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Sanatana Dharma importance: 1 मार्च 2022 को जो ग्रहों की स्थिति थी, वह सनातन धर्म के लिए महत्वपूर्ण मानी गई है, आइए जानते हैं - महान अवतारी पुरुष के जन्म का बन रहा योग

1 मार्च 2022 को राहु केतु भारत के लग्न एवं सप्तम भाव में उच्च के थे. शुक्र, मंगल, सूर्य, बुध और चंद्र नवम भाव में थे. दशम भाव में गुरु और सूर्य थे, जो कि ज्ञान और प्रकाश के ग्रह हैं. ज्ञान और प्रकाश का संबंध सीधे सनातन धर्म से है. ऐसे में निश्चित है कि सनातन धर्म एवं मानवीय धर्म जनकल्याण की भावना वाले धर्म बहुत आगे जाएंगे. उनका विकास, विस्तार और प्रचार होगा, उनकी मान्यता बढ़ेगी.

Sanatana Dharma importance
सनातन धर्म के लिए ग्रहों की स्थिति महत्वपूर्ण

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Published : Feb 21, 2023, 6:42 AM IST

सनातन धर्म के लिए ग्रहों की स्थिति महत्वपूर्ण

रायपुर:ज्ञान और प्रकाश का संबंध सीधे-सीधे सनातन धर्म से है. जो मानव कल्याण, परोपकार, त्याग, तपस्या की भावना से ओतप्रोत है. गुरु, जो देवताओं के गुरु हैं और शुक्र दैत्यों के गुरु हैं. इसलिए जो धर्म हिंसा, अमानवीय, क्रूरता आदि से परिपूर्ण हो, जिसमें इंसानियत ना हो, मानवता ना हो, ऐसे धर्म का पूर्णतया अंत हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा. शुक्र भी केवल 1 डिग्री का है इसलिए पूर्ण बलहीन है, जबकि सूर्य और गुरु 16 डिग्री के आसपास है इस लिए अत्यधिक बलशाली है.

सनातन धर्म का होगा विस्तार: ऐसे में ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर का मानना है कि "निश्चित ही सनातन धर्म और मानवीय धर्म जनकल्याण की भावना वाले धर्म बहुत आगे जाएंगे. उनका विकास, विस्तार और प्रचार होगा. उनकी मान्यता बढ़ेगी. शीर्ष मानवीय क्रूरता और हिंसा को मानने वाले नष्ट हो जाएंगे. अतः सनातन संस्कृति बहुत आगे जा रही है और इसका विश्व में एकछत्र आधिपत्य होगा."

उच्च का फल प्रदान करने वाला योग: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "10 अप्रैल 2003 से 10 मई 2003 के बीच में जो ग्रह स्थिति बनी है. उसमें यह बात देखने में आया है कि इस अवधि में विशेषकर 3 मई 2003 को सूर्य, चंद्र, मंगल, गुरु, शुक्र, राहु और केतु अपनी उच्च राशि में थे. शनि मिथुन राशि में रहते हुए शनि तुला के नवांश में था. यह उत्तर कालामृत कालिदास रचित ग्रंथ के अनुसार, यदि कोई ग्रह मूल कुंडली में नीच का हो, किंतु वह नवांश में उच्च का हो, तो उच्च का फल प्रदान करता है.

इस प्रकार 20 अप्रैल 2003 से 10 मई 2003 के बीच सात ग्रहों ने उच्च का फल दिया है. जबकि बुध और सूर्य एक साथ उच्च के हो ही नहीं सकते, क्योंकि सूर्य की उच्च राशि में से मेष और बुध कन्या राशि में होगा, तभी उच्च का होगा. यह कभी भी सूर्य से दो घर से अधिक दूर नहीं रह सकता. अधिकतम 8 ग्रह ही उच्च का फल दे सकते हैं. जो 3 मई 2003 को था.

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4-5 ग्रह उच्च के हों, तो होंगे प्रतापी:ज्योतिष ग्रंथों में कहा गया है कि जिनके चार या पांच ग्रह उच्च के होते हैं. वह प्रतापी राजा महाराजा होता है. इस संबंध में ध्यान देने योग्य बात यह है कि भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान गणेश, यीशु मसीह, मोहम्मद पैगंबर, स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस आदि किसी भी महान व्यक्ति की कुंडली में इतने ग्रह उच्च के नहीं हैं. इसलिए यही लोग दुनिया में परिवर्तन लाएंगे.

महान अवतारी पुरुष के जन्म का बन रहा योग: 26 जुलाई 2014 को सूर्य, चंद्र और गुरु पुष्य नक्षत्र में है. भले ही अलग चरण में हो, तभी यह महान अवतरित होने का संकेत देते हैं. जबकि श्रीमद् भागवत के अनुसार गुरु, चंद्र और सूर्य जब एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, तभी कल्कि का अवतार होगा. अत: तीनों ग्रह पुष्य नक्षत्र में है, इसलिए ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने महान अवतारी पुरुष के जन्म का समय माना है."

2019 से युग परिवर्तन का आरंभ हो चुका: ज्योतिष एवं वास्तुविद महेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि "साल 2019 से युग परिवर्तन का आरंभ हो चुका है और 2036 तक इसका पूर्ण रूप देखने में आ जाएगा. यही कारण है कि जब योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बारे में पूछा गया कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा. तो स्पष्ट कहा गया था कि अखिलेश यादव की कुंडली बहुत मजबूत है. जबकि योगी आदित्यनाथ की कुंडली राजयोग की दृष्टि से बहुत कमजोर है. लेकिन चुनाव के पश्चात योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री बनेंगे. क्योंकि सनातन संस्कृति अब आगे बढ़ने वाली है."

महेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि "योगी आदित्यनाथ गुरु गोरखनाथ पीठ के महंत भी हैं. ऐसी स्थिति में वह कुंडली के ग्रहों को उनकी चाल को बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं. उनके सामने कुंडली किसी महत्व की नहीं है. यही कारण है कि उन्होंने चुनाव में भारी जीत प्राप्त की यह भी सनातन संस्कृति के आगे बढ़ने का स्पष्ट प्रमाण है."

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