रायपुर:दस महाविद्याओं में से एक हैं मां धूमावती (Maa Dhumavati). वे मां दुर्गा के 10 विद्या का एक रूप हैं. माता दुर्गा ने राक्षसों का वध करने के लिए यह रूप धारण किया था. वहीं सिद्धि पाने के लिए भी मां के इस रूप की पूजा की जाती है. शुक्रवार को राजधानी रायपुर में मां धूमावती की जयंती मनाई गई. ETV भारत आपको ऐसा मंदिर दिखाने जा रहा है जहां मां को मीठे के साथ नमकीन और तीखे खाने का भी भोग लगाया जाता है.
राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके में मां धूमावती का मंदिर (dhumavati temple) है. ये मंदिर शीतला मंदिर प्रांगण में स्थित है. इस मंदिर की स्थापना यहां के पुजारी नीरज सैनी ने आज से 10 साल पहले कराई थी. शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी तिथि को मां धूमावती की जयंती मनाई गई. मंदिर में माता की पूजा अर्चना के साथ हवन भी किया गया. मां को भोग अर्पित किए गए. लेकिन हर साल के मुकाबले, इस साल मां धूमावती की जयंती सादगीपूर्ण तरीके से मनाई गई. जिसमें लोगों की संख्या भी काफी कम थी.
देश का पहला ऐसा मंदिर
पुरानी बस्ती स्थित इस मंदिर की खासियत ये है कि, यहां स्थित मां धूमावती की पूजा अर्चना के साथ भक्तजन और श्रद्धालु फल-फूल और मिष्ठान के साथ नमकीन और तीखे खाद्य पदार्थ का भोग लगाते हैं. जिसमें समोसा, कचौरी, मिर्ची भजिया, आलू बोंडा जैसी चीजों का भोग मां धूमावती को लगाया जाता है. इस मंदिर के पुजारी नीरज सैनी का कहना है कि देश का ये पहला ऐसा मंदिर है, जहां पर धूमावती पीठ की स्थापना की गई है.
निराकार रूप में विराजमान हैं मां धूमावती
इस मंदिर में माता धूमावती निराकार रूप में विराजमान हैं. इसका मतलब यह है कि माता का कोई स्वरूप नहीं है. यहां ज्योति बिंदु के रूप में माता की पूजा अर्चना की जाती है. इस मंदिर की खासियत ये है कि माता को भोग प्रसादी के रूप में तेल में तले हुए तीखे व्यंजन पसंद हैं. जिसे प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां धूमावती उग्र स्वभाव वाली देवी हैं. इसलिए मां को तीखे और मिर्च मसाले वाले खाद्य पदार्थ प्रिय हैं.
'धूनी रूप में विराजित हैं मां'
मां धूमावती मंदिर के पुजारी नीरज सैनी बताते हैं कि वे मां धूमावती की साधना,आराधना और उपासना करते थे. जिसके बाद उन्हें मां ने अखंड धूनी के रूप में दर्शन दिए. जिसके बाद पुजारी ने आज से 10 साल पहले धूमावती पीठ की स्थापना की. इस धूमावती पीठ में अश्वगंधा, धूप, नैवेद्य (मिठाई), फल, सहित तीखे और तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ मां धूमावती को अर्पित किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि माता उग्र और शांत दोनों स्वभाव की हैं.