रायपुर :देवगुरु बृहस्पति 24 फरवरी को अस्त हो गए हैं. उसी दिन से रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध भी छिड़ा है. दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध का असर छत्तीसगढ़ में अमरूद की खेती करने वाले किसानों पर दिख रहा है. छत्तीसगढ़ से अमरूद मुंबई जाता है. फिर वहां से दुबई होते हुए टर्की, रशिया, यूक्रेन और बेलारूस जैसे देशों में रायपुर के इस अमरूद की सप्लाई होती है. अगर आने वाले समय में भी युद्ध इसी तरह चलता रहा तो इसका सीधा असर रायपुर अमरूद उत्पादन पर भी पड़ेगा. ऐसे में अमरूद की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है.
रूस-यूक्रेन युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा असर
24 फरवरी को रूस और यूक्रेन के मध्य विवाद के बाद युद्ध छिड़ गया है. इस कारण भारत में कच्चे तेल के आयात पर भी असर पड़ेगा. प्राकृतिक गैस सहित पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़ेंगे. वहीं दूसरी तरफ दूसरे देशों को निर्यात होने वाले अमरूद पर भी इसका असर देखने को मिलेगा. अमरूद अगर निर्यात नहीं होगा तो इसके दामों में गिरावट दिखेगी. साथ ही कच्चे तेल का आयात कम होने पर इसका सीधा असर परिवहन और अमरूद की पैकिंग पर भी पड़ेगा. इस कारण अमरूद के दाम बढ़ जाएंगे.
यहां से पहले मुंबई भेजा जाता है अमरूद फिर दुबई
अमरूद की खेती करने वाले किसान कबीर चंद्राकर ने बताया कि रायपुर से अमरूद मुंबई भेजा जाता है. वहां से दुबई, टर्की होते हुए रशिया, यूक्रेन और बेलारूस जैसे शहरों में भी इसे निर्यात किया जाता है. अगर इसी तरह यूक्रेन और रूस के मध्य युद्ध होता रहा तो इसकी खेती करने वाले किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि अमरूद का दूसरे देशों में एक्सपोर्ट अगर बंद हो जाता है तो इसके दामों में काफी गिरावट हो जाएगी. वहीं दूसरी तरफ युद्ध के समय लोगों के खाने-पीने का तरीका भी बदलने लगेगा. लोगों का फ्रेश फूड की तरफ रुझान कम हो जाएगा. यही हालात कोरोना के समय भी देखने को मिले थे.