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रायपुर से मुंबई, वाया दुबई से टर्की-रशिया-यूक्रेन जाता है रायपुर का अमरूद, किसानों में निर्यात घटने की चिंता

रूस-यूक्रेन युद्ध का सीधा असर रायपुर अमरूद उत्पादन पर भी पड़ता दिख रहा है. यहां का अमरूद पहले मुंबई भेजा जाता है. फिर वहां से दुबई के रास्ते इसे टर्की-रशिया-यूक्रेन भेजा जाता है...

Russia Ukraine war affected guava production in Raipur
अमरूद किसानों में निर्यात घटने की चिंता

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Published : Mar 1, 2022, 8:00 PM IST

Updated : Mar 1, 2022, 9:07 PM IST

रायपुर :देवगुरु बृहस्पति 24 फरवरी को अस्त हो गए हैं. उसी दिन से रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध भी छिड़ा है. दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध का असर छत्तीसगढ़ में अमरूद की खेती करने वाले किसानों पर दिख रहा है. छत्तीसगढ़ से अमरूद मुंबई जाता है. फिर वहां से दुबई होते हुए टर्की, रशिया, यूक्रेन और बेलारूस जैसे देशों में रायपुर के इस अमरूद की सप्लाई होती है. अगर आने वाले समय में भी युद्ध इसी तरह चलता रहा तो इसका सीधा असर रायपुर अमरूद उत्पादन पर भी पड़ेगा. ऐसे में अमरूद की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है.

अमरूद किसान चिंतित

रूस-यूक्रेन युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा असर
24 फरवरी को रूस और यूक्रेन के मध्य विवाद के बाद युद्ध छिड़ गया है. इस कारण भारत में कच्चे तेल के आयात पर भी असर पड़ेगा. प्राकृतिक गैस सहित पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़ेंगे. वहीं दूसरी तरफ दूसरे देशों को निर्यात होने वाले अमरूद पर भी इसका असर देखने को मिलेगा. अमरूद अगर निर्यात नहीं होगा तो इसके दामों में गिरावट दिखेगी. साथ ही कच्चे तेल का आयात कम होने पर इसका सीधा असर परिवहन और अमरूद की पैकिंग पर भी पड़ेगा. इस कारण अमरूद के दाम बढ़ जाएंगे.

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यहां से पहले मुंबई भेजा जाता है अमरूद फिर दुबई
अमरूद की खेती करने वाले किसान कबीर चंद्राकर ने बताया कि रायपुर से अमरूद मुंबई भेजा जाता है. वहां से दुबई, टर्की होते हुए रशिया, यूक्रेन और बेलारूस जैसे शहरों में भी इसे निर्यात किया जाता है. अगर इसी तरह यूक्रेन और रूस के मध्य युद्ध होता रहा तो इसकी खेती करने वाले किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि अमरूद का दूसरे देशों में एक्सपोर्ट अगर बंद हो जाता है तो इसके दामों में काफी गिरावट हो जाएगी. वहीं दूसरी तरफ युद्ध के समय लोगों के खाने-पीने का तरीका भी बदलने लगेगा. लोगों का फ्रेश फूड की तरफ रुझान कम हो जाएगा. यही हालात कोरोना के समय भी देखने को मिले थे.

छह एकड़ से पिता ने शुरू की खेती, बेटे ने पहुंचाई 110 एकड़ में
पिछले 6 सालों से अमरूद की खेती करने वाले कबीर बताते हैं कि आज से 11 साल पहले उनके पिता ने 6 एकड़ जमीन में अमरूद की खेती शुरू की थी. वह आज बढ़कर 110 एकड़ तक पहुंच गई है. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा दो किस्म के अमरूद की खेती की जा रही है. इसमें पहला किस्म वीएनआर बीही और दूसरी किस्म का नाम पिंक ताइवान है. युद्ध की वजह से अगर ट्रांसपोर्ट चार्ज बढ़ता है तो अमरूद की पैकेजिंग पर भी इसका असर पड़ेगा. फोम नेट और पॉलीथिन के भी दाम बढ़ेंगे.

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रूस-यूक्रेन युद्ध का सीधा असर अमरूद की खेती पर...
किसान अनंत चंद्राकर ने बताया कि रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध काफी विनाशकारी है. इसकी वजह से अमरूद की खेती पर भी सीधा असर पड़ेगा. युद्ध के कारण दूसरी चीजों के दाम अगर बढ़ते हैं तो कहीं न कहीं अमरूद के दाम में भी वृद्धि होगी. इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी सीधा असर पड़ेगा.

नीबू का आकार होते फोम-नेट-पॉलीथिन से ढंकने की जरूरत
वहीं फील्ड का काम देखने वाले रूपेंद्र साहू ने बताया कि अमरूद का आकार जब नीबू के बराबर होता है, तब उसे फोम नेट और पॉलिथीन से ढंक दिया जाता है. साथ ही न्यूज पेपर के सहारे चारों तरफ से ढंक दिया जाता है, ताकि कीट के प्रकोप और सूर्य की किरणों से अमरूद सुरक्षित रहे. अमरूद की खेती साल में दो फसल देती है.

Last Updated : Mar 1, 2022, 9:07 PM IST

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