थी वाले दिन जो भी व्यक्ति उपवास रखता है उसे पूरा दिन निराहार रहना पड़ता है. निराहार रहकर ही उसे व्रत कथा सुननी पड़ती है. सूर्य अस्त होने के बाद ही कथा श्रवण करना शुभ माना गया है.
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व : द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं .इतना ही नहीं संकष्टी चतुर्थी का पूजा से घर में शांति बनी रहती है. घर की सारी परेशानियां दूर होती हैं. देवों में प्रथम पूज्य अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते.इसलिए निरंतर व्रत रखने वालों की मनोकामना पूर्ण होती है. ऐसी भी कई जगहों पर मान्यता है कि कृष्ण पक्ष के चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना शुभ है. वहीं सूर्योदय से शुरु होने वाले इस व्रत की समाप्ति चंद्र दर्शन के बाद ही होती है. संकष्टी चतुर्थी की अलग अलग कथाएं भी प्रचलित हैं.