रायपुर: शादियों के सीजन में खासतौर पर साफा और पगड़ी की मांग बढ़ जाती है. पहले शादियों में लोग पगड़ी और साफा का इस्तेमाल किया करते थे. लेकिन बदलते दौर में साफा और पगड़ी का इस्तेमाल सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी होने लगा है. जिसके कारण भी साफा और पगड़ी की बाजार में मांग बढ़ गई है. लोग अपनी क्षमता के अनुसार पगड़ी और साफा की खरीदी करते हैं. खास तौर पर दूल्हे के लिए खरीदी जाने वाली पगड़ी बाजार में 400 रुपए से लेकर ब्रांडेड कंपनी की पगड़ी बाजार में लगभग 9 हजार रुपए तक उपलब्ध है. बीते 2 सालों तक साफा और पगड़ी के बाजार में कोरोना की वजह से कारोबार भी प्रभावित हुआ था. लेकिन इस बार दुकानदार भी अच्छे कारोबार की उम्मीद जता रहे हैं.
पगड़ी खरीदने के बजाय साफा बंधवाने का चला फैशन, साफा बांधना भी एक कला
साफा और पगड़ी की मांग अक्सर शादियों के सीजन में देखी जा रही है. लेकिन बदलते दौर में साफा और पगड़ी का इस्तेमाल सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भी होने लगा है. जिसके कारण भी साफा और पगड़ी की बाजार में मांग बढ़ गई है. बदलते दौर में लोग साफा या पगड़ी खरीदने के बजाय साफा बनवाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
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पगड़ी खरीदने के बजाय साफा बनवाना पसंद कर रहे लोग: साफा और पगड़ी दुकानदार मुकेश राठौर ने बताया कि "चेहरे के अनुसार साफा बांधा जाता है. उसमें कितना उठाओ रहेगा या कितना झुकाओ रहेगा. इस बात को ध्यान रखना होता है. कितने राउंड की चुन्नट होनी चाहिए. इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाता है." साफा बांधने वाले शख्स ने बताया कि "वे पिछले 28 सालों से साफा बांधने के काम में माहिर हैं. पहले साफा में इस्तेमाल होने वाले कपड़ा फ्लावर पिंक का होता था. लेकिन अब लहरिया पचरंगी. गुलाबी लहरिया और नीला लहरिया जैसे साफा का चलन ज्यादा है. बदलते दौर में लोग साफा या पगड़ी खरीदने के बजाय साफा बनवाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं."
सक्षम परिवारों को किराए पर साफा लेना पसंद: साफा और पगड़ी दुकानदार शत्रुघ्न गुप्ता ने बताया कि "15 दिसंबर के बाद शादी विवाह का मुहूर्त समाप्त हो जाएगा. क्योंकि 16 दिसंबर से खरमास की शुरुआत होगी और अगले 1 महीने तक किसी प्रकार के विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे. इसलिए लोग इसी महीने शादी विवाह कर रहे हैं." उन्होंने बताया कि "जो लोग संपन्न और आर्थिक रूप से सक्षम परिवार हैं, उनके द्वारा किराए पर साफा लेना पसंद किया जा रहा है. एक साफा का किराया लगभग 150 रुपए से 250 रुपये तक है. वहीं गरीब और कमजोर लोग 40 रुपए से लेकर 100 रुपए तक के रेडीमेड पगड़ी खरीदना पसंद करते हैं."