छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

Russia Ukraine War : घंटों लाइन लगने पर भी नहीं मिलता खाना, सुमि में फंसे बच्चों का एकमात्र सहारा मॉस्को बॉर्डर

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) का आज आठवां दिन है. हालांकि धीरे-धीरे कर भारतीय बच्चों को यूक्रेन से वापस लाया जा रहा है, लेकिन अभी भी वहां बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ समेत देशभर के बच्चे फंसे हुए हैं. रायपुर के एक अभिभावक भी अपने बच्चे की सुरक्षित वापसी के लिए चिंतित हैं. जानिये उन्होंने ईटीवी भारत से खात बातचीत में क्या कहा...

Russia Ukraine War
सुमि में फंसे बच्चों का एकमात्र सहारा मॉस्को बॉर्डर

By

Published : Mar 3, 2022, 5:01 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 5:23 PM IST

रायपुर :रूस-यूक्रेन युद्ध का आज आठवां दिन है. रूस यूक्रेन में लगातार तबाही मचा रहा है. यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में बमबारी कर रहा है. इससे वहां के स्थानीय लोग काफी घबराए हुए हैं. वहीं भारत से पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए छात्रों की मुसीबत भी कम नहीं हो रही. भारतीय छात्र बंकर में छुपे हुए हैं. लगातार आस-पास हो रही बमबारी से वे काफी डरे हुए हैं. हालांकि वेस्टर्न यूक्रेन में स्थिति अभी थोड़ी ठीक है. कीव, खारकीव और सुमि जैसे शहरों में अभी भी स्कूलों में बच्चों को छुपाया गया है. कीव और खारकीव से कुछ बच्चों को लिफ्ट किया गया, लेकिन सुमि की स्थिति काफी खराब है. वहां अभी भी सैकड़ों भारतीय बच्चे फंसे हुए हैं. ईटीवी भारत ने सुमि में फंसे एक छात्र के परिजन से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

सुमि में फंसे बच्चों का एकमात्र सहारा मॉस्को बॉर्डर

सुमि में रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट सब तहस-नहस
रायपुर के अजय कुमार लाड ने बताया कि यूक्रेन के सुमि में उनका बेटा फंसा हुआ है. उससे लगातार बात हो रही है. बेटे ने बताया कि कीव और खारकीव से पहले बच्चों को निकालना असंभव था. धीरे-धीरे अब बच्चों को वहां से निकाला जा रहा है. सुमि के बारे में किसी को पता नहीं चल पा रहा है. वहां भी काफी बच्चे फंसे हैं. सुमि में अभी भी कम से कम डेढ़ हजार बच्चे फंसे हैं. अगर कोई बच्चा सुमि से कीव और खारकीव की तरफ जाना भी चाहे तो नहीं जा सकता. वहां के रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट तहस-नहस हो चुके हैं.

यह भी पढ़ें :यूक्रेन में फंसी कोरबा की बिटिया घर लौटी, दर्द-ए-दास्तां सुनकर छलक जाएंगे आंसू

अजय ने बताया कि सुमि से बच्चों के निकलने का सिर्फ एक रास्ता है. यह मॉस्को से होकर जाता है. जब मैंने भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके पूछा कि हमारे बच्चे सुमि में फंसे हैं, उन्हें बचाने को सरकार क्या प्रयास कर रही है. जवाब मिला कि इसके लिए हम जल्द एडवाइजरी जारी करेंगे. लेकिन बच्चों को किस रास्ते लाया जाएगा, बच्चों तक कैसे पहुंचा जाएगा, इसके बारे में कोई कुछ नहीं बता रहा.

4-5 घंटे लाइन में रहने के बाद भी नहीं मिलता खाना
बच्चों को वहां खाने-पीने में काफी दिक्कत हो रही है. बच्चे सामान लेने जाते हैं तो उन्हें 4 से 5 घंटे लाइन में खड़ा होना पड़ता है. फिर भी खाना नहीं मिल पाता. सामान वहां काफी महंगे हो गए हैं. कभी वहां लाइट गुल हो जाती है, तो कभी पानी सप्लाई बंद. इस कारण मोबाइल चार्ज करना भी मुश्किल हो गया है. इस कारण बच्चों से बात भी नहीं हो पाती.

सुमि में फंसे बच्चों का एकमात्र सहारा मॉस्को बॉर्डर
सुमि, कीव और खारकीव ईस्टर्न पार्ट ऑफ यूक्रेन है. वहां से मॉस्को बॉर्डर 45 किलोमीटर के करीब है. अभी तक जिन जगहों से बच्चों को निकाला जा रहा है, वह सुमि से 8 से 11 घंटे के रास्ते पर हैं. लेकिन अब वहां रास्ता खराब हो गया है. इस कारण बच्चों को वहां से नहीं निकाला जा सका है. अब बच्चों के वहां से निकलने के लिए एकमात्र रास्ता मॉस्को बॉर्डर है. फिलहाल मॉस्को बॉर्डर से बच्चों को निकालना काफी मुश्किल है. इसके लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए, क्योंकि सुमि में फंसे बच्चों का एकमात्र सहारा मॉस्को बॉर्डर ही है.

यह भी पढ़ें : Russia Ukraine War : यूक्रेन में फंसी कोरबा की बेटी, पिता ने सुरक्षित घर वापसी की लगाई गुहार

सुमि में फंसे हैं 15 सौ से 17 सौ बच्चे, इनमें 10-11 छत्तीसगढ़ के
सुमि में करीब 1500 से 1700 बच्चों को एक हॉस्टल में रखा गया है. इनमें से छत्तीसगढ़ के करीब 10 से 11 बच्चे हैं. इन सभी के वहां बच निकलने का एकमात्र रास्ता मॉस्को बॉर्डर होते हुए ही है. सरकार को उन्हें बचाने के लिए अलग से स्ट्रैटजी बनाने की जरूरत है. वहां फंसे सभी बच्चों की जान जोखिम में है. पैरेंट्स के लिए उनके बच्चे जान से ज्यादा प्यारे होते हैं. अगर बच्चों को कुछ हो जाए, तो अभिभावक कैसे रह पाएंगे.

Last Updated : Mar 3, 2022, 5:23 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details